< ١ تسالونيكي 4 >
فَمِنْ ثَمَّ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ نَسْأَلُكُمْ وَنَطْلُبُ إِلَيْكُمْ فِي ٱلرَّبِّ يَسُوعَ، أَنَّكُمْ كَمَا تَسَلَّمْتُمْ مِنَّا كَيْفَ يَجِبُ أَنْ تَسْلُكُوا وَتُرْضُوا ٱللهَ، تَزْدَادُونَ أَكْثَرَ. | ١ 1 |
ग़रज़ ऐ भाइयों!, हम तुम से दरख़्वास्त करते हैं और ख़ुदावन्द ईसा में तुम्हें नसीहत करते हैं कि जिस तरह तुम ने हम से मुनासिब चाल चलने और ख़ुदा को ख़ुश करने की ता'लीम पाई और जिस तरह तुम चलते भी हो उसी तरह और तरक़्क़ी करते जाओ।
لِأَنَّكُمْ تَعْلَمُونَ أَيَّةَ وَصَايَا أَعْطَيْنَاكُمْ بِٱلرَّبِّ يَسُوعَ. | ٢ 2 |
क्यूँकि तुम जानते हो कि हम ने तुम को ख़ुदावन्द ईसा की तरफ़ से क्या क्या हुक्म पहुँचाए।
لِأَنَّ هَذِهِ هِيَ إِرَادَةُ ٱللهِ: قَدَاسَتُكُمْ. أَنْ تَمْتَنِعُوا عَنِ ٱلزِّنَا، | ٣ 3 |
चुनाँचे ख़ुदा की मर्ज़ी ये है कि तुम पाक बनो, या'नी हरामकारी से बचे रहो।
أَنْ يَعْرِفَ كُلُّ وَاحِدٍ مِنْكُمْ أَنْ يَقْتَنِيَ إِنَاءَهُ بِقَدَاسَةٍ وَكَرَامَةٍ، | ٤ 4 |
और हर एक तुम में से पाकीज़गी और इज़्ज़त के साथ अपने ज़र्फ़ को हासिल करना जाने।
لَا فِي هَوَى شَهْوَةٍ كَٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ لَا يَعْرِفُونَ ٱللهَ، | ٥ 5 |
न बुरी ख़्वाहिश के जोश से उन क़ौमों की तरह जो ख़ुदा को नहीं जानतीं
أَنْ لَا يَتَطَاوَلَ أَحَدٌ وَيَطْمَعَ عَلَى أَخِيهِ فِي هَذَا ٱلْأَمْرِ، لِأَنَّ ٱلرَّبَّ مُنْتَقِمٌ لِهَذِهِ كُلِّهَا كَمَا قُلْنَا لَكُمْ قَبْلًا وَشَهِدْنَا. | ٦ 6 |
और कोई शख़्स अपने भाई के साथ इस काम में ज़्यादती और दग़ा न करे क्यूँकि ख़ुदावन्द इन सब कामों का बदला लेने वाला है चुनाँचे हम ने पहले भी तुम को करके जता दिया था।
لِأَنَّ ٱللهَ لَمْ يَدْعُنَا لِلنَّجَاسَةِ بَلْ فِي ٱلْقَدَاسَةِ. | ٧ 7 |
इसलिए कि ख़ुदा ने हम को नापाकी के लिए नहीं बल्कि पाकीज़गी के लिए बुलाया।
إِذًا مَنْ يُرْذِلُ لَا يُرْذِلُ إِنْسَانًا، بَلِ ٱللهَ ٱلَّذِي أَعْطَانَا أَيْضًا رُوحَهُ ٱلْقُدُّوسَ. | ٨ 8 |
पस, जो नहीं मानता वो आदमी को नहीं बल्कि ख़ुदा को नहीं मानता जो तुम को अपना पाक रूह देता है।
وَأَمَّا ٱلْمَحَبَّةُ ٱلْأَخَوِيَّةُ فَلَا حَاجَةَ لَكُمْ أَنْ أَكْتُبَ إِلَيْكُمْ عَنْهَا، لِأَنَّكُمْ أَنْفُسَكُمْ مُتَعَلِّمُونَ مِنَ ٱللهِ أَنْ يُحِبَّ بَعْضُكُمْ بَعْضًا. | ٩ 9 |
मगर भाई — चारे की मुहब्बत के ज़रिए तुम्हें कुछ लिखने की हाजत नहीं क्यूँकि तुम ने आपस में मुहब्बत करने की ख़ुदा से ता'लीम पा चुके हो।
فَإِنَّكُمْ تَفْعَلُونَ ذَلِكَ أَيْضًا لِجَمِيعِ ٱلْإِخْوَةِ ٱلَّذِينَ فِي مَكِدُونِيَّةَ كُلِّهَا. وَإِنَّمَا أَطْلُبُ إِلَيْكُمْ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ أَنْ تَزْدَادُوا أَكْثَرَ، | ١٠ 10 |
और तमाम मकिदुनिया के सब भाइयों के साथ ऐसा ही करते हो लेकिन ऐ भाइयों! हम तुम्हें नसीहत करते हैं कि तरक़्क़ी करते जाओ।
وَأَنْ تَحْرِصُوا عَلَى أَنْ تَكُونُوا هَادِئِينَ، وَتُمَارِسُوا أُمُورَكُمُ ٱلْخَاصَّةَ، وَتَشْتَغِلُوا بِأَيْدِيكُمْ أَنْتُمْ كَمَا أَوْصَيْنَاكُمْ، | ١١ 11 |
और जिस तरह हम ने तुम को हुक्म दिया चुप चाप रहने और अपना कारोबार करने और अपने हाथों से मेहनत करने की हिम्मत करो।
لِكَيْ تَسْلُكُوا بِلِيَاقَةٍ عِنْدَ ٱلَّذِينَ هُمْ مِنْ خَارِجٍ، وَلَا تَكُونَ لَكُمْ حَاجَةٌ إِلَى أَحَدٍ. | ١٢ 12 |
ताकि बाहर वालों के साथ संजीदगी से बरताव करो और किसी चीज़ के मोहताज न हो।
ثُمَّ لَا أُرِيدُ أَنْ تَجْهَلُوا أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ مِنْ جِهَةِ ٱلرَّاقِدِينَ، لِكَيْ لَا تَحْزَنُوا كَٱلْبَاقِينَ ٱلَّذِينَ لَا رَجَاءَ لَهُمْ. | ١٣ 13 |
ऐ भाइयों! हम नहीं चाहते कि जो सोते है उनके बारे में तुम नावाक़िफ़ रहो ताकि औरों की तरह जो ना उम्मीद है ग़म ना करो।
لِأَنَّهُ إِنْ كُنَّا نُؤْمِنُ أَنَّ يَسُوعَ مَاتَ وَقَامَ، فَكَذَلِكَ ٱلرَّاقِدُونَ بِيَسُوعَ، سَيُحْضِرُهُمُ ٱللهُ أَيْضًا مَعَهُ. | ١٤ 14 |
क्यूँकि जब हमें ये यक़ीन है कि ईसा मर गया और जी उठा तो उसी तरह ख़ुदा उन को भी जो सो गए हैं ईसा के वसीले से उसी के साथ ले आएगा।
فَإِنَّنَا نَقُولُ لَكُمْ هَذَا بِكَلِمَةِ ٱلرَّبِّ: إِنَّنَا نَحْنُ ٱلْأَحْيَاءَ ٱلْبَاقِينَ إِلَى مَجِيءِ ٱلرَّبِّ، لَا نَسْبِقُ ٱلرَّاقِدِينَ. | ١٥ 15 |
चुनाँचे हम तुम से दावन्द के कलाम के मुताबिक़ कहते हैं कि हम जो ज़िन्दा हैं और दावन्द के आने तक बाक़ी रहेंगे सोए हुओं से हरगिज़ आगे न बढ़ेंगे।
لِأَنَّ ٱلرَّبَّ نَفْسَهُ بِهُتَافٍ، بِصَوْتِ رَئِيسِ مَلَائِكَةٍ وَبُوقِ ٱللهِ، سَوْفَ يَنْزِلُ مِنَ ٱلسَّمَاءِ وَٱلْأَمْوَاتُ فِي ٱلْمَسِيحِ سَيَقُومُونَ أَوَّلًا. | ١٦ 16 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द ख़ुद आसमान से लल्कार और ख़ास फ़रिश्ते की आवाज़ और ख़ुदा के नरसिंगे के साथ उतर आएगा और पहले तो वो जो मसीह में मरे जी उठेंगे।
ثُمَّ نَحْنُ ٱلْأَحْيَاءَ ٱلْبَاقِينَ سَنُخْطَفُ جَمِيعًا مَعَهُمْ فِي ٱلسُّحُبِ لِمُلَاقَاةِ ٱلرَّبِّ فِي ٱلْهَوَاءِ، وَهَكَذَا نَكُونُ كُلَّ حِينٍ مَعَ ٱلرَّبِّ. | ١٧ 17 |
फिर हम जो ज़िन्दा बाक़ी होंगे उनके साथ बादलों पर उठा लिए जाएँगे; ताकि हवा में ख़ुदावन्द का इस्तक़बाल करें और इसी तरह हमेशा दावन्द के साथ रहेंगे।
لِذَلِكَ عَزُّوا بَعْضُكُمْ بَعْضًا بِهَذَا ٱلْكَلَامِ. | ١٨ 18 |
पस, तुम इन बातों से एक दूसरे को तसल्ली दिया करो।