< صَمُوئِيلَ ٱلْأَوَّلُ 2 >

فَصَلَّتْ حَنَّةُ وَقَالَتْ: «فَرِحَ قَلْبِي بِٱلرَّبِّ. ٱرْتَفَعَ قَرْنِي بِٱلرَّبِّ. ٱتَّسَعَ فَمِي عَلَى أَعْدَائِي، لِأَنِّي قَدِ ٱبْتَهَجْتُ بِخَلَاصِكَ. ١ 1
फिर हन्‍नाह ने यह प्रार्थना गीत गाया: “मेरा हृदय याहवेह में आनंद कर रहा है; याहवेह ने मेरे सींग को ऊंचा किया है, मैं ऊंचे स्वर में शत्रुओं के विरुद्ध बोलूंगी, क्योंकि मैं अपनी जय में आनंदित हूं.
لَيْسَ قُدُّوسٌ مِثْلَ ٱلرَّبِّ، لِأَنَّهُ لَيْسَ غَيْرَكَ، وَلَيْسَ صَخْرَةٌ مِثْلَ إِلَهِنَا. ٢ 2
“पवित्रता में कोई भी याहवेह समान नहीं है; आपके अलावा दूसरा कोई भी नहीं है; हमारे परमेश्वर समान चट्टान कोई नहीं.
لَا تُكَثِّرُوا ٱلْكَلَامَ ٱلْعَالِيَ ٱلْمُسْتَعْلِيَ، وَلْتَبْرَحْ وَقَاحَةٌ مِنْ أَفْوَاهِكُمْ. لِأَنَّ ٱلرَّبَّ إِلَهٌ عَلِيمٌ، وَبِهِ تُوزَنُ ٱلْأَعْمَالُ. ٣ 3
“घमण्ड़ की बातें अब खत्म कर दी जाए, कि कोई भी अहंकार भरी बातें तुम्हारे मुंह से न निकले, क्योंकि याहवेह वह परमेश्वर हैं, जो सर्वज्ञानी हैं, वह मनुष्य के कामों को परखते रहते हैं.
قِسِيُّ ٱلْجَبَابِرَةِ تحَطَّمَتْ، وَٱلضُّعَفَاءُ تَمَنْطَقُوا بِٱلْبَأْسِ. ٤ 4
“वीरों के धनुष तोड़ दिए गए हैं, मगर जो कमजोर थे उनका बल स्थिर हो गया.
ٱلشَّبَاعَى آجَرُوا أَنْفُسَهُمْ بِٱلْخُبْزِ، وَٱلْجِيَاعُ كَفُّوا. حَتَّى أَنَّ ٱلْعَاقِرَ وَلَدَتْ سَبْعَةً، وَكَثِيرَةَ ٱلْبَنِينَ ذَبُلَتْ. ٥ 5
वे, जो भरपेट भोजन कर संतुष्ट रहते थे, वे अब मजदूरी पाने के लिए काम ढूंढ़ रहे हैं. मगर अब, जो भूखे रहा करते थे, भूखे न रहे. वह जो बांझ हुआ करती थी, आज सात संतान की जननी है, मगर वह, जो अनेक संतान की माता है, उसकी स्थिति दयनीय हो गई है.
ٱلرَّبُّ يُمِيتُ وَيُحْيِي. يُهْبِطُ إِلَى ٱلْهَاوِيَةِ وَيُصْعِدُ. (Sheol h7585) ٦ 6
“याहवेह ही हैं, जो प्राण ले लेते तथा जीवनदान देते हैं; वही अधोलोक में भेज देते, तथा वही जीवित करते हैं. (Sheol h7585)
ٱلرَّبُّ يُفْقِرُ وَيُغْنِي. يَضَعُ وَيَرْفَعُ. ٧ 7
याहवेह ही कंगाल बनाते, तथा वही धनी बनाते हैं; वही गिराते हैं और वही उन्‍नत करते हैं.
يُقِيمُ ٱلْمِسْكِينَ مِنَ ٱلتُّرَابِ. يَرْفَعُ ٱلْفَقِيرَ مِنَ ٱلْمَزْبَلَةِ لِلْجُلُوسِ مَعَ ٱلشُّرَفَاءِ وَيُمَلِّكُهُمْ كُرْسِيَّ ٱلْمَجْدِ. لِأَنَّ لِلرَّبِّ أَعْمِدَةَ ٱلْأَرْضِ، وَقَدْ وَضَعَ عَلَيْهَا ٱلْمَسْكُونَةَ. ٨ 8
वह निर्धन को धूलि से उठाते हैं, वही दरिद्रों को भस्म के ढेर से उठाकर उन्‍नत करते हैं; कि वे प्रधानों के सामने बैठ सम्मानित किए जाएं, तथा वे ऊंचे पद पर बैठाए जाएं. “पृथ्वी की नींव याहवेह की है; उन्होंने इन्हीं पर पृथ्वी की स्थापना की है.
أَرْجُلَ أَتْقِيَائِهِ يَحْرُسُ، وَٱلْأَشْرَارُ فِي ٱلظَّلَامِ يَصْمُتُونَ. لِأَنَّهُ لَيْسَ بِٱلْقُوَّةِ يَغْلِبُ إِنْسَانٌ. ٩ 9
वह अपने श्रद्धालुओं की रक्षा करते रहते हैं, मगर दुष्टों को अंधकार में निःशब्द कर दिया जाता है. “क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने बल के कारण विजयी नहीं होता;
مُخَاصِمُو ٱلرَّبِّ يَنْكَسِرُونَ. مِنَ ٱلسَّمَاءِ يُرْعِدُ عَلَيْهِمْ. ٱلرَّبُّ يَدِينُ أَقَاصِيَ ٱلْأَرْضِ، وَيُعْطِي عِزًّا لِمَلِكِهِ، وَيَرْفَعُ قَرْنَ مَسِيحِهِ». ١٠ 10
याहवेह के विरोधी चकनाचूर कर दिए जाएंगे. याहवेह स्वर्ग से उनके विरुद्ध बिजली गिराएंगे; याहवेह का न्याय पृथ्वी के एक छोर से दूसरे तक होता है. “वह अपने राजा को शक्ति-सम्पन्‍न करते हैं, तथा अपने अभिषिक्त के सींग को ऊंचा कर देते हैं.”
وَذَهَبَ أَلْقَانَةُ إِلَى ٱلرَّامَةِ إِلَى بَيْتِهِ، وَكَانَ ٱلصَّبِيُّ يَخْدِمُ ٱلرَّبَّ أَمَامَ عَالِي ٱلْكَاهِنِ. ١١ 11
यह सब होने के बाद एलकाना रामाह नगर में अपना घर लौट गए, मगर वह बालक पुरोहित एली की उपस्थिति में रहकर याहवेह की सेवा करने लगा.
وَكَانَ بَنُو عَالِي بَنِي بَلِيَّعَالَ، لَمْ يَعْرِفُوا ٱلرَّبَّ ١٢ 12
एली के पुत्र बुरे चरित्र के थे. उनके लिए न तो याहवेह के अधिकार का कोई महत्व था;
وَلَا حَقَّ ٱلْكَهَنَةِ مِنَ ٱلشَّعْبِ. كُلَّمَا ذَبَحَ رَجُلٌ ذَبِيحَةً يَجِيءُ غُلَامُ ٱلْكَاهِنِ عِنْدَ طَبْخِ ٱللَّحْمِ، وَمِنْشَالٌ ذُو ثَلَاثَةِ أَسْنَانٍ بِيَدِهِ، ١٣ 13
और न ही बलि चढ़ाने की प्रक्रिया में जनसाधारण के साथ पुरोहितों की सामान्य रीति का. होता यह था कि जब बलि चढ़ाई जा चुकी थी, और बर्तन में मांस उबाला जा रहा था, पुरोहित का सेवक एक तीन तरफा कांटा लिए हुए बर्तन के निकट आता था,
فَيَضْرِبُ فِي ٱلْمِرْحَضَةِ أَوِ ٱلْمِرْجَلِ أَوِ ٱلْمِقْلَى أَوِ ٱلْقِدْرِ. كُلُّ مَا يَصْعَدُ بِهِ ٱلْمِنْشَلُ يَأْخُذُهُ ٱلْكَاهِنُ لِنَفْسِهِ. هَكَذَا كَانُوا يَفْعَلُونَ بِجَمِيعِ إِسْرَائِيلَ ٱلْآتِينَ إِلَى هُنَاكَ فِي شِيلُوهَ. ١٤ 14
वह इसे बर्तन में डालकर चुभोता था और जितना मांस तीन तरफा कांटा में लगा हुआ आता था, उसे पुरोहित अपने लिए रख लेता था. ऐसा वे शीलो नगर में आए सभी इस्राएलियों के साथ करते थे.
كَذَلِكَ قَبْلَ مَا يُحْرِقُونَ ٱلشَّحْمَ يَأْتِي غُلَامُ ٱلْكَاهِنِ وَيَقُولُ لِلرَّجُلِ ٱلذَّابِحِ: «أَعْطِ لَحْمًا لِيُشْوَى لِلْكَاهِنِ، فَإِنَّهُ لَا يَأْخُذُ مِنْكَ لَحْمًا مَطْبُوخًا بَلْ نَيْئًا». ١٥ 15
यहां तक कि सांस्कारिक रीति से चर्बी के जलाए जाने के पहले ही पुरोहित के सेवक आकर बलि चढ़ाने वाले व्यक्ति को आदेश देते थे, “बर्तन में डाले जाने के पहले ही पुरोहित के लिए निर्धारित मांस हमें कच्चा ही दे दो कि उसे भूनकर प्रयुक्त किया जा सके.”
فَيَقُولُ لَهُ ٱلرَّجُلُ: «لِيُحْرِقُوا أَوَّلًا ٱلشَّحْمَ، ثُمَّ خُذْ مَا تَشْتَهِيهِ نَفْسُكَ». فَيَقُولُ لَهُ: «لَا، بَلِ ٱلْآنَ تُعْطِي وَإِلَّا فَآخُذُ غَصْبًا». ١٦ 16
यदि बलि अर्पित करनेवाला व्यक्ति उत्तर में यह कहता था, “ज़रा वसा तो जल जाने दो, फिर जो चाहे वह अंश ले लेना,” वे कहते थे, “नहीं, यह तो हम अभी ही ले जाएंगे; यदि नहीं दोगे, तो हम ज़बरदस्ती ले जाएंगे.”
فَكَانَتْ خَطِيَّةُ ٱلْغِلْمَانِ عَظِيمَةً جِدًّا أَمَامَ ٱلرَّبِّ، لِأَنَّ ٱلنَّاسَ ٱسْتَهَانُوا بِتَقْدِمَةِ ٱلرَّبِّ. ١٧ 17
याहवेह की दृष्टि में यह बहुत ही गंभीर पाप था; क्योंकि ऐसा करते हुए वे याहवेह को चढ़ाई गई बलि का अपमान कर रहे थे.
وَكَانَ صَمُوئِيلُ يَخْدِمُ أَمَامَ ٱلرَّبِّ وَهُوَ صَبِيٌّ مُتَمَنْطِقٌ بِأَفُودٍ مِنْ كَتَّانٍ. ١٨ 18
इस समय शमुएल याहवेह की उपस्थिति में रहते हुए सेवा कर रहे थे. वह पुरोहितों के समान ही वस्त्र धारण करते थे.
وَعَمِلَتْ لَهُ أُمُّهُ جُبَّةً صَغِيرَةً وَأَصْعَدَتْهَا لَهُ مِنْ سَنَةٍ إِلَى سَنَةٍ عِنْدَ صُعُودِهَا مَعَ رَجُلِهَا لِذَبْحِ ٱلذَّبِيحَةِ ٱلسَّنَوِيَّةِ. ١٩ 19
जब उनकी माता अपने पति के साथ वार्षिक बलि चढ़ाने के लिए वहां आती थी, वह बालक शमुएल के लिए नियमित रूप से ऐसे वस्त्र बनाकर लाया करती थी.
وَبَارَكَ عَالِي أَلْقَانَةَ وَٱمْرَأَتَهُ وَقَالَ: «يَجْعَلْ لَكَ ٱلرَّبُّ نَسْلًا مِنْ هَذِهِ ٱلْمَرْأَةِ بَدَلَ ٱلْعَارِيَّةِ ٱلَّتِي أَعَارَتْ لِلرَّبِّ». وَذَهَبَا إِلَى مَكَانِهِمَا. ٢٠ 20
एलकाना तथा उनकी पत्नी के लिए एली इस प्रकार के आशीर्वाद दिया करते थे: “याहवेह तुम्हारे लिए इस स्त्री के द्वारा संतान प्रदान करें, कि जिस बालक को इसने याहवेह को समर्पित किया है, उसका खालीपन भर जाए.” तब वे अपने घर लौट जाते थे.
وَلَمَّا ٱفْتَقَدَ ٱلرَّبُّ حَنَّةَ حَبِلَتْ وَوَلَدَتْ ثَلَاثَةَ بَنِينَ وَبِنْتَيْنِ. وَكَبُرَ ٱلصَّبِيُّ صَمُوئِيلُ عِنْدَ ٱلرَّبِّ. ٢١ 21
तब याहवेह ने अपनी कृपादृष्टि में हन्‍नाह की सुधि ली. उसने गर्भधारण किया और उनके तीन पुत्र और दो पुत्रियां पैदा हुए. बालक शमुएल याहवेह के भवन में विकसित होते चले गए.
وَشَاخَ عَالِي جِدًّا، وَسَمِعَ بِكُلِّ مَا عَمِلَهُ بَنُوهُ بِجَمِيعِ إِسْرَائِيلَ وَبِأَنَّهُمْ كَانُوا يُضَاجِعُونَ ٱلنِّسَاءَ ٱلْمُجْتَمِعَاتِ فِي بَابِ خَيْمَةِ ٱلِٱجْتِمَاعِ. ٢٢ 22
इस समय एली बहुत ही बूढ़े हो चुके थे. उन्हें इसकी सूचना दी जा चुकी थी कि अपने पुत्र इस्राएल के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं और वे उन स्त्रियों के साथ शारीरिक संबंध भी करते थे, जिन्हें मिलाप तंबू के प्रवेश पर सेवा के लिए नियुक्त किया जाता था.
فَقَالَ لَهُمْ: «لِمَاذَا تَعْمَلُونَ مِثْلَ هَذِهِ ٱلْأُمُورِ؟ لِأَنِّي أَسْمَعُ بِأُمُورِكُمُ ٱلْخَبِيثَةِ مِنْ جَمِيعِ هَذَا ٱلشَّعْبِ. ٢٣ 23
एली ने अपने पुत्रों से कहा, “तुम ये सब क्यों कर रहे हो? तुम्हारे इन सभी बुरे कामों की ख़बरें मुझे सभी के द्वारा मिल रही हैं.
لَا يَابَنِيَّ، لِأَنَّهُ لَيْسَ حَسَنًا ٱلْخَبَرُ ٱلَّذِي أَسْمَعُ. تَجْعَلُونَ شَعْبَ ٱلرَّبِّ يَتَعَدُّونَ. ٢٤ 24
मेरे पुत्रो, यह गलत है. आज याहवेह की प्रजा में तुम्हारे किए हुए कामों की ख़बर जो फैली है, वह ठीक नहीं है.
إِذَا أَخْطَأَ إِنْسَانٌ إِلَى إِنْسَانٍ يَدِينُهُ ٱللهُ. فَإِنْ أَخْطَأَ إِنْسَانٌ إِلَى ٱلرَّبِّ فَمَنْ يُصَلِّي مِنْ أَجْلِهِ؟» وَلَمْ يَسْمَعُوا لِصَوْتِ أَبِيهِمْ لِأَنَّ ٱلرَّبَّ شَاءَ أَنْ يُمِيتَهُمْ. ٢٥ 25
यदि एक व्यक्ति किसी दूसरे के विरुद्ध पाप करे, तो उसके लिए परमेश्वर द्वारा विनती संभव है; मगर यदि कोई याहवेह ही के विरुद्ध पाप करे, तब उसकी विनती के लिए कौन बाकी रह जाता है?” मगर एली के पुत्रों को उनके पिता का तर्क अस्वीकार ही रहा, क्योंकि याहवेह उनके प्राण लेने का निश्चय कर चुके थे.
وَأَمَّا ٱلصَّبِيُّ صَمُوئِيلُ فَتَزَايَدَ نُمُوًّا وَصَلَاحًا لَدَى ٱلرَّبِّ وَٱلنَّاسِ أَيْضًا. ٢٦ 26
इस समय बालक शमुएल बढ़ता जा रहा था. उस पर याहवेह की कृपादृष्टि तथा लोगों का प्रेम बना था.
وَجَاءَ رَجُلُ ٱللهِ إِلَى عَالِي وَقَالَ لَهُ: «هَكَذَا يَقُولُ ٱلرَّبُّ: هَلْ تَجَلَّيْتُ لِبَيْتِ أَبِيكَ وَهُمْ فِي مِصْرَ فِي بَيْتِ فِرْعَوْنَ، ٢٧ 27
परमेश्वर द्वारा भेजा हुआ एक व्यक्ति एली के पास आया और उनसे कहा, “यह याहवेह का संदेश है: ‘क्या मैंने तुम्हारे पूर्वजों पर अपने आपको साफ़-साफ़ प्रकट नहीं किया था, जब वे मिस्र देश में फ़रोह के परिवार के अधीन थे?
وَٱنْتَخَبْتُهُ مِنْ جَمِيعِ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ لِي كَاهِنًا لِيَصْعَدَ عَلَى مَذْبَحِي وَيُوقِدَ بَخُورًا وَيَلْبَسَ أَفُودًا أَمَامِي، وَدَفَعْتُ لِبَيْتِ أَبِيكَ جَمِيعَ وَقَائِدِ بَنِي إِسْرَائِيلَ؟ ٢٨ 28
इस्राएल के सारा गोत्रों में से मैंने तुम्हारे गोत्र को अपना पुरोहित होने के लिए नामित किया कि वे मेरी वेदी पर बलि अर्पण करें, उस पर धूप जलाएं तथा मेरे सामने पुरोहितों के लिए निर्धारित पुरोहित कपड़ा, एफ़ोद पहनकर मेरे सामने उपस्थित हुआ करें. मैंने ही तुम्हारे पूर्वजों को यह आज्ञा दी कि इस्राएली प्रजा द्वारा अर्पित अग्निबलि का हिस्सा तुम्हें दे दी जाएं.
فَلِمَاذَا تَدُوسُونَ ذَبِيحَتِي وَتَقْدِمَتِي ٱلَّتِي أَمَرْتُ بِهَا فِي ٱلْمَسْكَنِ، وَتُكْرِمُ بَنِيكَ عَلَيَّ لِكَيْ تُسَمِّنُوا أَنْفُسَكُمْ بِأَوَائِلِ كُلِّ تَقْدِمَاتِ إِسْرَائِيلَ شَعْبِي؟ ٢٩ 29
फिर क्या कारण है कि मेरे आवास से संबंधित जिन बलियों तथा भेटों का मैंने आदेश दिया था, तुम उनकी अवहेलना कर रहे हो? मेरी प्रजा इस्राएल द्वारा अर्पित सभी भेटों के सर्वोत्तम अंशों को खा-खाकर वे स्वयं पुष्ट हुए जा रहे हैं! यह करते हुए तुमने मेरी अपेक्षा अपने पुत्रों को अधिक सम्मान दिया है?’
لِذَلِكَ يَقُولُ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: إِنِّي قُلْتُ إِنَّ بَيْتَكَ وَبَيْتَ أَبِيكَ يَسِيرُونَ أَمَامِي إِلَى ٱلْأَبَدِ. وَٱلْآنَ يَقُولُ ٱلرَّبُّ: حَاشَا لِي! فَإِنِّي أُكْرِمُ ٱلَّذِينَ يُكْرِمُونَنِي، وَٱلَّذِينَ يَحْتَقِرُونَنِي يَصْغُرُونَ. ٣٠ 30
“इसलिये याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की यह घोषणा, ‘मैंने यह अवश्य कहा था कि तुम्हारा वंश तथा तुम्हारे पूर्वजों का वंश सदा-सर्वदा मेरी सेवा करता रहेगा,’ मगर अब याहवेह की यह वाणी है, ‘अब मैं यह कभी न होने दूंगा! क्योंकि मैं उन्हें ही सम्मान दूंगा, जो मुझे सम्मान देते हैं, तथा जो मुझे तुच्छ मानते हैं, वे शापित हो जाएंगे.
هُوَذَا تَأْتِي أَيَّامٌ أَقْطَعُ فِيهَا ذِرَاعَكَ وَذِرَاعَ بَيْتِ أَبِيكَ حَتَّى لَا يَكُونَ شَيْخٌ فِي بَيْتِكَ. ٣١ 31
निकट हैं वे दिन, जब मैं न केवल तुम्हारा, परंतु तुम्हारे पिता के संपूर्ण वंश का बल शून्य कर दूंगा, यहां तक कि तुम्हारे परिवार में कोई भी व्यक्ति कभी भी बुढ़ापे तक नहीं पहुंचेगा.
وَتَرَى ضِيقَ ٱلْمَسْكَنِ فِي كُلِّ مَا يُحْسَنُ بِهِ إِلَى إِسْرَائِيلَ، وَلَا يَكُونُ شَيْخٌ فِي بَيْتِكَ كُلَّ ٱلْأَيَّامِ. ٣٢ 32
तब तुम पीड़ित होकर धुंधली आंखों से इस्राएल को दी जा रही समृद्धि को स्वयं देखोगे. तुम्हारे परिवार में कभी भी कोई व्यक्ति बूढ़ा न हो सकेगा.
وَرَجُلٌ لَكَ لَا أَقْطَعُهُ مِنْ أَمَامِ مَذْبَحِي يَكُونُ لِإِكْلَالِ عَيْنَيْكَ وَتَذْوِيبِ نَفْسِكَ. وَجَمِيعُ ذُرِّيَّةِ بَيْتِكَ يَمُوتُونَ شُبَّانًا. ٣٣ 33
फिर भी तुम्हारे परिवार के जो सदस्य को मैं वेदी की सेवा से वंचित न करूंगा, वह अपने हृदय की दारुण वेदना में रोते-रोते अपने नेत्रों की ज्योति खो बैठेगा. तुम्हारे सभी वंशज मनुष्यों द्वारा चलाई तलवार से घात किए जाएंगे. तुम्हारे परिवार के हर एक व्यक्ति का निधन जीवन के जवानी में ही हो जाएगा.
وَهَذِهِ لَكَ عَلَامَةٌ تَأْتِي عَلَى ٱبْنَيْكَ حُفْنِي وَفِينَحَاسَ: فِي يَوْمٍ وَاحِدٍ يَمُوتَانِ كِلَاهُمَا. ٣٤ 34
“‘तुम्हारे लिए इसकी पुष्टि का चिन्ह यह होगा कि तुम्हारे दोनों पुत्रों, होफ़नी तथा फिनिहास में होगी: दोनों एक ही दिन में मर जाएंगे.
وَأُقِيمُ لِنَفْسِي كَاهِنًا أَمِينًا يَعْمَلُ حَسَبَ مَا بِقَلْبِي وَنَفْسِي، وَأَبْنِي لَهُ بَيْتًا أَمِينًا فَيَسِيرُ أَمَامَ مَسِيحِي كُلَّ ٱلْأَيَّامِ. ٣٥ 35
जब यह सब हो जाएगा, तब मैं अपने लिए एक विश्वसनीय पुरोहित को तैयार करूंगा. वह मेरे हृदय और आत्मा की अभिलाषा पूर्ण करेगा. उसके लिए मैं उसके वंश को स्थिरता प्रदान करूंगा. वही सदा-सर्वदा मेरे चुने हुए का पौरोहित्य करता रहेगा.
وَيَكُونُ أَنَّ كُلَّ مَنْ يَبْقَى فِي بَيْتِكَ يَأْتِي لِيَسْجُدَ لَهُ لِأَجْلِ قِطْعَةِ فِضَّةٍ وَرَغِيفِ خُبْزٍ، وَيَقُولُ: ضُمَّنِي إِلَى إِحْدَى وَظَائِفِ ٱلْكَهَنُوتِ لِآكُلَ كِسْرَةَ خُبْزٍ». ٣٦ 36
तुम्हारे परिवार में जो कोई शेष रह जाएगा, वह उसके सामने झुककर उससे सिर्फ चांदी के एक सिक्‍के के लिए या रोटी के एक टुकड़े के लिए विनती करेगा. हर एक की याचना यह होगी, “मुझे पुरोहित के काम में लगा लीजिए, कि कम से कम मैं रोटी का एक टुकड़ा तो खा सकूं.”’”

< صَمُوئِيلَ ٱلْأَوَّلُ 2 >