< صَمُوئِيلَ ٱلْأَوَّلُ 25 >

وَمَاتَ صَمُوئِيلُ، فَٱجْتَمَعَ جَمِيعُ إِسْرَائِيلَ وَنَدَبُوهُ وَدَفَنُوهُ فِي بَيْتِهِ فِي ٱلرَّامَةِ. وَقَامَ دَاوُدُ وَنَزَلَ إِلَى بَرِّيَّةِ فَارَانَ. ١ 1
शमुएल की मृत्यु हो गई. सारा इस्राएलियों ने एकत्र होकर उनके लिए विलाप किया; उन्हें उनके गृहनगर रामाह में गाड़ दिया. इसके बाद दावीद पारान के निर्जन प्रदेश में जाकर रहने लगे.
وَكَانَ رَجُلٌ فِي مَعُونٍ، وَأَمْلَاكُهُ فِي ٱلْكَرْمَلِ، وَكَانَ ٱلرَّجُلُ عَظِيمًا جِدًّا وَلَهُ ثَلَاثَةُ آلَافٍ مِنَ ٱلْغَنَمِ وَأَلْفٌ مِنَ ٱلْمَعْزِ، وَكَانَ يَجُزُّ غَنَمَهُ فِي ٱلْكَرْمَلِ. ٢ 2
कालेब के कुल का एक व्यक्ति था, वह माओन नगर का निवासी था. कर्मेल नगर के निकट वह एक भूखण्ड का स्वामी था. वह बहुत ही धनी व्यक्ति था. उसके तीन हज़ार भेड़ें, तथा एक हज़ार बकरियां थी.
وَٱسْمُ ٱلرَّجُلِ نَابَالُ وَٱسْمُ ٱمْرَأَتِهِ أَبِيجَايِلُ. وَكَانَتِ ٱلْمَرْأَةُ جَيِّدَةَ ٱلْفَهْمِ وَجَمِيلَةَ ٱلصُّورَةِ، وَأَمَّا ٱلرَّجُلُ فَكَانَ قَاسِيًا وَرَدِيءَ ٱلْأَعْمَالِ، وَهُوَ كَالِبِيٌّ. ٣ 3
उसका नाम नाबाल था और उसकी अबीगइल नामक पत्नी थी, जो बहुत ही रूपवती एवं विदुषी थी. मगर वह स्वयं बहुत ही नीच, क्रूर तथा क्रुद्ध प्रकृति का था.
فَسَمِعَ دَاوُدُ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ أَنَّ نَابَالَ يَجُزُّ غَنَمَهُ. ٤ 4
इस समय दावीद निर्जन प्रदेश में थे, और उन्हें मालूम हुआ कि नाबाल भेड़ों का ऊन क़तर रहा है.
فَأَرْسَلَ دَاوُدُ عَشْرَةَ غِلْمَانٍ، وَقَالَ دَاوُدُ لِلْغِلْمَانِ: «ٱصْعَدُوا إِلَى ٱلْكَرْمَلِ وَٱدْخُلُوا إِلَى نَابَالَ وَٱسْأَلُوا بِٱسْمِي عَنْ سَلَامَتِهِ، ٥ 5
तब दावीद ने वहां दस नवयुवक भेज दिए और उन्हें यह आदेश दिया, “नाबाल से भेंटकरने कर्मेल नगर चले जाओ और उसे मेरी ओर से शुभकामनाएं तथा अभिवंदन प्रस्तुत करना.
وَقُولُوا هَكَذَا: حَيِيتَ وَأَنْتَ سَالِمٌ، وَبَيْتُكَ سَالِمٌ، وَكُلُّ مَالِكَ سَالِمٌ. ٦ 6
तब तुम उससे कहना: ‘आप पर तथा आपके परिवार पर शांति स्थिर रहें! आप चिरायु हों! आपकी सारी संपत्ति पर समृद्धि बनी रहे!
وَٱلْآنَ قَدْ سَمِعْتُ أَنَّ عِنْدَكَ جَزَّازِينَ. حِينَ كَانَ رُعَاتُكَ مَعَنَا، لَمْ نُؤْذِهِمْ وَلَمْ يُفْقَدْ لَهُمْ شَيْءٌ كُلَّ ٱلْأَيَّامِ ٱلَّتِي كَانُوا فِيهَا فِي ٱلْكَرْمَلِ. ٧ 7
“‘मुझे यह समाचार प्राप्‍त हुआ है कि आपकी भेड़ों का ऊन क़तरा जा रहा है. जब आपके चरवाहे हमारे साथ थे, सारे समय जब वे कर्मेल में थे, हमने न तो उन्हें अपमानित किया, न उन्हें कोई हानि पहुंचाई है.
اِسْأَلْ غِلْمَانَكَ فَيُخْبِرُوكَ. فَلْيَجِدِ ٱلْغِلْمَانُ نِعْمَةً فِي عَيْنَيْكَ لِأَنَّنَا قَدْ جِئْنَا فِي يَوْمٍ طَيِّبٍ، فَأَعْطِ مَا وَجَدَتْهُ يَدُكَ لِعَبِيدِكَ وَلِٱبْنِكَ دَاوُدَ». ٨ 8
आप स्वयं अपने सेवकों से इस विषय में पूछ सकते हैं. आपकी कृपा हम पर बनी रहे. हम आपकी सेवा में उत्सव के मौके पर आए हैं. कृपया अपने सेवकों को, तथा अपने पुत्र समान सेवक दावीद को, जो कुछ आपको सही लगे, दे दीजिए.’”
فَجَاءَ ٱلْغِلْمَانُ وَكَلَّمُوا نَابَالَ حَسَبَ كُلِّ هَذَا ٱلْكَلَامِ بِٱسْمِ دَاوُدَ وَكَفُّوا. ٩ 9
दावीद के नवयुवक साथी वहां गए, और दावीद की ओर से नाबाल को यह संदेश दे दिया, और वे नाबाल के प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा करने लगे.
فَأَجَابَ نَابَالُ عَبِيدَ دَاوُدَ وَقَالَ: «مَنْ هُوَ دَاوُدُ؟ وَمَنْ هُوَ ٱبْنُ يَسَّى؟ قَدْ كَثُرَ ٱلْيَوْمَ ٱلْعَبِيدُ ٱلَّذِينَ يَقْحَصُونَ كُلُّ وَاحِدٍ مِنْ أَمَامِ سَيِّدِهِ. ١٠ 10
“कौन है यह दावीद?” नाबाल ने दावीद के साथियों को उत्तर दिया, “और कौन है यह यिशै का पुत्र? कैसा समय आ गया है, जो सारे दास अपने स्वामियों को छोड़-छोड़कर भाग रहे हैं.
أَآخُذُ خُبْزِي وَمَائِي وَذَبِيحِيَ ٱلَّذِي ذَبَحْتُ لِجَازِّيَّ وَأُعْطِيهِ لِقَوْمٍ لَا أَعْلَمُ مِنْ أَيْنَ هُمْ؟». ١١ 11
अब क्या मेरे लिए यही शेष रह गया है कि मैं अपने सेवकों के हिस्से का भोजन लेकर इन लोगों को दे दूं? मुझे तो यही समझ नहीं आ रहा कि ये लोग कौन हैं, और कहां से आए हैं?”
فَتَحَوَّلَ غِلْمَانُ دَاوُدَ إِلَى طَرِيقِهِمْ وَرَجَعُوا وَجَاءُوا وَأَخْبَرُوهُ حَسَبَ كُلِّ هَذَا ٱلْكَلَامِ. ١٢ 12
तब दावीद के साथी लौट गए. लौटकर उन्होंने दावीद को यह सब सुना दिया.
فَقَالَ دَاوُدُ لِرِجَالِهِ: «لِيَتَقَلَّدْ كُلُّ وَاحِدٍ مِنْكُمْ سَيْفَهُ». فَتَقَلَّدَ كُلُّ وَاحِدٍ سَيْفَهُ، وَتَقَلَّدَ دَاوُدُ أَيْضًا سَيْفَهُ. وَصَعِدَ وَرَاءَ دَاوُدَ نَحْوُ أَرْبَعِ مِئَةِ رَجُلٍ، وَمَكَثَ مِئَتَانِ مَعَ ٱلْأَمْتِعَةِ. ١٣ 13
दावीद ने अपने साथियों को आदेश दिया, “हर एक व्यक्ति अपनी तलवार उठा ले!” तब सबने अपनी तलवार धारण कर ली. दावीद ने भी अपनी तलवार धारण कर ली. ये सब लगभग चार सौ व्यक्ति थे, जो इस अभियान में दावीद के साथ थे, शेष लगभग दो सौ उनके विभिन्‍न उपकरणों तथा आवश्यक सामग्री की रक्षा के लिए ठहर गए.
فَأَخْبَرَ أَبِيجَايِلَ ٱمْرَأَةَ نَابَالَ غُلَامٌ مِنَ ٱلْغِلْمَانِ قَائِلًا: «هُوَذَا دَاوُدُ أَرْسَلَ رُسُلًا مِنَ ٱلْبَرِّيَّةِ لِيُبَارِكُوا سَيِّدَنَا فَثَارَ عَلَيْهِمْ. ١٤ 14
इसी बीच नाबाल के एक सेवक ने नाबाल की पत्नी अबीगइल को संपूर्ण घटना का वृत्तांत सुना दिया, “दावीद ने हमारे स्वामी के पास मरुभूमि से अपने प्रतिनिधि भेजे थे, कि वे उन्हें अपनी शुभकामनाएं प्रस्तुत करें, मगर स्वामी ने उन्हें घोर अपमान करके लौटा दिया है.
وَٱلرِّجَالُ مُحْسِنُونَ إِلَيْنَا جِدًّا، فَلَمْ نُؤْذَ وَلَا فُقِدَ مِنَّا شَيْءٌ كُلَّ أَيَّامِ تَرَدُّدِنَا مَعَهُمْ وَنَحْنُ فِي ٱلْحَقْلِ. ١٥ 15
ये सभी व्यक्ति हमारे साथ बहुत ही सौहार्दपूर्ण रीति से व्यवहार करते रहे थे. उन्होंने न कभी हमारा अपमान किया, न कभी हमारी कोई हानि ही की. जब हम मैदानों में भेड़ें चराया करते थे हमारी कोई भी भेड़ नहीं खोई. हम सदैव साथ साथ रहे.
كَانُوا سُورًا لَنَا لَيْلًا وَنَهَارًا كُلَّ ٱلْأَيَّامِ ٱلَّتِي كُنَّا فِيهَا مَعَهُمْ نَرْعَى ٱلْغَنَمَ. ١٦ 16
दिन और रात संपूर्ण समय वे मानो हमारे लिए सुरक्षा की दीवार बने रहते थे, जब हम उनके साथ मिलकर भेड़ें चराया करते थे.
وَٱلْآنَ ٱعْلَمِي وَٱنْظُرِي مَاذَا تَعْمَلِينَ، لِأَنَّ ٱلشَّرَّ قَدْ أُعِدَّ عَلَى سَيِّدِنَا وَعَلَى بَيْتِهِ، وَهُوَ ٱبْنُ لَئِيمٍ لَا يُمْكِنُ ٱلْكَلَامُ مَعَهُ». ١٧ 17
अब आप स्थिति की गंभीरता को पहचान लीजिए और विचार कीजिए, कि अब आपका क्या करना सही होगा, क्योंकि अब हमारे स्वामी और उनके संपूर्ण परिवार के लिए बुरा योजित हो चुका है. वह ऐसा दुष्ट व्यक्ति हैं, कि कोई उन्हें सुझाव भी नहीं दे सकता.”
فَبَادَرَتْ أَبِيجَايِلُ وَأَخَذَتْ مِئَتَيْ رَغِيفِ خُبْزٍ، وَزِقَّيْ خَمْرٍ، وَخَمْسَةَ خِرْفَانٍ مُهَيَّأَةً، وَخَمْسَ كَيْلَاتٍ مِنَ ٱلْفَرِيكِ، وَمِئَتَيْ عُنْقُودٍ مِنَ ٱلزَّبِيبِ، وَمِئَتَيْ قُرْصٍ مِنَ ٱلتِّينِ، وَوَضَعَتْهَا عَلَى ٱلْحَمِيرِ. ١٨ 18
यह सुनते ही अबीगइल ने तत्काल दो सौ रोटियां, दो छागलें द्राक्षारस, पांच भेड़ें, जो पकाई जा चुकी थी, पांच माप भुना हुआ अन्‍न, किशमिश के सौ पिंड तथा दो सौ पिंड अंजीरों को लेकर गधों पर लाद दिया.
وَقَالَتْ لِغِلْمَانِهَا: «ٱعْبُرُوا قُدَّامِي. هَأَنَذَا جَائِيَةٌ وَرَاءَكُمْ». وَلَمْ تُخْبِرْ رَجُلَهَا نَابَالَ. ١٩ 19
“उसने अपने सेवकों को आदेश दिया, मेरे आगे-आगे चलो, मैं तुम्हारे पीछे आऊंगी.” मगर स्वयं उसने इसकी सूचना अपने पति नाबाल को नहीं दी.
وَفِيمَا هِيَ رَاكِبَةٌ عَلَى ٱلْحِمَارِ وَنَازِلَةٌ فِي سُتْرَةِ ٱلْجَبَلِ، إِذَا بِدَاوُدَ وَرِجَالِهِ مُنْحَدِرُونَ لِٱسْتِقْبَالِهَا، فَصَادَفَتْهُمْ. ٢٠ 20
जब वह अपने गधे पर बैठी हुई पर्वत के उस गुप्‍त मार्ग पर थी, उसने देखा कि दावीद तथा उनके साथी उसी की ओर बढ़े चले आ रहे थे, और वे आमने-सामने आ गए.
وَقَالَ دَاوُدُ: «إِنَّمَا بَاطِلًا حَفِظْتُ كُلَّ مَا لِهَذَا فِي ٱلْبَرِّيَّةِ، فَلَمْ يُفْقَدْ مِنْ كُلِّ مَا لَهُ شَيْءٌ، فَكَافَأَنِي شَرًّا بَدَلَ خَيْرٍ. ٢١ 21
इस समय दावीद विचार कर ही रहे थे, “निर्जन प्रदेश में हमने व्यर्थ ही इस व्यक्ति की संपत्ति की ऐसी रक्षा की, कि उसकी कुछ भी हानि नहीं हुई, मगर उसने इस उपकार का प्रतिफल हमें इस बुराई से दिया है.
هَكَذَا يَصْنَعُ ٱللهُ لِأَعْدَاءِ دَاوُدَ وَهَكَذَا يَزِيدُ، إِنْ أَبْقَيْتُ مِنْ كُلِّ مَا لَهُ إِلَى ضَوْءِ ٱلصَّبَاحِ بَائِلًا بِحَائِطٍ». ٢٢ 22
यदि प्रातःकाल तक उसके संबंधियों में से एक भी नर जीवित छोड़ दूं, तो परमेश्वर दावीद के शत्रुओं से ऐसा ही, एवं इससे भी बढ़कर करें!”
وَلَمَّا رَأَتْ أَبِيجَايِلُ دَاوُدَ أَسْرَعَتْ وَنَزَلَتْ عَنِ ٱلْحِمَارِ، وَسَقَطَتْ أَمَامَ دَاوُدَ عَلَى وَجْهِهَا وَسَجَدَتْ إِلَى ٱلْأَرْضِ، ٢٣ 23
दावीद को पहचानते ही अबीगइल तत्काल अपने गधे से उतर पड़ीं, उनके सामने मुख के बल गिर दंडवत हुई.
وَسَقَطَتْ عَلَى رِجْلَيْهِ وَقَالَتْ: «عَلَيَّ أَنَا يَا سَيِّدِي هَذَا ٱلذَّنْبُ، وَدَعْ أَمَتَكَ تَتَكَلَّمُ فِي أُذُنَيْكَ وَٱسْمَعْ كَلَامَ أَمَتِكَ. ٢٤ 24
तब उन्होंने दावीद के चरणों पर गिरकर उनसे कहा, “दोष सिर्फ मेरा ही है, मेरे स्वामी, अपनी सेविका को बोलने की अनुमति दें, तथा आप मेरा पक्ष सुन लें.
لَا يَضَعَنَّ سَيِّدِي قَلْبَهُ عَلَى ٱلرَّجُلِ ٱللَّئِيمِ هَذَا، عَلَى نَابَالَ، لِأَنَّ كَٱسْمِهِ هَكَذَا هُوَ. نَابَالُ ٱسْمُهُ وَٱلْحَمَاقَةُ عِنْدَهُ. وَأَنَا أَمَتَكَ لَمْ أَرَ غِلْمَانَ سَيِّدِي ٱلَّذِينَ أَرْسَلْتَهُمْ. ٢٥ 25
मेरे स्वामी, कृपया आप इस निकम्मे व्यक्ति नाबाल के कड़वे वचनों पर ध्यान न दें. उसकी प्रकृति ठीक उसके नाम के ही अनुरूप है. उसका नाम है नाबाल और मूर्खता उसमें सचमुच व्याप्‍त है. खेद है कि उस समय मैं वहां न थी, जब आपके साथी वहां आए हुए थे.
وَٱلْآنَ يَا سَيِّدِي، حَيٌّ هُوَ ٱلرَّبُّ، وَحَيَّةٌ هِيَ نَفْسُكَ، إِنَّ ٱلرَّبَّ قَدْ مَنَعَكَ عَنْ إِتْيَانِ ٱلدِّمَاءِ وَٱنْتِقَامِ يَدِكَ لِنَفْسِكَ. وَٱلْآنَ فَلْيَكُنْ كَنَابَالَ أَعْدَاؤُكَ وَٱلَّذِينَ يَطْلُبُونَ ٱلشَّرَّ لِسَيِّدِي. ٢٦ 26
और अब मेरे स्वामी, याहवेह की शपथ, आप चिरायु हों, क्योंकि याहवेह ने ही आपको रक्तपात के दोष से बचा लिया है, और आपको यह काम अपने हाथों से करने से रोक दिया है. अब मेरी कामना है कि आपके शत्रुओं की, जो आपकी हानि करने पर उतारू हैं, उनकी स्थिति वैसी ही हो, जैसी नाबाल की.
وَٱلْآنَ هَذِهِ ٱلْبَرَكَةُ ٱلَّتِي أَتَتْ بِهَا جَارِيَتُكَ إِلَى سَيِّدِي فَلْتُعْطَ لِلْغِلْمَانِ ٱلسَّائِرِينَ وَرَاءَ سَيِّدِي. ٢٧ 27
अब आपकी सेविका द्वारा लाई गई इस भेंट को हे स्वामी, आप स्वीकार करें कि इन्हें अपने साथियों में बाट दें.
وَٱصْفَحْ عَنْ ذَنْبِ أَمَتِكَ لِأَنَّ ٱلرَّبَّ يَصْنَعُ لِسَيِّدِي بَيْتًا أَمِينًا، لِأَنَّ سَيِّدِي يُحَارِبُ حُرُوبَ ٱلرَّبِّ، وَلَمْ يُوجَدْ فِيكَ شَرٌّ كُلَّ أَيَّامِكَ. ٢٨ 28
“कृपया अपनी सेविका की इस भूल को क्षमा कर दें. याहवेह आपके परिवार को प्रतिष्ठित करेंगे, क्योंकि मेरे स्वामी याहवेह के प्रतिनिधि होकर युद्ध कर रहे हैं. अपने संपूर्ण जीवन में अपने किसी का बुरा नहीं चाहा है.
وَقَدْ قَامَ رَجُلٌ لِيُطَارِدَكَ وَيَطْلُبَ نَفْسَكَ، وَلَكِنْ نَفْسُ سَيِّدِي لِتَكُنْ مَحْزُومَةً فِي حُزْمَةِ ٱلْحَيَاةِ مَعَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ. وَأَمَّا نَفْسُ أَعْدَائِكَ فَلْيَرْمِ بِهَا كَمَا مِنْ وَسَطِ كَفَّةِ ٱلْمِقْلَاعِ. ٢٩ 29
यदि कोई आपके प्राण लेने के उद्देश्य से आपका पीछा करना शुरू कर दे, तब मेरे स्वामी का जीवन याहवेह, आपके परमेश्वर की सुरक्षा में जीवितों की झोली में संचित कर लिया जाएगा, मगर आपके शत्रुओं के जीवन को इस प्रकार दूर प्रक्षेपित कर देंगे, जैसे गोफन के द्वारा पत्थर फेंक दिया जाता है.
وَيَكُونُ عِنْدَمَا يَصْنَعُ ٱلرَّبُّ لِسَيِّدِي حَسَبَ كُلِّ مَا تَكَلَّمَ بِهِ مِنَ ٱلْخَيْرِ مِنْ أَجْلِكَ، وَيُقِيمُكَ رَئِيسًا عَلَى إِسْرَائِيلَ، ٣٠ 30
याहवेह मेरे स्वामी के लिए वह सब करेंगे, जिसकी उन्होंने आपसे प्रतिज्ञा की है. वह आपको इस्राएल के शासक बनाएंगे,
أَنَّهُ لَا تَكُونُ لَكَ هَذِهِ مَصْدَمَةً وَمَعْثَرَةَ قَلْبٍ لِسَيِّدِي، أَنَّكَ قَدْ سَفَكْتَ دَمًا عَفْوًا، أَوْ أَنَّ سَيِّدِي قَدِ ٱنْتَقَمَ لِنَفْسِهِ. وَإِذَا أَحْسَنَ ٱلرَّبُّ إِلَى سَيِّدِي فَٱذْكُرْ أَمَتَكَ». ٣١ 31
अब आपकी अंतरात्मा निर्दोष के लहू बहाने के दोष से न भरेगी, और न आपको इस विषय में कोई खेद होगा कि आपने स्वयं बदला ले लिया. मेरे स्वामी, जब याहवेह आपको उन्‍नत करें, कृपया अपनी सेविका को अवश्य याद रखियेगा.”
فَقَالَ دَاوُدُ لِأَبِيجَايِلَ: «مُبَارَكٌ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِي أَرْسَلَكِ هَذَا ٱلْيَوْمَ لِٱسْتِقْبَالِي، ٣٢ 32
अबीगइल से ये उद्गार सुनकर दावीद ने उन्हें संबोधित कर कहा, “याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की स्तुति हो, जिन्होंने आपको मुझसे भेंटकरने भेज दिया है.
وَمُبَارَكٌ عَقْلُكِ، وَمُبَارَكَةٌ أَنْتِ، لِأَنَّكِ مَنَعْتِنِي ٱلْيَوْمَ مِنْ إِتْيَانِ ٱلدِّمَاءِ وَٱنْتِقَامِ يَدِي لِنَفْسِي. ٣٣ 33
सराहनीय है आपका उत्तम अनुमान! आज मुझे रक्तपात से रोक देने के कारण आप स्वयं सराहना की पात्र हैं. आपने मुझे आज स्वयं बदला लेने की भूल से भी बचा लिया है.
وَلَكِنْ حَيٌّ هُوَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِي مَنَعَنِي عَنْ أَذِيَّتِكِ، إِنَّكِ لَوْ لَمْ تُبَادِرِي وَتَأْتِي لِٱسْتِقْبَالِي، لَمَا أُبْقِيَ لِنَابَالَ إِلَى ضَوْءِ ٱلصَّبَاحِ بَائِلٌ بِحَائِطٍ». ٣٤ 34
याहवेह, इस्राएल के जीवन्त परमेश्वर की शपथ, जिन्होंने मुझे आपका बुरा करने से रोक दिया है, यदि आप आज इतने शीघ्र मुझसे भेंटकरने न आयी होती, सबेरे, दिन का प्रकाश होते-होते, नाबाल परिवार का एक भी नर जीवित न रहता.”
فَأَخَذَ دَاوُدُ مِنْ يَدِهَا مَا أَتَتْ بِهِ إِلَيْهِ وَقَالَ لَهَا: «ٱصْعَدِي بِسَلَامٍ إِلَى بَيْتِكِ. اُنْظُرِي. قَدْ سَمِعْتُ لِصَوْتِكِ وَرَفَعْتُ وَجْهَكِ». ٣٥ 35
तब दावीद ने उसके हाथ से उसके द्वारा लाई गई भेंटें स्वीकार की और उसे इस आश्वासन के साथ विदा किया, “शांति से अपने घर लौट जाओ, मैंने तुम्हारी बात मान ली और तुम्हारी विनती स्वीकार कर लिया.”
فَجَاءَتْ أَبِيجَايِلُ إِلَى نَابَالَ وَإِذَا وَلِيمَةٌ عِنْدَهُ فِي بَيْتِهِ كَوَلِيمَةِ مَلِكٍ. وَكَانَ نَابَالُ قَدْ طَابَ قَلْبُهُ وَكَانَ سَكْرَانَ جِدًّا، فَلَمْ تُخْبِرْهُ بِشَيْءٍ صَغِيرٍ أَوْ كَبِيرٍ إِلَى ضَوْءِ ٱلصَّبَاحِ. ٣٦ 36
जब अबीगइल घर पहुंची, नाबाल ने अपने आवास पर एक भव्य भोज आयोजित किया हुआ था. ऐसा भोज, मानो वह राजा हो. उस समय वह बहुत ही उत्तेजित था तथा बहुत ही नशे में था. तब अबीगइल ने सुबह तक कोई बात न की.
وَفِي ٱلصَّبَاحِ عِنْدَ خُرُوجِ ٱلْخَمْرِ مِنْ نَابَالَ أَخْبَرَتْهُ ٱمْرَأَتُهُ بِهَذَا ٱلْكَلَامِ، فَمَاتَ قَلْبُهُ دَاخِلَهُ وَصَارَ كَحَجَرٍ. ٣٧ 37
सुबह, जब नाबाल से शराब का नशा उतर चुका था, उसकी पत्नी ने उसे इस विषय से संबंधित सारा विवरण सुना दिया. यह सुनते ही नाबाल को पक्षाघात हो गया, और वह सुन्‍न रह गया.
وَبَعْدَ نَحْوِ عَشْرَةَ أَيَّامٍ ضَرَبَ ٱلرَّبُّ نَابَالَ فَمَاتَ. ٣٨ 38
लगभग दस दिन बाद याहवेह ने नाबाल पर ऐसा प्रहार किया कि उसकी मृत्यु हो गई.
فَلَمَّا سَمِعَ دَاوُدُ أَنَّ نَابَالَ قَدْ مَاتَ قَالَ: «مُبَارَكٌ ٱلرَّبُّ ٱلَّذِي ٱنْتَقَمَ نَقْمَةَ تَعْيِيرِي مِنْ يَدِ نَابَالَ، وَأَمْسَكَ عَبْدَهُ عَنِ ٱلشَّرِّ، وَرَدَّ ٱلرَّبُّ شَرَّ نَابَالَ عَلَى رَأْسِهِ». وَأَرْسَلَ دَاوُدُ وَتَكَلَّمَ مَعَ أَبِيجَايِلَ لِيَتَّخِذَهَا لَهُ ٱمْرَأَةً. ٣٩ 39
जब दावीद ने नाबाल की मृत्यु का समाचार सुना, वह कह उठे, “धन्य हैं याहवेह, जिन्होंने नाबाल द्वारा किए गए मेरे अपमान का बदला ले लिया है. याहवेह अपने सेवक को बुरा करने से रोके रहे तथा नाबाल को उसके दुराचार का प्रतिफल दे दिया.” दावीद ने संदेशवाहकों द्वारा अबीगइल के पास विवाह का प्रस्ताव भेजा.
فَجَاءَ عَبِيدُ دَاوُدَ إِلَى أَبِيجَايِلَ إِلَى ٱلْكَرْمَلِ وَكَلَّمُوهَا قَائِلِينَ: «إِنَّ دَاوُدَ قَدْ أَرْسَلَنَا إِلَيْكِ لِكَيْ نَتَّخِذَكِ لَهُ ٱمْرَأَةً». ٤٠ 40
दावीद के संदेशवाहकों ने कर्मेल नगर जाकर अबीगइल को कहा: “हमें दावीद ने आपके पास भेजा है कि हम आपको अपने साथ उनके पास ले जाएं, कि वे आपसे विवाह कर सकें.”
فَقَامَتْ وَسَجَدَتْ عَلَى وَجْهِهَا إِلَى ٱلْأَرْضِ وَقَالَتْ: «هُوَذَا أَمَتُكَ جَارِيَةٌ لِغَسْلِ أَرْجُلِ عَبِيدِ سَيِّدِي». ٤١ 41
वह तत्काल उठी, भूमि पर दंडवत होकर उनसे कहा, “आपकी सेविका मेरे स्वामी के सेवकों के चरण धोने के लिए तत्पर दासी हूं.”
ثُمَّ بَادَرَتْ وَقَامَتْ أَبِيجَايِلُ وَرَكِبَتِ ٱلْحِمَارَ مَعَ خَمْسِ فَتَيَاتٍ لَهَا ذَاهِبَاتٍ وَرَاءَهَا، وَسَارَتْ وَرَاءَ رُسُلِ دَاوُدَ وَصَارَتْ لَهُ ٱمْرَأَةً. ٤٢ 42
अबीगइल विलंब न करते उठकर तैयार हो गई. वह अपने गधे पर बैठी और दावीद के संदेशवाहकों के साथ चली गई. उसके साथ उसकी पांच सेविकाएं थी. वहां वह दावीद की पत्नी हो गई.
ثُمَّ أَخَذَ دَاوُدُ أَخِينُوعَمَ مِنْ يَزْرَعِيلَ فَكَانَتَا لَهُ كِلْتَاهُمَا ٱمْرَأَتَيْنِ. ٤٣ 43
दावीद ने येज़्रील नगरवासी अहीनोअम से भी विवाह किया. ये दोनों ही उनकी पत्नी बन गईं.
فَأَعْطَى شَاوُلُ مِيكَالَ ٱبْنَتَهُ ٱمْرَأَةَ دَاوُدَ لِفَلْطِي بْنِ لَايِشَ ٱلَّذِي مِنْ جَلِّيمَ. ٤٤ 44
इस समय तक शाऊल ने अपनी बेटी मीखल, जो वस्तुतः दावीद की पत्नी थी, लायीश के पुत्र पालतिएल को, जो गल्लीम नगर का वासी था, सौंप दी थी.

< صَمُوئِيلَ ٱلْأَوَّلُ 25 >