< صَمُوئِيلَ ٱلْأَوَّلُ 25 >

وَمَاتَ صَمُوئِيلُ، فَٱجْتَمَعَ جَمِيعُ إِسْرَائِيلَ وَنَدَبُوهُ وَدَفَنُوهُ فِي بَيْتِهِ فِي ٱلرَّامَةِ. وَقَامَ دَاوُدُ وَنَزَلَ إِلَى بَرِّيَّةِ فَارَانَ. ١ 1
शमूएल की मृत्यु हो गई; और समस्त इस्राएलियों ने इकट्ठे होकर उसके लिये छाती पीटी, और उसके घर ही में जो रामाह में था उसको मिट्टी दी। तब दाऊद उठकर पारान जंगल को चला गया।
وَكَانَ رَجُلٌ فِي مَعُونٍ، وَأَمْلَاكُهُ فِي ٱلْكَرْمَلِ، وَكَانَ ٱلرَّجُلُ عَظِيمًا جِدًّا وَلَهُ ثَلَاثَةُ آلَافٍ مِنَ ٱلْغَنَمِ وَأَلْفٌ مِنَ ٱلْمَعْزِ، وَكَانَ يَجُزُّ غَنَمَهُ فِي ٱلْكَرْمَلِ. ٢ 2
माओन में एक पुरुष रहता था जिसका व्यापार कर्मेल में था। और वह पुरुष बहुत धनी था, और उसकी तीन हजार भेड़ें, और एक हजार बकरियाँ थीं; और वह अपनी भेड़ों का ऊन कतर रहा था।
وَٱسْمُ ٱلرَّجُلِ نَابَالُ وَٱسْمُ ٱمْرَأَتِهِ أَبِيجَايِلُ. وَكَانَتِ ٱلْمَرْأَةُ جَيِّدَةَ ٱلْفَهْمِ وَجَمِيلَةَ ٱلصُّورَةِ، وَأَمَّا ٱلرَّجُلُ فَكَانَ قَاسِيًا وَرَدِيءَ ٱلْأَعْمَالِ، وَهُوَ كَالِبِيٌّ. ٣ 3
उस पुरुष का नाम नाबाल, और उसकी पत्नी का नाम अबीगैल था। स्त्री तो बुद्धिमान और रूपवती थी, परन्तु पुरुष कठोर, और बुरे-बुरे काम करनेवाला था; वह कालेबवंशी था।
فَسَمِعَ دَاوُدُ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ أَنَّ نَابَالَ يَجُزُّ غَنَمَهُ. ٤ 4
जब दाऊद ने जंगल में समाचार पाया, कि नाबाल अपनी भेड़ों का ऊन कतर रहा है;
فَأَرْسَلَ دَاوُدُ عَشْرَةَ غِلْمَانٍ، وَقَالَ دَاوُدُ لِلْغِلْمَانِ: «ٱصْعَدُوا إِلَى ٱلْكَرْمَلِ وَٱدْخُلُوا إِلَى نَابَالَ وَٱسْأَلُوا بِٱسْمِي عَنْ سَلَامَتِهِ، ٥ 5
तब दाऊद ने दस जवानों को वहाँ भेज दिया, और दाऊद ने उन जवानों से कहा, “कर्मेल में नाबाल के पास जाकर मेरी ओर से उसका कुशल क्षेम पूछो।
وَقُولُوا هَكَذَا: حَيِيتَ وَأَنْتَ سَالِمٌ، وَبَيْتُكَ سَالِمٌ، وَكُلُّ مَالِكَ سَالِمٌ. ٦ 6
और उससे यह कहो, ‘तू चिरंजीव रहे, तेरा कल्याण हो, और तेरा घराना कल्याण से रहे, और जो कुछ तेरा है वह कल्याण से रहे।
وَٱلْآنَ قَدْ سَمِعْتُ أَنَّ عِنْدَكَ جَزَّازِينَ. حِينَ كَانَ رُعَاتُكَ مَعَنَا، لَمْ نُؤْذِهِمْ وَلَمْ يُفْقَدْ لَهُمْ شَيْءٌ كُلَّ ٱلْأَيَّامِ ٱلَّتِي كَانُوا فِيهَا فِي ٱلْكَرْمَلِ. ٧ 7
मैंने सुना है, कि जो तू ऊन कतर रहा है; तेरे चरवाहे हम लोगों के पास रहे, और न तो हमने उनकी कुछ हानि की, और न उनका कुछ खोया गया।
اِسْأَلْ غِلْمَانَكَ فَيُخْبِرُوكَ. فَلْيَجِدِ ٱلْغِلْمَانُ نِعْمَةً فِي عَيْنَيْكَ لِأَنَّنَا قَدْ جِئْنَا فِي يَوْمٍ طَيِّبٍ، فَأَعْطِ مَا وَجَدَتْهُ يَدُكَ لِعَبِيدِكَ وَلِٱبْنِكَ دَاوُدَ». ٨ 8
अपने जवानों से यह बात पूछ ले, और वे तुझको बताएँगे। अतः इन जवानों पर तेरे अनुग्रह की दृष्टि हो; हम तो आनन्द के समय में आए हैं, इसलिए जो कुछ तेरे हाथ लगे वह अपने दासों और अपने बेटे दाऊद को दे।’”
فَجَاءَ ٱلْغِلْمَانُ وَكَلَّمُوا نَابَالَ حَسَبَ كُلِّ هَذَا ٱلْكَلَامِ بِٱسْمِ دَاوُدَ وَكَفُّوا. ٩ 9
दाऊद के जवान जाकर ऐसी बातें उसके नाम से नाबाल को सुनाकर चुप रहे।
فَأَجَابَ نَابَالُ عَبِيدَ دَاوُدَ وَقَالَ: «مَنْ هُوَ دَاوُدُ؟ وَمَنْ هُوَ ٱبْنُ يَسَّى؟ قَدْ كَثُرَ ٱلْيَوْمَ ٱلْعَبِيدُ ٱلَّذِينَ يَقْحَصُونَ كُلُّ وَاحِدٍ مِنْ أَمَامِ سَيِّدِهِ. ١٠ 10
१०नाबाल ने दाऊद के जनों को उत्तर देकर उनसे कहा, “दाऊद कौन है? यिशै का पुत्र कौन है? आजकल बहुत से दास अपने-अपने स्वामी के पास से भाग जाते हैं।
أَآخُذُ خُبْزِي وَمَائِي وَذَبِيحِيَ ٱلَّذِي ذَبَحْتُ لِجَازِّيَّ وَأُعْطِيهِ لِقَوْمٍ لَا أَعْلَمُ مِنْ أَيْنَ هُمْ؟». ١١ 11
११क्या मैं अपनी रोटी-पानी और जो पशु मैंने अपने कतरनेवालों के लिये मारे हैं लेकर ऐसे लोगों को दे दूँ, जिनको मैं नहीं जानता कि कहाँ के हैं?”
فَتَحَوَّلَ غِلْمَانُ دَاوُدَ إِلَى طَرِيقِهِمْ وَرَجَعُوا وَجَاءُوا وَأَخْبَرُوهُ حَسَبَ كُلِّ هَذَا ٱلْكَلَامِ. ١٢ 12
१२तब दाऊद के जवानों ने लौटकर अपना मार्ग लिया, और लौटकर उसको ये सब बातें ज्यों की त्यों सुना दीं।
فَقَالَ دَاوُدُ لِرِجَالِهِ: «لِيَتَقَلَّدْ كُلُّ وَاحِدٍ مِنْكُمْ سَيْفَهُ». فَتَقَلَّدَ كُلُّ وَاحِدٍ سَيْفَهُ، وَتَقَلَّدَ دَاوُدُ أَيْضًا سَيْفَهُ. وَصَعِدَ وَرَاءَ دَاوُدَ نَحْوُ أَرْبَعِ مِئَةِ رَجُلٍ، وَمَكَثَ مِئَتَانِ مَعَ ٱلْأَمْتِعَةِ. ١٣ 13
१३तब दाऊद ने अपने जनों से कहा, “अपनी-अपनी तलवार बाँध लो।” तब उन्होंने अपनी-अपनी तलवार बाँध ली; और दाऊद ने भी अपनी तलवार बाँध ली; और कोई चार सौ पुरुष दाऊद के पीछे-पीछे चले, और दो सौ सामान के पास रह गए।
فَأَخْبَرَ أَبِيجَايِلَ ٱمْرَأَةَ نَابَالَ غُلَامٌ مِنَ ٱلْغِلْمَانِ قَائِلًا: «هُوَذَا دَاوُدُ أَرْسَلَ رُسُلًا مِنَ ٱلْبَرِّيَّةِ لِيُبَارِكُوا سَيِّدَنَا فَثَارَ عَلَيْهِمْ. ١٤ 14
१४परन्तु एक सेवक ने नाबाल की पत्नी अबीगैल को बताया, “दाऊद ने जंगल से हमारे स्वामी को आशीर्वाद देने के लिये दूत भेजे थे; और उसने उन्हें ललकार दिया।
وَٱلرِّجَالُ مُحْسِنُونَ إِلَيْنَا جِدًّا، فَلَمْ نُؤْذَ وَلَا فُقِدَ مِنَّا شَيْءٌ كُلَّ أَيَّامِ تَرَدُّدِنَا مَعَهُمْ وَنَحْنُ فِي ٱلْحَقْلِ. ١٥ 15
१५परन्तु वे मनुष्य हम से बहुत अच्छा बर्ताव रखते थे, और जब तक हम मैदान में रहते हुए उनके पास आया-जाया करते थे, तब तक न तो हमारी कुछ हानि हुई, और न हमारा कुछ खोया;
كَانُوا سُورًا لَنَا لَيْلًا وَنَهَارًا كُلَّ ٱلْأَيَّامِ ٱلَّتِي كُنَّا فِيهَا مَعَهُمْ نَرْعَى ٱلْغَنَمَ. ١٦ 16
१६जब तक हम उनके साथ भेड़-बकरियाँ चराते रहे, तब तक वे रात दिन हमारी आड़ बने रहे।
وَٱلْآنَ ٱعْلَمِي وَٱنْظُرِي مَاذَا تَعْمَلِينَ، لِأَنَّ ٱلشَّرَّ قَدْ أُعِدَّ عَلَى سَيِّدِنَا وَعَلَى بَيْتِهِ، وَهُوَ ٱبْنُ لَئِيمٍ لَا يُمْكِنُ ٱلْكَلَامُ مَعَهُ». ١٧ 17
१७इसलिए अब सोच विचार कर कि क्या करना चाहिए; क्योंकि उन्होंने हमारे स्वामी की और उसके समस्त घराने की हानि करना ठान लिया होगा, वह तो ऐसा दुष्ट है कि उससे कोई बोल भी नहीं सकता।”
فَبَادَرَتْ أَبِيجَايِلُ وَأَخَذَتْ مِئَتَيْ رَغِيفِ خُبْزٍ، وَزِقَّيْ خَمْرٍ، وَخَمْسَةَ خِرْفَانٍ مُهَيَّأَةً، وَخَمْسَ كَيْلَاتٍ مِنَ ٱلْفَرِيكِ، وَمِئَتَيْ عُنْقُودٍ مِنَ ٱلزَّبِيبِ، وَمِئَتَيْ قُرْصٍ مِنَ ٱلتِّينِ، وَوَضَعَتْهَا عَلَى ٱلْحَمِيرِ. ١٨ 18
१८तब अबीगैल ने फुर्ती से दो सौ रोटी, और दो कुप्पी दाखमधु, और पाँच भेड़ों का माँस, और पाँच सआ भूना हुआ अनाज, और एक सौ गुच्छे किशमिश, और अंजीरों की दो सौ टिकियाँ लेकर गदहों पर लदवाई।
وَقَالَتْ لِغِلْمَانِهَا: «ٱعْبُرُوا قُدَّامِي. هَأَنَذَا جَائِيَةٌ وَرَاءَكُمْ». وَلَمْ تُخْبِرْ رَجُلَهَا نَابَالَ. ١٩ 19
१९और उसने अपने जवानों से कहा, “तुम मेरे आगे-आगे चलो, मैं तुम्हारे पीछे-पीछे आती हूँ;” परन्तु उसने अपने पति नाबाल से कुछ न कहा।
وَفِيمَا هِيَ رَاكِبَةٌ عَلَى ٱلْحِمَارِ وَنَازِلَةٌ فِي سُتْرَةِ ٱلْجَبَلِ، إِذَا بِدَاوُدَ وَرِجَالِهِ مُنْحَدِرُونَ لِٱسْتِقْبَالِهَا، فَصَادَفَتْهُمْ. ٢٠ 20
२०वह गदहे पर चढ़ी हुई पहाड़ की आड़ में उतरी जाती थी, और दाऊद अपने जनों समेत उसके सामने उतरा आता था; और वह उनको मिली।
وَقَالَ دَاوُدُ: «إِنَّمَا بَاطِلًا حَفِظْتُ كُلَّ مَا لِهَذَا فِي ٱلْبَرِّيَّةِ، فَلَمْ يُفْقَدْ مِنْ كُلِّ مَا لَهُ شَيْءٌ، فَكَافَأَنِي شَرًّا بَدَلَ خَيْرٍ. ٢١ 21
२१दाऊद ने तो सोचा था, “मैंने जो जंगल में उसके सब माल की ऐसी रक्षा की कि उसका कुछ भी न खोया, यह निःसन्देह व्यर्थ हुआ; क्योंकि उसने भलाई के बदले मुझसे बुराई ही की है।
هَكَذَا يَصْنَعُ ٱللهُ لِأَعْدَاءِ دَاوُدَ وَهَكَذَا يَزِيدُ، إِنْ أَبْقَيْتُ مِنْ كُلِّ مَا لَهُ إِلَى ضَوْءِ ٱلصَّبَاحِ بَائِلًا بِحَائِطٍ». ٢٢ 22
२२यदि सवेरे को उजियाला होने तक उस जन के समस्त लोगों में से एक लड़के को भी मैं जीवित छोड़ूं, तो परमेश्वर मेरे सब शत्रुओं से ऐसा ही, वरन् इससे भी अधिक करे।”
وَلَمَّا رَأَتْ أَبِيجَايِلُ دَاوُدَ أَسْرَعَتْ وَنَزَلَتْ عَنِ ٱلْحِمَارِ، وَسَقَطَتْ أَمَامَ دَاوُدَ عَلَى وَجْهِهَا وَسَجَدَتْ إِلَى ٱلْأَرْضِ، ٢٣ 23
२३दाऊद को देख अबीगैल फुर्ती करके गदहे पर से उतर पड़ी, और दाऊद के सम्मुख मुँह के बल भूमि पर गिरकर दण्डवत् की।
وَسَقَطَتْ عَلَى رِجْلَيْهِ وَقَالَتْ: «عَلَيَّ أَنَا يَا سَيِّدِي هَذَا ٱلذَّنْبُ، وَدَعْ أَمَتَكَ تَتَكَلَّمُ فِي أُذُنَيْكَ وَٱسْمَعْ كَلَامَ أَمَتِكَ. ٢٤ 24
२४फिर वह उसके पाँव पर गिरकर कहने लगी, “हे मेरे प्रभु, यह अपराध मेरे ही सिर पर हो; तेरी दासी तुझ से कुछ कहना चाहती है, और तू अपनी दासी की बातों को सुन ले।
لَا يَضَعَنَّ سَيِّدِي قَلْبَهُ عَلَى ٱلرَّجُلِ ٱللَّئِيمِ هَذَا، عَلَى نَابَالَ، لِأَنَّ كَٱسْمِهِ هَكَذَا هُوَ. نَابَالُ ٱسْمُهُ وَٱلْحَمَاقَةُ عِنْدَهُ. وَأَنَا أَمَتَكَ لَمْ أَرَ غِلْمَانَ سَيِّدِي ٱلَّذِينَ أَرْسَلْتَهُمْ. ٢٥ 25
२५मेरा प्रभु उस दुष्ट नाबाल पर चित्त न लगाए; क्योंकि जैसा उसका नाम है वैसा ही वह आप है; उसका नाम तो नाबाल है, और सचमुच उसमें मूर्खता पाई जाती है; परन्तु मुझ तेरी दासी ने अपने प्रभु के जवानों को जिन्हें तूने भेजा था न देखा था।
وَٱلْآنَ يَا سَيِّدِي، حَيٌّ هُوَ ٱلرَّبُّ، وَحَيَّةٌ هِيَ نَفْسُكَ، إِنَّ ٱلرَّبَّ قَدْ مَنَعَكَ عَنْ إِتْيَانِ ٱلدِّمَاءِ وَٱنْتِقَامِ يَدِكَ لِنَفْسِكَ. وَٱلْآنَ فَلْيَكُنْ كَنَابَالَ أَعْدَاؤُكَ وَٱلَّذِينَ يَطْلُبُونَ ٱلشَّرَّ لِسَيِّدِي. ٢٦ 26
२६और अब, हे मेरे प्रभु, यहोवा के जीवन की शपथ और तेरे जीवन की शपथ, कि यहोवा ने जो तुझे खून से और अपने हाथ के द्वारा अपना बदला लेने से रोक रखा है, इसलिए अब तेरे शत्रु और मेरे प्रभु की हानि के चाहनेवाले नाबाल ही के समान ठहरें।
وَٱلْآنَ هَذِهِ ٱلْبَرَكَةُ ٱلَّتِي أَتَتْ بِهَا جَارِيَتُكَ إِلَى سَيِّدِي فَلْتُعْطَ لِلْغِلْمَانِ ٱلسَّائِرِينَ وَرَاءَ سَيِّدِي. ٢٧ 27
२७और अब यह भेंट जो तेरी दासी अपने प्रभु के पास लाई है, उन जवानों को दी जाए जो मेरे प्रभु के साथ चलते हैं।
وَٱصْفَحْ عَنْ ذَنْبِ أَمَتِكَ لِأَنَّ ٱلرَّبَّ يَصْنَعُ لِسَيِّدِي بَيْتًا أَمِينًا، لِأَنَّ سَيِّدِي يُحَارِبُ حُرُوبَ ٱلرَّبِّ، وَلَمْ يُوجَدْ فِيكَ شَرٌّ كُلَّ أَيَّامِكَ. ٢٨ 28
२८अपनी दासी का अपराध क्षमा कर; क्योंकि यहोवा निश्चय मेरे प्रभु का घर बसाएगा और स्थिर करेगा, इसलिए कि मेरा प्रभु यहोवा की ओर से लड़ता है; और जन्म भर तुझ में कोई बुराई नहीं पाई जाएगी।
وَقَدْ قَامَ رَجُلٌ لِيُطَارِدَكَ وَيَطْلُبَ نَفْسَكَ، وَلَكِنْ نَفْسُ سَيِّدِي لِتَكُنْ مَحْزُومَةً فِي حُزْمَةِ ٱلْحَيَاةِ مَعَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ. وَأَمَّا نَفْسُ أَعْدَائِكَ فَلْيَرْمِ بِهَا كَمَا مِنْ وَسَطِ كَفَّةِ ٱلْمِقْلَاعِ. ٢٩ 29
२९और यद्यपि एक मनुष्य तेरा पीछा करने और तेरे प्राण का ग्राहक होने को उठा है, तो भी मेरे प्रभु का प्राण तेरे परमेश्वर यहोवा की जीवनरूपी गठरी में बँधा रहेगा, और तेरे शत्रुओं के प्राणों को वह मानो गोफन में रखकर फेंक देगा।
وَيَكُونُ عِنْدَمَا يَصْنَعُ ٱلرَّبُّ لِسَيِّدِي حَسَبَ كُلِّ مَا تَكَلَّمَ بِهِ مِنَ ٱلْخَيْرِ مِنْ أَجْلِكَ، وَيُقِيمُكَ رَئِيسًا عَلَى إِسْرَائِيلَ، ٣٠ 30
३०इसलिए जब यहोवा मेरे प्रभु के लिये यह समस्त भलाई करेगा जो उसने तेरे विषय में कही है, और तुझे इस्राएल पर प्रधान करके ठहराएगा,
أَنَّهُ لَا تَكُونُ لَكَ هَذِهِ مَصْدَمَةً وَمَعْثَرَةَ قَلْبٍ لِسَيِّدِي، أَنَّكَ قَدْ سَفَكْتَ دَمًا عَفْوًا، أَوْ أَنَّ سَيِّدِي قَدِ ٱنْتَقَمَ لِنَفْسِهِ. وَإِذَا أَحْسَنَ ٱلرَّبُّ إِلَى سَيِّدِي فَٱذْكُرْ أَمَتَكَ». ٣١ 31
३१तब तुझे इस कारण पछताना न होगा, या मेरे प्रभु का हृदय पीड़ित न होगा कि तूने अकारण खून किया, और मेरे प्रभु ने अपना बदला आप लिया है। फिर जब यहोवा मेरे प्रभु से भलाई करे तब अपनी दासी को स्मरण करना।”
فَقَالَ دَاوُدُ لِأَبِيجَايِلَ: «مُبَارَكٌ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِي أَرْسَلَكِ هَذَا ٱلْيَوْمَ لِٱسْتِقْبَالِي، ٣٢ 32
३२दाऊद ने अबीगैल से कहा, “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा धन्य है, जिसने आज के दिन मुझसे भेंट करने के लिये तुझे भेजा है।
وَمُبَارَكٌ عَقْلُكِ، وَمُبَارَكَةٌ أَنْتِ، لِأَنَّكِ مَنَعْتِنِي ٱلْيَوْمَ مِنْ إِتْيَانِ ٱلدِّمَاءِ وَٱنْتِقَامِ يَدِي لِنَفْسِي. ٣٣ 33
३३और तेरा विवेक धन्य है, और तू आप भी धन्य है, कि तूने मुझे आज के दिन खून करने और अपना बदला आप लेने से रोक लिया है।
وَلَكِنْ حَيٌّ هُوَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِي مَنَعَنِي عَنْ أَذِيَّتِكِ، إِنَّكِ لَوْ لَمْ تُبَادِرِي وَتَأْتِي لِٱسْتِقْبَالِي، لَمَا أُبْقِيَ لِنَابَالَ إِلَى ضَوْءِ ٱلصَّبَاحِ بَائِلٌ بِحَائِطٍ». ٣٤ 34
३४क्योंकि सचमुच इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिसने मुझे तेरी हानि करने से रोका है, उसके जीवन की शपथ, यदि तू फुर्ती करके मुझसे भेंट करने को न आती, तो निःसन्देह सवेरे को उजियाला होने तक नाबाल का कोई लड़का भी न बचता।”
فَأَخَذَ دَاوُدُ مِنْ يَدِهَا مَا أَتَتْ بِهِ إِلَيْهِ وَقَالَ لَهَا: «ٱصْعَدِي بِسَلَامٍ إِلَى بَيْتِكِ. اُنْظُرِي. قَدْ سَمِعْتُ لِصَوْتِكِ وَرَفَعْتُ وَجْهَكِ». ٣٥ 35
३५तब दाऊद ने उसे ग्रहण किया जो वह उसके लिये लाई थी; फिर उससे उसने कहा, “अपने घर कुशल से जा; सुन, मैंने तेरी बात मानी है और तेरी विनती ग्रहण कर ली है।”
فَجَاءَتْ أَبِيجَايِلُ إِلَى نَابَالَ وَإِذَا وَلِيمَةٌ عِنْدَهُ فِي بَيْتِهِ كَوَلِيمَةِ مَلِكٍ. وَكَانَ نَابَالُ قَدْ طَابَ قَلْبُهُ وَكَانَ سَكْرَانَ جِدًّا، فَلَمْ تُخْبِرْهُ بِشَيْءٍ صَغِيرٍ أَوْ كَبِيرٍ إِلَى ضَوْءِ ٱلصَّبَاحِ. ٣٦ 36
३६तब अबीगैल नाबाल के पास लौट गई; और क्या देखती है, कि वह घर में राजा का सा भोज कर रहा है। और नाबाल का मन मगन है, और वह नशे में अति चूर हो गया है; इसलिए उसने भोर का उजियाला होने से पहले उससे कुछ भी न कहा।
وَفِي ٱلصَّبَاحِ عِنْدَ خُرُوجِ ٱلْخَمْرِ مِنْ نَابَالَ أَخْبَرَتْهُ ٱمْرَأَتُهُ بِهَذَا ٱلْكَلَامِ، فَمَاتَ قَلْبُهُ دَاخِلَهُ وَصَارَ كَحَجَرٍ. ٣٧ 37
३७सवेरे को जब नाबाल का नशा उतर गया, तब उसकी पत्नी ने उसे सारा हाल कह सुनाया, तब उसके मन का हियाव जाता रहा, और वह पत्थर सा सुन्न हो गया।
وَبَعْدَ نَحْوِ عَشْرَةَ أَيَّامٍ ضَرَبَ ٱلرَّبُّ نَابَالَ فَمَاتَ. ٣٨ 38
३८और दस दिन के पश्चात् यहोवा ने नाबाल को ऐसा मारा, कि वह मर गया।
فَلَمَّا سَمِعَ دَاوُدُ أَنَّ نَابَالَ قَدْ مَاتَ قَالَ: «مُبَارَكٌ ٱلرَّبُّ ٱلَّذِي ٱنْتَقَمَ نَقْمَةَ تَعْيِيرِي مِنْ يَدِ نَابَالَ، وَأَمْسَكَ عَبْدَهُ عَنِ ٱلشَّرِّ، وَرَدَّ ٱلرَّبُّ شَرَّ نَابَالَ عَلَى رَأْسِهِ». وَأَرْسَلَ دَاوُدُ وَتَكَلَّمَ مَعَ أَبِيجَايِلَ لِيَتَّخِذَهَا لَهُ ٱمْرَأَةً. ٣٩ 39
३९नाबाल के मरने का हाल सुनकर दाऊद ने कहा, “धन्य है यहोवा जिसने नाबाल के साथ मेरी नामधराई का मुकद्दमा लड़कर अपने दास को बुराई से रोक रखा; और यहोवा ने नाबाल की बुराई को उसी के सिर पर लाद दिया है।” तब दाऊद ने लोगों को अबीगैल के पास इसलिए भेजा कि वे उससे उसकी पत्नी होने की बातचीत करें।
فَجَاءَ عَبِيدُ دَاوُدَ إِلَى أَبِيجَايِلَ إِلَى ٱلْكَرْمَلِ وَكَلَّمُوهَا قَائِلِينَ: «إِنَّ دَاوُدَ قَدْ أَرْسَلَنَا إِلَيْكِ لِكَيْ نَتَّخِذَكِ لَهُ ٱمْرَأَةً». ٤٠ 40
४०तो जब दाऊद के सेवक कर्मेल को अबीगैल के पास पहुँचे, तब उससे कहने लगे, “दाऊद ने हमें तेरे पास इसलिए भेजा है कि तू उसकी पत्नी बने।”
فَقَامَتْ وَسَجَدَتْ عَلَى وَجْهِهَا إِلَى ٱلْأَرْضِ وَقَالَتْ: «هُوَذَا أَمَتُكَ جَارِيَةٌ لِغَسْلِ أَرْجُلِ عَبِيدِ سَيِّدِي». ٤١ 41
४१तब वह उठी, और मुँह के बल भूमि पर गिर दण्डवत् करके कहा, “तेरी दासी अपने प्रभु के सेवकों के चरण धोने के लिये दासी बने।”
ثُمَّ بَادَرَتْ وَقَامَتْ أَبِيجَايِلُ وَرَكِبَتِ ٱلْحِمَارَ مَعَ خَمْسِ فَتَيَاتٍ لَهَا ذَاهِبَاتٍ وَرَاءَهَا، وَسَارَتْ وَرَاءَ رُسُلِ دَاوُدَ وَصَارَتْ لَهُ ٱمْرَأَةً. ٤٢ 42
४२तब अबीगैल फुर्ती से उठी, और गदहे पर चढ़ी, और उसकी पाँच सहेलियाँ उसके पीछे-पीछे हो लीं; और वह दाऊद के दूतों के पीछे-पीछे गई; और उसकी पत्नी हो गई।
ثُمَّ أَخَذَ دَاوُدُ أَخِينُوعَمَ مِنْ يَزْرَعِيلَ فَكَانَتَا لَهُ كِلْتَاهُمَا ٱمْرَأَتَيْنِ. ٤٣ 43
४३और दाऊद ने यिज्रेल नगर की अहीनोअम से भी विवाह कर लिया, तो वे दोनों उसकी पत्नियाँ हुईं।
فَأَعْطَى شَاوُلُ مِيكَالَ ٱبْنَتَهُ ٱمْرَأَةَ دَاوُدَ لِفَلْطِي بْنِ لَايِشَ ٱلَّذِي مِنْ جَلِّيمَ. ٤٤ 44
४४परन्तु शाऊल ने अपनी बेटी दाऊद की पत्नी मीकल को लैश के पुत्र गल्लीमवासी पलती को दे दिया था।

< صَمُوئِيلَ ٱلْأَوَّلُ 25 >