< صَمُوئِيلَ ٱلْأَوَّلُ 28 >

وَكَانَ فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ أَنَّ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ جَمَعُوا جُيُوشَهُمْ لِكَيْ يُحَارِبُوا إِسْرَائِيلَ. فَقَالَ أَخِيشُ لِدَاوُدَ: «ٱعْلَمْ يَقِينًا أَنَّكَ سَتَخْرُجُ مَعِي فِي ٱلْجَيْشِ أَنْتَ وَرِجَالُكَ». ١ 1
उन दिनों में पलिश्तियों ने इस्राएल से लड़ने के लिये अपनी सेना इकट्ठी की तब आकीश ने दाऊद से कहा, “निश्चय जान कि तुझे अपने जवानों समेत मेरे साथ सेना में जाना होगा।”
فَقَالَ دَاوُدُ لِأَخِيشَ: «لِذَلِكَ أَنْتَ سَتَعْلَمُ مَا يَفْعَلُ عَبْدُكَ». فَقَالَ أَخِيشُ لِدَاوُدَ: «لِذَلِكَ أَجْعَلُكَ حَارِسًا لِرَأْسِي كُلَّ ٱلْأَيَّامِ». ٢ 2
दाऊद ने आकीश से कहा, “इस कारण तू जान लेगा कि तेरा दास क्या करेगा।” आकीश ने दाऊद से कहा, “इस कारण मैं तुझे अपने सिर का रक्षक सदा के लिये ठहराऊँगा।”
وَمَاتَ صَمُوئِيلُ وَنَدَبَهُ كُلُّ إِسْرَائِيلَ وَدَفَنُوهُ فِي ٱلرَّامَةِ فِي مَدِينَتِهِ. وَكَانَ شَاوُلُ قَدْ نَفَى أَصْحَابَ ٱلْجَانِّ وَٱلتَّوَابِعِ مِنَ ٱلْأَرْضِ. ٣ 3
शमूएल तो मर गया था, और समस्त इस्राएलियों ने उसके विषय छाती पीटी, और उसको उसके नगर रामाह में मिट्टी दी थी। और शाऊल ने ओझों और भूत-सिद्धि करनेवालों को देश से निकाल दिया था।
فَٱجْتَمَعَ ٱلْفِلِسْطِينِيُّونَ وَجَاءُوا وَنَزَلُوا فِي شُونَمَ، وَجَمَعَ شَاوُلُ جَمِيعَ إِسْرَائِيلَ وَنَزَلَ فِي جِلْبُوعَ. ٤ 4
जब पलिश्ती इकट्ठे हुए और शूनेम में छावनी डाली, तो शाऊल ने सब इस्राएलियों को इकट्ठा किया, और उन्होंने गिलबो में छावनी डाली।
وَلَمَّا رَأَى شَاوُلُ جَيْشَ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ خَافَ وَٱضْطَرَبَ قَلْبُهُ جِدًّا. ٥ 5
पलिश्तियों की सेना को देखकर शाऊल डर गया, और उसका मन अत्यन्त भयभीत हो काँप उठा।
فَسَأَلَ شَاوُلُ مِنَ ٱلرَّبِّ، فَلَمْ يُجِبْهُ ٱلرَّبُّ لَا بِٱلْأَحْلَامِ وَلَا بِٱلْأُورِيمِ وَلَا بِٱلْأَنْبِيَاءِ. ٦ 6
और जब शाऊल ने यहोवा से पूछा, तब यहोवा ने न तो स्वप्न के द्वारा उसे उत्तर दिया, और न ऊरीम के द्वारा, और न भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा।
فَقَالَ شَاوُلُ لِعَبِيدِهِ: «فَتِّشُوا لِي عَلَى ٱمْرَأَةٍ صَاحِبَةِ جَانٍّ، فَأَذْهَبَ إِلَيْهَا وَأَسْأَلَهَا». فَقَالَ لَهُ عَبِيدُهُ: «هُوَذَا ٱمْرَأَةٌ صَاحِبَةُ جَانٍّ فِي عَيْنِ دُورٍ». ٧ 7
तब शाऊल ने अपने कर्मचारियों से कहा, “मेरे लिये किसी भूत-सिद्धि करनेवाली को ढूँढ़ो, कि मैं उसके पास जाकर उससे पूछूँ।” उसके कर्मचारियों ने उससे कहा, “एनदोर में एक भूत-सिद्धि करनेवाली रहती है।”
فَتَنَكَّرَ شَاوُلُ وَلَبِسَ ثِيَابًا أُخْرَى، وَذَهَبَ هُوَ وَرَجُلَانِ مَعَهُ وَجَاءُوا إِلَى ٱلْمَرْأَةِ لَيْلًا. وَقَالَ: «ٱعْرِفِي لِي بِٱلْجَانِّ وَأَصْعِدِي لِي مَنْ أَقُولُ لَكِ». ٨ 8
तब शाऊल ने अपना भेष बदला, और दूसरे कपड़े पहनकर, दो मनुष्य संग लेकर, रातों-रात चलकर उस स्त्री के पास गया; और कहा, “अपने सिद्धि भूत से मेरे लिये भावी कहलवा, और जिसका नाम मैं लूँगा उसे बुलवा दे।”
فَقَالَتْ لَهُ ٱلْمَرْأَةُ: «هُوَذَا أَنْتَ تَعْلَمُ مَا فَعَلَ شَاوُلُ، كَيْفَ قَطَعَ أَصْحَابَ ٱلْجَانِّ وَٱلتَّوَابِعِ مِنَ ٱلْأَرْضِ. فَلِمَاذَا تَضَعُ شَرَكًا لِنَفْسِي لِتُمِيتَهَا؟» ٩ 9
स्त्री ने उससे कहा, “तू जानता है कि शाऊल ने क्या किया है, कि उसने ओझों और भूत-सिद्धि करनेवालों का देश से नाश किया है। फिर तू मेरे प्राण के लिये क्यों फंदा लगाता है कि मुझे मरवा डाले।”
فَحَلَفَ لَهَا شَاوُلُ بِٱلرَّبِّ قَائِلًا: «حَيٌّ هُوَ ٱلرَّبُّ، إِنَّهُ لَا يَلْحَقُكِ إِثْمٌ فِي هَذَا ٱلْأَمْرِ». ١٠ 10
१०शाऊल ने यहोवा की शपथ खाकर उससे कहा, “यहोवा के जीवन की शपथ, इस बात के कारण तुझे दण्ड न मिलेगा।”
فَقَالَتِ ٱلْمَرْأَةُ: «مَنْ أُصْعِدُ لَكَ؟» فَقَالَ: «أَصْعِدِي لِي صَمُوئِيلَ». ١١ 11
११तब स्त्री ने पूछा, “मैं तेरे लिये किसको बुलाऊँ?” उसने कहा, “शमूएल को मेरे लिये बुला।”
فَلَمَّا رَأَتِ ٱلْمَرْأَةُ صَمُوئِيلَ صَرَخَتْ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ، وَكَلَّمَتِ ٱلْمَرْأَةُ شَاوُلَ قَائِلَةً: «لِمَاذَا خَدَعْتَنِي وَأَنْتَ شَاوُلَ؟» ١٢ 12
१२जब स्त्री ने शमूएल को देखा, तब ऊँचे शब्द से चिल्लाई; और शाऊल से कहा, “तूने मुझे क्यों धोखा दिया? तू तो शाऊल है।”
فَقَالَ لَهَا ٱلْمَلِكُ: «لَا تَخَافِي. فَمَاذَا رَأَيْتِ؟» فَقَالَتِ ٱلْمَرْأَةُ لِشَاوُلَ: «رَأَيْتُ آلِهَةً يَصْعَدُونَ مِنَ ٱلْأَرْضِ». ١٣ 13
१३राजा ने उससे कहा, “मत डर; तुझे क्या देख पड़ता है?” स्त्री ने शाऊल से कहा, “मुझे एक देवता पृथ्वी में से चढ़ता हुआ दिखाई पड़ता है।”
فَقَالَ لَهَا: «مَا هِيَ صُورَتُهُ؟» فَقَالَتْ: «رَجُلٌ شَيْخٌ صَاعِدٌ وَهُوَ مُغَطًّى بِجُبَّةٍ». فَعَلِمَ شَاوُلُ أَنَّهُ صَمُوئِيلُ، فَخَرَّ عَلَى وَجْهِهِ إِلَى ٱلْأَرْضِ وَسَجَدَ. ١٤ 14
१४उसने उससे पूछा, “उसका कैसा रूप है?” उसने कहा, “एक बूढ़ा पुरुष बागा ओढ़े हुए चढ़ा आता है।” तब शाऊल ने निश्चय जानकर कि वह शमूएल है, औंधे मुँह भूमि पर गिरकर दण्डवत् किया।
فَقَالَ صَمُوئِيلُ لِشَاوُلَ: «لِمَاذَا أَقْلَقْتَنِي بِإِصْعَادِكَ إِيَّايَ؟» فَقَالَ شَاوُلُ: «قَدْ ضَاقَ بِي ٱلْأَمْرُ جِدًّا. اَلْفِلِسْطِينِيُّونَ يُحَارِبُونَنِي، وَٱلرَّبُّ فَارَقَنِي وَلَمْ يَعُدْ يُجِيبُنِي لَا بِٱلْأَنْبِيَاءِ وَلَا بِٱلْأَحْلَامِ. فَدَعَوْتُكَ لِكَيْ تُعْلِمَنِي مَاذَا أَصْنَعُ». ١٥ 15
१५शमूएल ने शाऊल से पूछा, “तूने मुझे ऊपर बुलवाकर क्यों सताया है?” शाऊल ने कहा, “मैं बड़े संकट में पड़ा हूँ; क्योंकि पलिश्ती मेरे साथ लड़ रहे हैं और परमेश्वर ने मुझे छोड़ दिया, और अब मुझे न तो भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा उत्तर देता है, और न स्वप्नों के; इसलिए मैंने तुझे बुलाया कि तू मुझे जता दे कि मैं क्या करूँ।”
فَقَالَ صَمُوئِيلُ: «وَلِمَاذَا تَسْأَلُنِي وَٱلرَّبُّ قَدْ فَارَقَكَ وَصَارَ عَدُوَّكَ؟ ١٦ 16
१६शमूएल ने कहा, “जब यहोवा तुझे छोड़कर तेरा शत्रु बन गया, तब तू मुझसे क्यों पूछता है?
وَقَدْ فَعَلَ ٱلرَّبُّ لِنَفْسِهِ كَمَا تَكَلَّمَ عَنْ يَدِي، وَقَدْ شَقَّ ٱلرَّبُّ ٱلْمَمْلَكَةَ مِنْ يَدِكَ وَأَعْطَاهَا لِقَرِيبِكَ دَاوُدَ. ١٧ 17
१७यहोवा ने तो जैसे मुझसे कहलवाया था वैसा ही उसने व्यवहार किया है; अर्थात् उसने तेरे हाथ से राज्य छीनकर तेरे पड़ोसी दाऊद को दे दिया है।
لِأَنَّكَ لَمْ تَسْمَعْ لِصَوْتِ ٱلرَّبِّ وَلَمْ تَفْعَلْ حُمُوَّ غَضَبِهِ فِي عَمَالِيقَ، لِذَلِكَ قَدْ فَعَلَ ٱلرَّبُّ بِكَ هَذَا ٱلْأَمْرَ ٱلْيَوْمَ. ١٨ 18
१८तूने जो यहोवा की बात न मानी, और न अमालेकियों को उसके भड़के हुए कोप के अनुसार दण्ड दिया था, इस कारण यहोवा ने तुझ से आज ऐसा बर्ताव किया।
وَيَدْفَعُ ٱلرَّبُّ إِسْرَائِيلَ أَيْضًا مَعَكَ لِيَدِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ. وَغَدًا أَنْتَ وَبَنُوكَ تَكُونُونَ مَعِي، وَيَدْفَعُ ٱلرَّبُّ جَيْشَ إِسْرَائِيلَ أَيْضًا لِيَدِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ». ١٩ 19
१९फिर यहोवा तुझ समेत इस्राएलियों को पलिश्तियों के हाथ में कर देगा; और तू अपने बेटों समेत कल मेरे साथ होगा; और इस्राएली सेना को भी यहोवा पलिश्तियों के हाथ में कर देगा।”
فَأَسْرَعَ شَاوُلُ وَسَقَطَ عَلَى طُولِهِ إِلَى ٱلْأَرْضِ وَخَافَ جِدًّا مِنْ كَلَامِ صَمُوئِيلَ، وَأَيْضًا لَمْ تَكُنْ فِيهِ قُوَّةٌ، لِأَنَّهُ لَمْ يَأْكُلْ طَعَامًا ٱلنَّهَارَ كُلَّهُ وَٱللَّيْلَ. ٢٠ 20
२०तब शाऊल तुरन्त मुँह के बल भूमि पर गिर पड़ा, और शमूएल की बातों के कारण अत्यन्त डर गया; उसने पूरे दिन और रात भोजन न किया था, इससे उसमें बल कुछ भी न रहा।
ثُمَّ جَاءَتِ ٱلْمَرْأَةُ إِلَى شَاوُلَ وَرَأَتْ أَنَّهُ مُرْتَاعٌ جِدًّا، فَقَالَتْ لَهُ: «هُوَذَا قَدْ سَمِعَتْ جَارِيَتُكَ لِصَوْتِكَ فَوَضَعْتُ نَفْسِي فِي كَفِّي وَسَمِعْتُ لِكَلَامِكَ ٱلَّذِي كَلَّمْتَنِي بِهِ. ٢١ 21
२१तब वह स्त्री शाऊल के पास गई, और उसको अति व्याकुल देखकर उससे कहा, “सुन, तेरी दासी ने तो तेरी बात मानी; और मैंने अपने प्राण पर खेलकर तेरे वचनों को सुन लिया जो तूने मुझसे कहा।
وَٱلْآنَ ٱسْمَعْ أَنْتَ أَيْضًا لِصَوْتِ جَارِيَتِكَ فَأَضَعَ قُدَّامَكَ كِسْرَةَ خُبْزٍ وَكُلْ، فَتَكُونَ فِيكَ قُوَّةٌ إِذْ تَسِيرُ فِي ٱلطَّرِيقِ». ٢٢ 22
२२तो अब तू भी अपनी दासी की बात मान; और मैं तेरे सामने एक टुकड़ा रोटी रखूँ; तू उसे खा, कि जब तू अपना मार्ग ले तब तुझे बल आ जाए।”
فَأَبَى وَقَالَ: «لَا آكُلُ». فَأَلَحَّ عَلَيْهِ عَبْدَاهُ وَٱلْمَرْأَةُ أَيْضًا، فَسَمِعَ لِصَوْتِهِمْ وَقَامَ عَنِ ٱلْأَرْضِ وَجَلَسَ عَلَى ٱلسَّرِيرِ. ٢٣ 23
२३उसने इन्कार करके कहा, “मैं न खाऊँगा।” परन्तु उसके सेवकों और स्त्री ने मिलकर यहाँ तक उसे दबाया कि वह उनकी बात मानकर, भूमि पर से उठकर खाट पर बैठ गया।
وَكَانَ لِلْمَرْأَةِ عِجْلٌ مُسَمَّنٌ فِي ٱلْبَيْتِ، فَأَسْرَعَتْ وَذَبَحَتْهُ وَأَخَذَتْ دَقِيقًا وَعَجَنَتْهُ وَخَبَزَتْ فَطِيرًا، ٢٤ 24
२४स्त्री के घर में तो एक तैयार किया हुआ बछड़ा था, उसने फुर्ती करके उसे मारा, फिर आटा लेकर गूँधा, और अख़मीरी रोटी बनाकर
ثُمَّ قَدَّمَتْهُ أَمَامَ شَاوُلَ وَأَمَامَ عَبْدَيْهِ فَأَكَلُوا. وَقَامُوا وَذَهَبُوا فِي تِلْكَ ٱللَّيْلَةِ. ٢٥ 25
२५शाऊल और उसके सेवकों के आगे लाई; और उन्होंने खाया। तब वे उठकर उसी रात चले गए।

< صَمُوئِيلَ ٱلْأَوَّلُ 28 >