< ١ تسالونيكي 5 >
وَأَمَّا ٱلْأَزْمِنَةُ وَٱلْأَوْقَاتُ فَلَا حَاجَةَ لَكُمْ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ أَنْ أَكْتُبَ إِلَيْكُمْ عَنْهَا، | ١ 1 |
मगर ऐ भाइयों! इसकी कुछ ज़रूरत नहीं कि वक़्तों और मौक़ों के ज़रिए तुम को कुछ लिखा जाए।
لِأَنَّكُمْ أَنْتُمْ تَعْلَمُونَ بِٱلتَّحْقِيقِ أَنَّ يَوْمَ ٱلرَّبِّ كَلِصٍّ فِي ٱللَّيْلِ هَكَذَا يَجِيءُ. | ٢ 2 |
इस वास्ते कि तुम आप ख़ुद जानते हो कि ख़ुदावन्द का दिन इस तरह आने वाला है जिस तरह रात को चोर आता है।
لِأَنَّهُ حِينَمَا يَقُولُونَ: «سَلَامٌ وَأَمَانٌ»، حِينَئِذٍ يُفَاجِئُهُمْ هَلَاكٌ بَغْتَةً، كَٱلْمَخَاضِ لِلْحُبْلَى، فَلَا يَنْجُونَ. | ٣ 3 |
जिस वक़्त लोग कहते होंगे कि सलामती और अम्न है उस वक़्त उन पर इस तरह हलाकत आएगी जिस तरह हामिला को दर्द होता हैं और वो हरगिज़ न बचेंगे।
وَأَمَّا أَنْتُمْ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ فَلَسْتُمْ فِي ظُلْمَةٍ حَتَّى يُدْرِكَكُمْ ذَلِكَ ٱلْيَوْمُ كَلِصٍّ. | ٤ 4 |
लेकिन तुम ऐ भाइयों, अंधेरे में नहीं हो कि वो दिन चोर की तरह तुम पर आ पड़े।
جَمِيعُكُمْ أَبْنَاءُ نُورٍ وَأَبْنَاءُ نَهَارٍ. لَسْنَا مِنْ لَيْلٍ وَلَا ظُلْمَةٍ. | ٥ 5 |
क्यूँकि तुम सब नूर के फ़र्ज़न्द और दिन के फ़र्ज़न्द हो, हम न रात के हैं न तारीकी के।
فَلَا نَنَمْ إِذًا كَٱلْبَاقِينَ، بَلْ لِنَسْهَرْ وَنَصْحُ. | ٦ 6 |
पस, औरों की तरह सोते न रहो, बल्कि जागते और होशियार रहो।
لِأَنَّ ٱلَّذِينَ يَنَامُونَ فَبِاللَّيْلِ يَنَامُونَ، وَٱلَّذِينَ يَسْكَرُونَ فَبِاللَّيْلِ يَسْكَرُونَ. | ٧ 7 |
क्यूँकि जो सोते हैं रात ही को सोते हैं और जो मतवाले होते हैं रात ही को मतवाले होते हैं।
وَأَمَّا نَحْنُ ٱلَّذِينَ مِنْ نَهَارٍ، فَلْنَصْحُ لَابِسِينَ دِرْعَ ٱلْإِيمَانِ وَٱلْمَحَبَّةِ، وَخُوذَةً هِيَ رَجَاءُ ٱلْخَلَاصِ. | ٨ 8 |
मगर हम जो दिन के हैं ईमान और मुहब्बत का बख़्तर लगा कर और निजात की उम्मीद कि टोपी पहन कर होशियार रहें।
لِأَنَّ ٱللهَ لَمْ يَجْعَلْنَا لِلْغَضَبِ، بَلْ لِٱقْتِنَاءِ ٱلْخَلَاصِ بِرَبِّنَا يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ، | ٩ 9 |
क्यूँकि ख़ुदा ने हमें ग़ज़ब के लिए नहीं बल्कि इसलिए मुक़र्रर किया कि हम अपने ख़ुदावन्द ईसा मसीह के वसीले से नजात हासिल करें।
ٱلَّذِي مَاتَ لِأَجْلِنَا، حَتَّى إِذَا سَهِرْنَا أَوْ نِمْنَا نَحْيَا جَمِيعًا مَعَهُ. | ١٠ 10 |
वो हमारी ख़ातिर इसलिए मरा, कि हम जागते हों या सोते हों सब मिलकर उसी के साथ जिएँ।
لِذَلِكَ عَزُّوا بَعْضُكُمْ بَعْضًا وَٱبْنُوا أَحَدُكُمُ ٱلْآخَرَ، كَمَا تَفْعَلُونَ أَيْضًا. | ١١ 11 |
पस, तुम एक दूसरे को तसल्ली दो और एक दूसरे की तरक़्क़ी की वजह बनो चुनाँचे तुम ऐसा करते भी हो।
ثُمَّ نَسْأَلُكُمْ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ أَنْ تَعْرِفُوا ٱلَّذِينَ يَتْعَبُونَ بَيْنَكُمْ وَيُدَبِّرُونَكُمْ فِي ٱلرَّبِّ وَيُنْذِرُونَكُمْ، | ١٢ 12 |
और ऐ भाइयों, हम तुम से दरख़्वास्त करते हैं, कि जो तुम में मेहनत करते और ख़ुदावन्द में तुम्हारे पेशवा हैं और तुम को नसीहत करते हैं उन्हें मानो।
وَأَنْ تَعْتَبِرُوهُمْ كَثِيرًا جِدًّا فِي ٱلْمَحَبَّةِ مِنْ أَجْلِ عَمَلِهِمْ. سَالِمُوا بَعْضُكُمْ بَعْضًا. | ١٣ 13 |
और उनके काम की वजह से मुहब्बत के साथ उन की बड़ी इज़्ज़त करो; आपस में मेल मिलाप रख्खो।
وَنَطْلُبُ إِلَيْكُمْ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ: أَنْذِرُوا ٱلَّذِينَ بِلَا تَرْتِيبٍ. شَجِّعُوا صِغَارَ ٱلنُّفُوسِ. أَسْنِدُوا ٱلضُّعَفَاءَ. تَأَنَّوْا عَلَى ٱلْجَمِيعِ. | ١٤ 14 |
और ऐ भाइयों, हम तुम्हें नसीहत करते हैं कि बे क़ाइदा चलने वालों को समझाओ कम हिम्मतों को दिलासा दो कमज़ोरों को संभालो सब के साथ तहम्मील से पेश आओ।
ٱنْظُرُوا أَنْ لَا يُجَازِيَ أَحَدٌ أَحَدًا عَنْ شَرٍّ بِشَرٍّ، بَلْ كُلَّ حِينٍ ٱتَّبِعُوا ٱلْخَيْرَ بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ وَلِلْجَمِيعِ. | ١٥ 15 |
ख़बरदार कोई किसी से बदी के बदले बदी न करे बल्कि हर वक़्त नेकी करने के दर पै रहो आपस में भी और सब से।
ٱفْرَحُوا كُلَّ حِينٍ. | ١٦ 16 |
हर वक़्त ख़ुश रहो।
صَلُّوا بِلَا ٱنْقِطَاعٍ. | ١٧ 17 |
बिला नाग़ा दुआ करो।
ٱشْكُرُوا فِي كُلِّ شَيْءٍ، لِأَنَّ هَذِهِ هِيَ مَشِيئَةُ ٱللهِ فِي ٱلْمَسِيحِ يَسُوعَ مِنْ جِهَتِكُمْ. | ١٨ 18 |
हर एक बात में शुक्र गुज़ारी करो क्यूँकि मसीह ईसा में तुम्हारे बारे में ख़ुदा की यही मर्ज़ी है।
لَا تُطْفِئُوا ٱلرُّوحَ. | ١٩ 19 |
रूह को न बुझाओ।
لَا تَحْتَقِرُوا ٱلنُّبُوَّاتِ. | ٢٠ 20 |
नबुव्वतों की हिक़ारत न करो।
ٱمْتَحِنُوا كُلَّ شَيْءٍ، تَمَسَّكُوا بِٱلْحَسَنِ. | ٢١ 21 |
सब बातों को आज़माओ, जो अच्छी हो उसे पकड़े रहो।
ٱمْتَنِعُوا عَنْ كُلِّ شِبْهِ شَرٍّ. | ٢٢ 22 |
हर क़िस्म की बदी से बचे रहो।
وَإِلَهُ ٱلسَّلَامِ نَفْسُهُ يُقَدِّسُكُمْ بِٱلتَّمَامِ. وَلْتُحْفَظْ رُوحُكُمْ وَنَفْسُكُمْ وَجَسَدُكُمْ كَامِلَةً بِلَا لَوْمٍ عِنْدَ مَجِيءِ رَبِّنَا يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ. | ٢٣ 23 |
ख़ुदा जो इत्मीनान का चश्मा है आप ही तुम को बिल्कुल पाक करे, और तुम्हारी रूह और जान और बदन हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह के आने तक पूरे पूरे और बेऐब महफ़ूज़ रहें।
أَمِينٌ هُوَ ٱلَّذِي يَدْعُوكُمُ ٱلَّذِي سَيَفْعَلُ أَيْضًا. | ٢٤ 24 |
तुम्हारा बुलाने वाला सच्चा है वो ऐसा ही करेगा।
أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ، صَلُّوا لِأَجْلِنَا. | ٢٥ 25 |
ऐ भाइयों! हमारे वास्ते दुआ करो।
سَلِّمُوا عَلَى ٱلْإِخْوَةِ جَمِيعًا بِقُبْلَةٍ مُقَدَّسَةٍ. | ٢٦ 26 |
पाक बोसे के साथ सब भाइयों को सलाम करो।
أُنَاشِدُكُمْ بِٱلرَّبِّ أَنْ تُقْرَأَ هَذِهِ ٱلرِّسَالَةُ عَلَى جَمِيعِ ٱلْإِخْوَةِ ٱلْقِدِّيسِينَ. | ٢٧ 27 |
मैं तुम्हें ख़ुदावन्द की क़सम देता हूँ, कि ये ख़त सब भाइयों को सुनाया जाए।
نِعْمَةُ رَبِّنَا يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ مَعَكُمْ. آمِينَ. | ٢٨ 28 |
हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह का फ़ज़ल तुम पर होता रहे।