< ١ تسالونيكي 2 >

لِأَنَّكُمْ أَنْتُمْ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ تَعْلَمُونَ دُخُولَنَا إِلَيْكُمْ أَنَّهُ لَمْ يَكُنْ بَاطِلًا، ١ 1
ऐ भाइयों! तुम आप जानते हो कि हमारा तुम्हारे पास आना बेफ़ाइदा न हुआ।
بَلْ بَعْدَ مَا تَأَلَّمْنَا قَبْلًا وَبُغِيَ عَلَيْنَا كَمَا تَعْلَمُونَ، فِي فِيلِبِّي، جَاهَرْنَا فِي إِلَهِنَا أَنْ نُكَلِّمَكُمْ بِإِنْجِيلِ ٱللهِ، فِي جِهَادٍ كَثِيرٍ. ٢ 2
बल्कि तुम को मा'लूम ही है कि बावजूद पहले फ़िलिप्पी में दु: ख उठाने और बेइज़्ज़त होने के हम को अपने ख़ुदा में ये दिलेरी हासिल हुई कि ख़ुदा की ख़ुशख़बरी बड़ी जाँफ़िशानी से तुम्हें सुनाएँ।
لِأَنَّ وَعْظَنَا لَيْسَ عَنْ ضَلَالٍ، وَلَا عَنْ دَنَسٍ، وَلَا بِمَكْرٍ، ٣ 3
क्यूँकि हमारी नसीहत न गुमराही से है न नापाकी से न धोखे के साथ।
بَلْ كَمَا ٱسْتُحْسِنَّا مِنَ ٱللهِ أَنْ نُؤْتَمَنَ عَلَى ٱلْإِنْجِيلِ، هَكَذَا نَتَكَلَّمُ، لَا كَأَنَّنَا نُرْضِي ٱلنَّاسَ بَلِ ٱللهَ ٱلَّذِي يَخْتَبِرُ قُلُوبَنَا. ٤ 4
बल्कि जैसे ख़ुदा ने हम को मक़्बूल करके ख़ुशख़बरी हमारे सुपुर्द की वैसे ही हम बयान करते हैं; आदमियों को नहीं बल्कि ख़ुदा को ख़ुश करने के लिए जो हमारे दिलों को आज़माता है।
فَإِنَّنَا لَمْ نَكُنْ قَطُّ فِي كَلَامِ تَمَلُّقٍ كَمَا تَعْلَمُونَ، وَلَا فِي عِلَّةِ طَمَعٍ. ٱللهُ شَاهِدٌ. ٥ 5
क्यूँकि तुम को मा'लूम ही है कि न कभी हमारे कलाम में ख़ुशामद पाई गई न लालच का पर्दा बना ख़ुदा इसका गवाह है!
وَلَا طَلَبْنَا مَجْدًا مِنَ ٱلنَّاسِ، لَا مِنْكُمْ وَلَا مِنْ غَيْرِكُمْ، مَعَ أَنَّنَا قَادِرُونَ أَنْ نَكُونَ فِي وَقَارٍ كَرُسُلِ ٱلْمَسِيحِ. ٦ 6
और हम न आदमियों से इज़्ज़त चाहते हैं न तुम से न औरों से अगरचे मसीह के रसूल होने की वजह तुम पर बोझ डाल सकते थे।
بَلْ كُنَّا مُتَرَفِّقِينَ فِي وَسَطِكُمْ كَمَا تُرَبِّي ٱلْمُرْضِعَةُ أَوْلَادَهَا، ٧ 7
बल्कि जिस तरह माँ अपने बच्चों को पालती है उसी तरह हम तुम्हारे दर्मियान नर्मी के साथ रहे।
هَكَذَا إِذْ كُنَّا حَانِّينَ إِلَيْكُمْ، كُنَّا نَرْضَى أَنْ نُعْطِيَكُمْ، لَا إِنْجِيلَ ٱللهِ فَقَطْ بَلْ أَنْفُسَنَا أَيْضًا، لِأَنَّكُمْ صِرْتُمْ مَحْبُوبِينَ إِلَيْنَا. ٨ 8
और उसी तरह हम तुम्हारे बहुत अहसानमंद होकर न फ़क़त ख़ुदा की ख़ुशख़बरी बल्कि अपनी जान तक भी तुम्हें देने को राज़ी थे; इस वास्ते कि तुम हमारे प्यारे हो गए थे!
فَإِنَّكُمْ تَذْكُرُونَ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ تَعَبَنَا وَكَدَّنَا، إِذْ كُنَّا نَكْرِزُ لَكُمْ بِإِنْجِيلِ ٱللهِ، وَنَحْنُ عَامِلُونَ لَيْلًا وَنَهَارًا كَيْ لَا نُثَقِّلَ عَلَى أَحَدٍ مِنْكُمْ. ٩ 9
क्यूँकि ऐ भाइयों! तुम को हमारी मेहनत और मशक़्क़त याद होगी कि हम ने तुम में से किसी पर बोझ न डालने की ग़रज़ से रात दिन मेहनत मज़दूरी करके तुम्हें ख़ुदा की ख़ुशख़बरी की मनादी की।
أَنْتُمْ شُهُودٌ، وَٱللهُ، كَيْفَ بِطَهَارَةٍ وَبِبِرٍّ وَبِلَا لَوْمٍ كُنَّا بَيْنَكُمْ أَنْتُمُ ٱلْمُؤْمِنِينَ. ١٠ 10
तुम भी गवाह हो और ख़ुदा भी कि तुम से जो ईमान लाए हो हम कैसी पाकीज़गी और रास्तबाज़ी और बे'ऐबी के साथ पेश आए।
كَمَا تَعْلَمُونَ كَيْفَ كُنَّا نَعِظُ كُلَّ وَاحِدٍ مِنْكُمْ كَٱلْأَبِ لِأَوْلَادِهِ، وَنُشَجِّعُكُمْ، ١١ 11
चुनाँचे तुम जानते हो। कि जिस तरह बाप अपने बच्चों के साथ करता है उसी तरह हम भी तुम में से हर एक को नसीहत करते और दिलासा देते और समझाते रहे।
وَنُشْهِدُكُمْ لِكَيْ تَسْلُكُوا كَمَا يَحِقُّ لِلهِ ٱلَّذِي دَعَاكُمْ إِلَى مَلَكُوتِهِ وَمَجْدِهِ. ١٢ 12
ताकि तुम्हारा चालचलन ख़ुदा के लायक़ हो जो तुम्हें अपनी बादशाही और जलाल में बुलाता है।
مِنْ أَجْلِ ذَلِكَ نَحْنُ أَيْضًا نَشْكُرُ ٱللهَ بِلَا ٱنْقِطَاعٍ، لِأَنَّكُمْ إِذْ تَسَلَّمْتُمْ مِنَّا كَلِمَةَ خَبَرٍ مِنَ ٱللهِ، قَبِلْتُمُوهَا لَا كَكَلِمَةِ أُنَاسٍ، بَلْ كَمَا هِيَ بِٱلْحَقِيقَةِ كَكَلِمَةِ ٱللهِ، ٱلَّتِي تَعْمَلُ أَيْضًا فِيكُمْ أَنْتُمُ ٱلْمُؤْمِنِينَ. ١٣ 13
इस वास्ते हम भी बिला नाग़ा ख़ुदा का शुक्र करते हैं कि जब ख़ुदा का पैग़ाम हमारे ज़रिए तुम्हारे पास पहुँचा तो तुम ने उसे आदमियों का कलाम समझ कर नहीं बल्कि जैसा हक़ीक़त में है ख़ुदा का कलाम जान कर क़ुबूल किया और वो तुम में जो ईमान लाए हो असर भी कर रहा है।
فَإِنِّكُمْ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ صِرْتُمْ مُتَمَثِّلِينَ بِكَنَائِسِ ٱللهِ ٱلَّتِي هِيَ فِي ٱلْيَهُودِيَّةِ فِي ٱلْمَسِيحِ يَسُوعَ، لِأَنَّكُمْ تَأَلَّمْتُمْ أَنْتُمْ أَيْضًا مِنْ أَهْلِ عَشِيرَتِكُمْ تِلْكَ ٱلْآلَامَ عَيْنَهَا، كَمَا هُمْ أَيْضًا مِنَ ٱلْيَهُودِ، ١٤ 14
इसलिए कि तुम ऐ भाइयों!, ख़ुदा की उन कलीसियाओं की तरह बन गए जो यहूदिया में मसीह ईसा में हैं क्यूँकि तुम ने भी अपनी क़ौम वालों से वही तकलीफ़ें उठाईं जो उन्होंने यहूदियों से।
ٱلَّذِينَ قَتَلُوا ٱلرَّبَّ يَسُوعَ وَأَنْبِيَاءَهُمْ، وَٱضْطَهَدُونَا نَحْنُ. وَهُمْ غَيْرُ مُرْضِينَ لِلهِ وَأَضْدَادٌ لِجَمِيعِ ٱلنَّاسِ. ١٥ 15
जिन्होंने ख़ुदावन्द ईसा को भी मार डाला और हम को सता सता कर निकाल दिया वो ख़ुदा को पसन्द नहीं आते और सब आदमियों के ख़िलाफ़ हैं।
يَمْنَعُونَنَا عَنْ أَنْ نُكَلِّمَ ٱلْأُمَمَ لِكَيْ يَخْلُصُوا، حَتَّى يُتَمِّمُوا خَطَايَاهُمْ كُلَّ حِينٍ. وَلَكِنْ قَدْ أَدْرَكَهُمُ ٱلْغَضَبُ إِلَى ٱلنِّهَايَةِ. ١٦ 16
और वो हमें ग़ैर क़ौमों को उनकी नजात के लिए कलाम सुनाने से मनह करते हैं ताकि उन के गुनाहों का पैमाना हमेशा भरता रहे; लेकिन उन पर इन्तिहा का ग़ज़ब आ गया।
وَأَمَّا نَحْنُ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ، فَإِذْ قَدْ فَقَدْنَاكُمْ زَمَانَ سَاعَةٍ، بِٱلْوَجْهِ لَا بِٱلْقَلْبِ، ٱجْتَهَدْنَا أَكْثَرَ، بِٱشْتِهَاءٍ كَثِيرٍ، أَنْ نَرَى وُجُوهَكُمْ. ١٧ 17
ऐ भाइयों! जब हम थोड़े अर्से के लिए ज़ाहिर में न कि दिल से तुम से जुदा हो गए तो हम ने कमाल आरज़ू से तुम्हारी सूरत देखने की और भी ज़्यादा कोशिश की।
لِذَلِكَ أَرَدْنَا أَنْ نَأْتِيَ إِلَيْكُمْ - أَنَا بُولُسَ - مَرَّةً وَمَرَّتَيْنِ. وَإِنَّمَا عَاقَنَا ٱلشَّيْطَانُ. ١٨ 18
इस वास्ते हम ने या'नी मुझ पौलुस ने एक दफ़ा' नहीं बल्कि दो दफ़ा' तुम्हारी पास आना चाहा मगर शैतान ने हमें रोके रखा।
لِأَنْ مَنْ هُوَ رَجَاؤُنَا وَفَرَحُنَا وَإِكْلِيلُ ٱفْتِخَارِنَا؟ أَمْ لَسْتُمْ أَنْتُمْ أَيْضًا أَمَامَ رَبِّنَا يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ فِي مَجِيئِهِ؟ ١٩ 19
भला हमारी उम्मीद और ख़ुशी और फ़ख़्र का ताज क्या है? क्या वो हमारे ख़ुदावन्द के सामने उसके आने के वक़्त तुम ही न होगे।
لِأَنَّكُمْ أَنْتُمْ مَجْدُنَا وَفَرَحُنَا. ٢٠ 20
हमारा जलाल और ख़ुशी तुम्हीं तो हो।

< ١ تسالونيكي 2 >