< صَمُوئِيلَ ٱلْأَوَّلُ 14 >

وَفِي ذَاتِ يَوْمٍ قَالَ يُونَاثَانُ بْنُ شَاوُلَ لِلْغُلَامِ حَامِلِ سِلَاحِهِ: «تَعَالَ نَعْبُرْ إِلَى حَفَظَةِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ ٱلَّذِينَ فِي ذَلِكَ ٱلْعَبْرِ». وَلَمْ يُخْبِرْ أَبَاهُ. ١ 1
और एक दिन ऐसा हुआ, कि साऊल के बेटे यूनतन ने उस जवान से जो उसका सिलाह बरदार था कहा कि आ हम फ़िलिस्तियों की चौकी को जो उस तरफ़ है चलें, पर उसने अपने बाप को न बताया।
وَكَانَ شَاوُلُ مُقِيمًا فِي طَرَفِ جِبْعَةَ تَحْتَ ٱلرُّمَّانَةِ ٱلَّتِي فِي مِغْرُونَ، وَٱلشَّعْبُ ٱلَّذِي مَعَهُ نَحْوُ سِتِّ مِئَةِ رَجُلٍ. ٢ 2
और साऊल जिबा' के निकास पर उस अनार के दरख़्त के नीचे जो मजरुन में है मुक़ीम था, और क़रीबन छ: सौ आदमी उसके साथ थे।
وَأَخِيَّا بْنُ أَخِيطُوبَ، أَخِي إِيخَابُودَ بْنِ فِينَحَاسَ بْنِ عَالِي، كَاهِنُ ٱلرَّبِّ فِي شِيلُوهَ كَانَ لَابِسًا أَفُودًا. وَلَمْ يَعْلَمِ ٱلشَّعْبُ أَنَّ يُونَاثَانَ قَدْ ذَهَبَ. ٣ 3
और अख़ियाह बिन अख़ीतोब जो यकबोद बिन फ़ीन्हास बिन 'एली का भाई और शीलोह में ख़ुदावन्द का काहिन था अफ़ूद पहने हुए था और लोगों को ख़बर न थी कि यूनतन चला गया है।
وَبَيْنَ ٱلْمَعَابِرِ ٱلَّتِي ٱلْتَمَسَ يُونَاثَانُ أَنْ يَعْبُرَهَا إِلَى حَفَظَةِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ سِنُّ صَخْرَةٍ مِنْ هَذِهِ ٱلْجِهَةِ وَسِنُّ صَخْرَةٍ مِنْ تِلْكَ ٱلْجِهَةِ، وَٱسْمُ ٱلْوَاحِدَةِ «بُوصَيْصُ» وَٱسْمُ ٱلْأُخْرَى «سَنَهُ». ٤ 4
और उन की घाटियों के बीच जिन से होकर यूनतन फ़िलिस्तियों की चौकी को जाना चाहता था एक तरफ़ एक बड़ी नुकीली चट्टान थी और दूसरी तरफ़ भी एक बड़ी नुकीली चट्टान थी, एक का नाम बुसीस था दूसरी का सना।
وَٱلسِّنُّ ٱلْوَاحِدُ عَمُودٌ إِلَى ٱلشِّمَالِ مُقَابِلَ مِخْمَاسَ، وَٱلْآخَرُ إِلَى ٱلْجَنُوبِ مُقَابِلَ جِبْعَ. ٥ 5
एक तो शिमाल की तरफ़ मिक्मास के मुक़ाबिल और दूसरी जुनूब की तरफ़ जिबा' के मुक़ाबिल थी।
فَقَالَ يُونَاثَانُ لِلْغُلَامِ حَامِلِ سِلَاحِهِ: «تَعَالَ نَعْبُرْ إِلَى صَفِّ هَؤُلَاءِ ٱلْغُلْفِ، لَعَلَّ ٱللهَ يَعْمَلُ مَعَنَا، لِأَنَّهُ لَيْسَ لِلرَّبِّ مَانِعٌ عَنْ أَنْ يُخَلِّصَ بِٱلْكَثِيرِ أَوْ بِٱلْقَلِيلِ». ٦ 6
इसलिए यूनतन ने उस जवान से जो उसका सिलाह बरदार था, कहा, “आ हम उधर उन नामख़्तूनों की चौकी को चलें — मुम्किन है, कि ख़ुदावन्द हमारा काम बना दे, क्यूँकि ख़ुदावन्द के लिए बहुत सारे या थोड़ों के ज़रिए' से बचाने की कै़द नहीं।”
فَقَالَ لَهُ حَامِلُ سِلَاحِهِ: «ٱعْمَلْ كُلَّ مَا بِقَلْبِكَ. تَقَدَّمْ. هَأَنَذَا مَعَكَ حَسَبَ قَلْبِكَ». ٧ 7
उसके सिलाह बरदार ने उससे कहा, “जो कुछ तेरे दिल में है इसलिए कर और उधर चल मैं तो तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ तेरे साथ हूँ।”
فَقَالَ يُونَاثَانُ: «هُوَذَا نَحْنُ نَعْبُرُ إِلَى ٱلْقَوْمِ وَنُظْهِرُ أَنْفُسَنَا لَهُمْ. ٨ 8
तब यूनतन ने कहा, “देख हम उन लोगों के पास इस तरफ़ जाएँगे, और अपने को उनको दिखाएँगे।
فَإِنْ قَالُوا لَنَا هَكَذَا: دُومُوا حَتَّى نَصِلَ إِلَيْكُمْ. نَقِفُ فِي مَكَانِنَا وَلَا نَصْعَدُ إِلَيْهِمْ. ٩ 9
अगर वह हम से यह कहें, कि हमारे आने तक ठहरो, तो हम अपनी जगह चुप चाप खड़े रहेंगे और उनके पास नहीं जाएँगे।
وَلَكِنْ إِنْ قَالُوا هَكَذَا: ٱصْعَدُوا إِلَيْنَا. نَصْعَدُ، لِأَنَّ ٱلرَّبَّ قَدْ دَفَعَهُمْ لِيَدِنَا، وَهَذِهِ هِيَ ٱلْعَلَامَةُ لَنَا». ١٠ 10
लेकिन अगर वह यूँ कहें, कि हमारे पास तो आओ, तो हम चढ़ जाएँगे, क्यूँकि ख़ुदावन्द ने उनको हमारे क़ब्ज़े में कर दिया, और यह हमारे लिए निशान होगा।”
فَأَظْهَرَا أَنْفُسَهُمَا لِصَفِّ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ. فَقَالَ ٱلْفِلِسْطِينِيُّونَ: «هُوَذَا ٱلْعِبْرَانِيُّونَ خَارِجُونَ مِنَ ٱلثُّقُوبِ ٱلَّتِي ٱخْتَبَأُوا فِيهَا». ١١ 11
फिर इन दोनों ने अपने आप को फ़िलिस्तियों की चौकी के सिपाहियों को दिखाया, और फ़िलिस्ती कहने लगे, “देखो ये 'इब्रानी उन सुराख़ों में से जहाँ वह छिप गए थे, बाहर निकले आते हैं।”
فَأَجَابَ رِجَالُ ٱلصَّفِّ يُونَاثَانَ وَحَامِلَ سِلَاحِهِ وَقَالُوا: «ٱصْعَدَا إِلَيْنَا فَنُعَلِّمَكُمَا شَيْئًا». فَقَالَ يُونَاثَانُ لِحَامِلِ سِلَاحِهِ: «ٱصْعَدْ وَرَائِي لِأَنَّ ٱلرَّبَّ قَدْ دَفَعَهُمْ لِيَدِ إِسْرَائِيلَ». ١٢ 12
और चौकी के सिपाहियों ने यूनतन और उसके सिलाह बरदार से कहा, “हमारे पास आओ, तो सही, हम तुमको एक चीज़ दिखाएँ।” इसलिए यूनतन ने अपने सिलाह बरदार से कहा, “अब मेरे पीछे पीछे चढ़ा, चला आ, क्यूँकि ख़ुदावन्द ने उनको इस्राईल के क़ब्ज़े में कर दिया है।”
فَصَعِدَ يُونَاثَانُ عَلَى يَدَيْهِ وَرِجْلَيْهِ وَحَامِلُ سِلَاحِهِ وَرَاءَهُ. فَسَقَطُوا أَمَامَ يُونَاثَانَ، وَكَانَ حَامِلُ سِلَاحِهِ يُقَتِّلُ وَرَاءَهُ. ١٣ 13
और यूनतन अपने हाथों और पाँव के बल चढ़ गया, और उसके पीछे पीछे उसका सिलाह बरदार था, और वह यूनतन के सामने गिरते गए और उसका सिलाह बरदार उसके पीछे पीछे उनको क़त्ल करता गया।
وَكَانَتِ ٱلضَّرْبَةُ ٱلْأُولَى ٱلَّتِي ضَرَبَهَا يُونَاثَانُ وَحَامِلُ سِلَاحِهِ نَحْوَ عِشْرِينَ رَجُلًا فِي نَحْوِ نِصْفِ تَلَمِ فَدَّانِ أَرْضٍ. ١٤ 14
यह पहली ख़ूरेज़ी जो यूनतन और उसके सिलाह बरदार ने की क़रीबन बीस आदमियों की थी जो कोई एक बीघा ज़मीन की रेघारी में मारे गए।
وَكَانَ ٱرْتِعَادٌ فِي ٱلْمَحَلَّةِ، فِي ٱلْحَقْلِ، وَفِي جَمِيعِ ٱلشَّعْبِ. ٱلصَّفُّ وَٱلْمُخَرِّبُونَ ٱرْتَعَدُوا هُمْ أَيْضًا، وَرَجَفَتِ ٱلْأَرْضُ فَكَانَ ٱرْتِعَادٌ عَظِيمٌ. ١٥ 15
तब लश्कर और मैदान और सब लोगों में लरज़िश हुई और चौकी के सिपाही, और ग़ारतगर भी काँप गए, और ज़लज़ला आया इसलिए निहायत तेज़ कपकपी हुई।
فَنَظَرَ ٱلْمُرَاقِبُونَ لِشَاوُلَ فِي جِبْعَةِ بَنْيَامِينَ، وَإِذَا بِٱلْجُمْهُورِ قَدْ ذَابَ وَذَهَبُوا مُتَبَدِّدِينَ. ١٦ 16
और साऊल के निगहबानों ने जो बिनयमीन के जिबा' में थे नज़र की और देखा कि भीड़ घटती जाती है और लोग इधर उधर जा रहे हैं।
فَقَالَ شَاوُلُ لِلشَّعْبِ ٱلَّذِي مَعَهُ: «عُدُّوا ٱلْآنَ وَٱنْظُرُوا مَنْ ذَهَبَ مِنْ عِنْدِنَا». فَعَدُّوا، وَهُوَذَا يُونَاثَانُ وَحَامِلُ سِلَاحِهِ لَيْسَا مَوْجُودَيْنِ. ١٧ 17
तब साऊल ने उन लोगों से जो उसके साथ थे, कहा, “गिनती करके देखो, कि हम में से कौन चला गया है,” इसलिए उन्होंने शुमार किया तो देखो, यूनतन और उसका सिलाह बरदार ग़ायब थे।
فَقَالَ شَاوُلُ لِأَخِيَّا: «قَدِّمْ تَابُوتَ ٱللهِ». لِأَنَّ تَابُوتَ ٱللهِ كَانَ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ مَعَ بَنِي إِسْرَائِيلَ. ١٨ 18
और साऊल ने अख़ियाह से कहा, “ख़ुदा का संदूक़ यहाँ ला।” क्यूँकि ख़ुदा का संदूक़ उस वक़्त बनी इस्राईल के साथ वहीं था।
وَفِيمَا كَانَ شَاوُلُ يَتَكَلَّمُ بَعْدُ مَعَ ٱلْكَاهِنِ، تَزَايَدَ ٱلضَّجِيجُ ٱلَّذِي فِي مَحَلَّةِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ وَكَثُرَ. فَقَالَ شَاوُلُ لِلْكَاهِنِ: «كُفَّ يَدَكَ». ١٩ 19
और जब साऊल काहिन से बातें कर रहा था तो फ़िलिस्तियों की लश्कर गाह, में जो हलचल मच गई थी वह और ज़्यादा हो गई तब साऊल ने काहिन से कहा कि “अपना हाथ खींच ले।”
وَصَاحَ شَاوُلُ وَجَمِيعُ ٱلشَّعْبِ ٱلَّذِي مَعَهُ وَجَاءُوا إِلَى ٱلْحَرْبِ، وَإِذَا بِسَيْفِ كُلِّ وَاحِدٍ عَلَى صَاحِبِهِ. ٱضْطِرَابٌ عَظِيمٌ جِدًّا. ٢٠ 20
और साऊल और सब लोग जो उसके साथ थे, एक जगह जमा' हो गए, और लड़ने को आए और देखा कि हर एक की तलवार अपने ही साथी पर चल रही है, और सख़्त तहलका मचा हुआ है।
وَٱلْعِبْرَانِيُّونَ ٱلَّذِينَ كَانُوا مَعَ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ مُنْذُ أَمْسِ وَمَا قَبْلَهُ، ٱلَّذِينَ صَعِدُوا مَعَهُمْ إِلَى ٱلْمَحَلَّةِ مِنْ حَوَالَيْهِمْ، صَارُوا هُمْ أَيْضًا مَعَ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِينَ مَعَ شَاوُلَ وَيُونَاثَانَ. ٢١ 21
और वह 'इब्रानी भी जो पहले की तरह फ़िलिस्तियों के साथ थे और चारो तरफ़ से उनके साथ लश्कर में आए थे फिर कर उन इस्राईलियों से मिल गए जो साऊल और यूनतन के साथ थे।
وَسَمِعَ جَمِيعُ رِجَالِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِينَ ٱخْتَبَأُوا فِي جَبَلِ أَفْرَايِمَ أَنَّ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ هَرَبُوا، فَشَدُّوا هُمْ أَيْضًا وَرَاءَهُمْ فِي ٱلْحَرْبِ. ٢٢ 22
इसी तरह उन सब इस्राईली मर्दों ने भी जो इफ़्राईम के पहाड़ी मुल्क में छिप गए थे, यह सुन कर कि फ़िलिस्ती भागे जाते हैं, लड़ाई में आ उनका पीछा किया।
فَخَلَّصَ ٱلرَّبُّ إِسْرَائِيلَ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ. وَعَبَرَتِ ٱلْحَرْبُ إِلَى بَيْتِ آوِنَ. ٢٣ 23
तब ख़ुदावन्द ने उस दिन इस्राईलियों को रिहाई दी और लड़ाई बैत आवन के उस पार तक पहुँची।
وَضَنُكَ رِجَالُ إِسْرَائِيلَ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ، لِأَنَّ شَاوُلَ حَلَّفَ ٱلشَّعْبَ قَائِلًا: «مَلْعُونٌ ٱلرَّجُلُ ٱلَّذِي يَأْكُلُ خُبْزًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ حَتَّى أَنْتَقِمَ مِنْ أَعْدَائِي». فَلَمْ يَذُقْ جَمِيعُ ٱلشَّعْبِ خُبْزًا. ٢٤ 24
और इस्राईली मर्द उस दिन बड़े परेशान थे, क्यूँकि साऊल ने लोगों को क़सम देकर यूँ कहा, था कि जब तक शाम न हो और मैं अपने दुश्मनों से बदला न ले लूँ उस वक़्त तक अगर कोई कुछ खाए तो वह ला'नती हो। इस वजह से उन लोगों में से किसी ने खाना चखा तक न था।
وَجَاءَ كُلُّ ٱلشَّعْبِ إِلَى ٱلْوَعْرِ وَكَانَ عَسَلٌ عَلَى وَجْهِ ٱلْحَقْلِ. ٢٥ 25
और सब लोग जंगल में जा पहुँचे और वहाँ ज़मीन पर शहद था।
وَلَمَّا دَخَلَ ٱلشَّعْبُ ٱلْوَعْرَ إِذَا بِٱلْعَسَلِ يَقْطُرُ وَلَمْ يَمُدَّ أَحَدٌ يَدَهُ إِلَى فِيهِ، لِأَنَّ ٱلشَّعْبَ خَافَ مِنَ ٱلْقَسَمِ. ٢٦ 26
और जब यह लोग उस जंगल में पहुँच गए तो देखा कि शहद टपक रहा है तो भी कोई अपना हाथ अपने मुँह तक नही ले गया इसलिए कि उनको क़सम का ख़ौफ़ था।
وَأَمَّا يُونَاثَانُ فَلَمْ يَسْمَعْ عِنْدَمَا ٱسْتَحْلَفَ أَبُوهُ ٱلشَّعْبَ، فَمَدَّ طَرَفَ ٱلنُّشَّابَةِ ٱلَّتِي بِيَدِهِ وَغَمَسَهُ فِي قَطْرِ ٱلْعَسَلِ وَرَدَّ يَدَهُ إِلَى فِيهِ فَٱسْتَنَارَتْ عَيْنَاهُ. ٢٧ 27
लेकिन यूनतन ने अपने बाप को उन लोगों को क़सम देते नहीं सुना था, इसलिए उसने अपने हाथ की लाठी के सिरे को शहद के छत्ते में भोंका और अपना हाथ अपने मुँह से लगा लिया और उसकी आँखों में रोशनी आई।
فَأَجَابَ وَاحِدٌ مِنَ ٱلشَّعْبِ وَقَالَ: «قَدْ حَلَّفَ أَبُوكَ ٱلشَّعْبَ حَلْفًا قَائِلًا: مَلْعُونٌ ٱلرَّجُلُ ٱلَّذِي يَأْكُلُ خُبْزًا ٱلْيَوْمَ. فَأَعْيَا ٱلشَّعْبُ». ٢٨ 28
तब उन लोगों में से एक ने उससे कहा, तेरे बाप ने लोगों को क़सम देकर सख़्त ताकीद की थी, और कहा था “कि जो शख़्स आज के दिन कुछ खाना खाए, वह ला'नती हो और लोग बेदम से हो रहे थे।”
فَقَالَ يُونَاثَانُ: «قَدْ كَدَّرَ أَبِي ٱلْأَرْضَ. اُنْظُرُوا كَيْفَ ٱسْتَنَارَتْ عَيْنَايَ لِأَنِّي ذُقْتُ قَلِيلًا مِنْ هَذَا ٱلْعَسَلِ. ٢٩ 29
तब यूनतन ने कहा कि मेरे बाप ने मुल्क को दुख दिया है, देखो मेरी आँखों में ज़रा सा शहद चखने की वजह से कैसी रोशनी आई।
فَكَمْ بِٱلْحَرِيِّ لَوْ أَكَلَ ٱلْيَوْمَ ٱلشَّعْبُ مِنْ غَنِيمَةِ أَعْدَائِهِمِ ٱلَّتِي وَجَدُوا؟ أَمَا كَانَتِ ٱلْآنَ ضَرْبَةٌ أَعْظَمُ عَلَى ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ؟» ٣٠ 30
कितना ज़्यादा अच्छा होता अगर सब लोग दुश्मन की लूट में से जो उनको मिली दिल खोल कर खाते क्यूँकि अभी तो फ़िलिस्तियों में कोई बड़ी ख़ूरेज़ी भी नहीं हुई है।
فَضَرَبُوا فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ مِنْ مِخْمَاسَ إِلَى أَيَّلُونَ. وَأَعْيَا ٱلشَّعْبُ جِدًّا. ٣١ 31
और उन्होंने उस दिन मिक्मास से अय्यालोन तक फ़िलिस्तियों को मारा और लोग बहुत ही बे दम हो गए।
وَثَارَ ٱلشَّعْبُ عَلَى ٱلْغَنِيمَةِ، فَأَخَذُوا غَنَمًا وَبَقَرًا وَعُجُولًا، وَذَبَحُوا عَلَى ٱلْأَرْضِ وَأَكَلَ ٱلشَّعْبُ عَلَى ٱلدَّمِ. ٣٢ 32
इसलिए वह लोग लूट पर गिरे और भेड़ बकरियों और बैलों और बछड़ों को लेकर उनको ज़मीन पर ज़बह, किया और ख़ून समेत खाने लगे।
فَأَخْبَرُوا شَاوُلَ قَائِلِينَ: «هُوَذَا ٱلشَّعْبُ يُخْطِئُ إِلَى ٱلرَّبِّ بِأَكْلِهِ عَلَى ٱلدَّمِ». فَقَالَ: «قَدْ غَدَرْتُمْ. دَحْرِجُوا إِلَيَّ ٱلْآنَ حَجَرًا كَبِيرًا». ٣٣ 33
तब उन्होंने साऊल को ख़बर दी कि देख लोग ख़ुदावन्द का गुनाह करते हैं कि ख़ून समेत खा रहे हैं। उसने कहा, तुम ने बेईमानी की, इसलिए एक बड़ा पत्थर आज मेरे सामने ढलका लाओ।
وَقَالَ شَاوُلُ: «تَفَرَّقُوا بَيْنَ ٱلشَّعْبِ وَقُولُوا لَهُمْ أَنْ يُقَدِّمُوا إِلَيَّ كُلُّ وَاحِدٍ ثَوْرَهُ وَكُلُّ وَاحِدٍ شَاتَهُ، وَٱذْبَحُوا هَهُنَا وَكُلُوا وَلَا تُخْطِئُوا إِلَى ٱلرَّبِّ بِأَكْلِكُمْ مَعَ ٱلدَّمِ». فَقَدَّمَ جَمِيعُ ٱلشَّعْبِ كُلُّ وَاحِدٍ ثَوْرَهُ بِيَدِهِ فِي تِلْكَ ٱللَّيْلَةِ وَذَبَحُوا هُنَاكَ. ٣٤ 34
फिर साऊल ने कहा कि लोगों के बीच इधर उधर जाकर उन से कहो कि हर शख़्स अपना बैल और अपनी भेड़ यहाँ मेरे पास लाए और यहीं, ज़बह करे और खाए और ख़ून समेत खाकर ख़ुदा का गुनहगार न बने। चुनाँचे उस रात लोगों में से हर शख़्स अपना बैल वहीं लाया और वहीं ज़बह किया।
وَبَنَى شَاوُلُ مَذْبَحًا لِلرَّبِّ. ٱلَّذِي شَرَعَ بِبُنْيَانِهِ مَذْبَحًا لِلرَّبِّ. ٣٥ 35
और साऊल ने ख़ुदावन्द के लिए एक मज़बह बनाया, यह पहला मज़बह है, जो उसने ख़ुदावन्द के लिए बनाया।
وَقَالَ شَاوُلُ: «لِنَنْزِلْ وَرَاءَ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ لَيْلًا وَنَنْهَبْهُمْ إِلَى ضَوْءِ ٱلصَّبَاحِ وَلَا نُبْقِ مِنْهُمْ أَحَدًا». فَقَالُوا: «ٱفْعَلْ كُلَّ مَا يَحْسُنُ فِي عَيْنَيْكَ». وَقَالَ ٱلْكَاهِنُ: «لِنَتَقَدَّمْ هُنَا إِلَى ٱللهِ». ٣٦ 36
फिर साऊल ने कहा, “आओ, रात ही को फ़िलिस्तियों का पीछा करें और पौ फटने तक उनको लूटें और उन में से एक आदमी को भी न छोड़ें।” उन्होंने कहा, “जो कुछ तुझे अच्छा लगे वह कर तब काहिन ने कहा, कि आओ, हम यहाँ ख़ुदा के नज़दीक हाज़िर हों।”
فَسَأَلَ شَاوُلُ ٱللهَ: «أَأَنْحَدِرُ وَرَاءَ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ؟ أَتَدْفَعُهُمْ لِيَدِ إِسْرَائِيلَ؟» فَلَمْ يُجِبْهُ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ. ٣٧ 37
और साऊल ने ख़ुदा से सलाह ली, कि क्या मैं फ़िलिस्तियों का पीछा करूँ? क्या तू उनको इस्राईल के हाथ में कर देगा। तो भी उसने उस दिन उसे कुछ जवाब न दिया।
فَقَالَ شَاوُلُ: «تَقَدَّمُوا إِلَى هُنَا يَا جَمِيعَ وُجُوهِ ٱلشَّعْبِ، وَٱعْلَمُوا وَٱنْظُرُوا بِمَاذَا كَانَتْ هَذِهِ ٱلْخَطِيَّةُ ٱلْيَوْمَ. ٣٨ 38
तब साऊल ने कहा कि तुम सब जो लोगों के सरदार हो यहाँ, नज़दीक आओ, और तहक़ीक़ करो और देखो कि आज के दिन गुनाह क्यूँकर हुआ है।
لِأَنَّهُ حَيٌّ هُوَ ٱلرَّبُّ مُخَلِّصُ إِسْرَائِيلَ، وَلَوْ كَانَتْ فِي يُونَاثَانَ ٱبْنِي فَإِنَّهُ يَمُوتُ مَوْتًا». وَلَمْ يَكُنْ مَنْ يُجِيبُهُ مِنْ كُلِّ ٱلشَّعْبِ. ٣٩ 39
क्यूँकि ख़ुदावन्द की हयात की क़सम जो इस्राईल को रिहाई देता है अगर वह मेरे बेटे यूनतन ही का गुनाह हो, वह ज़रूर मारा जाएगा, लेकिन उन सब लोगों में से किसी आदमी ने उसको जवाब न दिया।
فَقَالَ لِجَمِيعِ إِسْرَائِيلَ: «أَنْتُمْ تَكُونُونَ فِي جَانِبٍ وَأَنَا وَيُونَاثَانُ ٱبْنِي فِي جَانِبٍ». فَقَالَ ٱلشَّعْبُ لِشَاوُلَ: «ٱصْنَعْ مَا يَحْسُنُ فِي عَيْنَيْكَ». ٤٠ 40
तब उस ने सब इस्राईलियों से कहा, “तुम सब के सब एक तरफ़ हो जाओ, और मैं और मेरा बेटा यूनतन दूसरी तरफ़ हो जायेंगे।” लोगों ने साऊल से कहा, “जो तू मुनासिब जाने वह कर।”
وَقَالَ شَاوُلُ لِلرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ: «هَبْ صِدْقًا». فَأُخِذَ يُونَاثَانُ وَشَاوُلُ، أَمَّا ٱلشَّعْبُ فَخَرَجُوا. ٤١ 41
तब साऊल ने ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा से कहा, “हक़ को ज़ाहिर कर दे,” इसलिए पर्ची यूनतन और साऊल के नाम पर निकली, और लोग बच गए।
فَقَالَ شَاوُلُ: «أَلْقُوا بَيْنِي وَبَيْنَ يُونَاثَانَ ٱبْنِي. فَأُخِذَ يُونَاثَانُ». ٤٢ 42
तब साऊल ने कहा कि “मेरे और मेरे बेटे यूनतन के नाम पर पर्ची डालो, तब यूनतन पकड़ा गया।”
فَقَالَ شَاوُلُ لِيُونَاثَانَ: «أَخْبِرْنِي مَاذَا فَعَلْتَ». فَأَخْبَرَهُ يُونَاثَانُ وَقَالَ: «ذُقْتُ ذَوْقًا بِطَرَفِ ٱلنُّشَّابَةِ ٱلَّتِي بِيَدِي قَلِيلَ عَسَلٍ. فَهَأَنَذَا أَمُوتُ». ٤٣ 43
और साऊल ने यूनतन से कहा, “मुझे बता कि तूने क्या किया है?” यूनतन ने उसे बताया कि “मैंने बेशक अपने हाथ की लाठी के सिरे से ज़रा सा शहद चख्खा था इसलिए देख मुझे मरना होगा।”
فَقَالَ شَاوُلُ: «هَكَذَا يَفْعَلُ ٱللهُ وَهَكَذَا يَزِيدُ إِنَّكَ مَوْتًا تَمُوتُ يَايُونَاثَانُ». ٤٤ 44
साऊल ने कहा, “ख़ुदा ऐसा ही बल्कि इससे भी ज़्यादा करे क्यूँकि ऐ यूनतन तू ज़रूर मारा जाएगा।”
فَقَالَ ٱلشَّعْبُ لِشَاوُلَ: «أَيَمُوتُ يُونَاثَانُ ٱلَّذِي صَنَعَ هَذَا ٱلْخَلَاصَ ٱلْعَظِيمَ فِي إِسْرَائِيلَ؟ حَاشَا! حَيٌّ هُوَ ٱلرَّبُّ، لَا تَسْقُطُ شَعْرَةٌ مِنْ رَأْسِهِ إِلَى ٱلْأَرْضِ لِأَنَّهُ مَعَ ٱللهِ عَمِلَ هَذَا ٱلْيَوْمَ». فَٱفْتَدَى ٱلشَّعْبُ يُونَاثَانَ فَلَمْ يَمُتْ. ٤٥ 45
तब लोगों ने साऊल से कहा, “क्या यूनतन मारा जाए, जिसने इस्राईल को ऐसा बड़ा छुटकारा दिया है ऐसा न होगा, ख़ुदावन्द की हयात की क़सम है कि उसके सर का एक बाल भी ज़मीन पर गिरने नहीं पाएगा क्यूँकि उसने आज ख़ुदा के साथ हो कर काम किया है।” इसलिए लोगों ने यूनतन को बचा लिया और वह मारा न गया।
فَصَعِدَ شَاوُلُ مِنْ وَرَاءِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ، وَذَهَبَ ٱلْفِلِسْطِينِيُّونَ إِلَى مَكَانِهِمْ. ٤٦ 46
और साऊल फ़िलिस्तियों का पीछा छोड़ कर लौट गया और फ़िलिस्ती अपने मक़ाम को चले गए
وَأَخَذَ شَاوُلُ ٱلْمُلْكَ عَلَى إِسْرَائِيلَ، وَحَارَبَ جَمِيعَ أَعْدَائِهِ حَوَالَيْهِ: مُوآبَ وَبَنِي عَمُّونَ وَأَدُومَ وَمُلُوكَ صُوبَةَ وَٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ. وَحَيْثُمَا تَوَجَّهَ غَلَبَ. ٤٧ 47
जब साऊल बनी इस्राईल पर बादशाहत करने लगा, तो वह हर तरफ़ अपने दुश्मनों या'नी मोआब और बनी 'अम्मून और अदोम और ज़ोबाह के बादशाहों और फ़िलिस्तियों से लड़ा और वह जिस जिस तरफ़ फिरता उनका बुरा हाल करता था।
وَفَعَلَ بِبَأْسٍ وَضَرَبَ عَمَالِيقَ، وَأَنْقَذَ إِسْرَائِيلَ مِنْ يَدِ نَاهِبِيهِ. ٤٨ 48
और उसने बहादुरी करके अमालीक़ियों को मारा, और इस्राईलियों को उनके हाथ से छुड़ाया जो उनको लूटते थे।
وَكَانَ بَنُو شَاوُلَ: يُونَاثَانَ وَيَشْوِيَ وَمَلْكِيشُوعَ، وَٱسْمَا ٱبْنَتَيْهِ: ٱسْمُ ٱلْبِكْرِ مَيْرَبُ وَٱسْمُ ٱلصَّغِيرَةِ مِيكَالُ. ٤٩ 49
साऊल के बेटे यूनतन और इसवी और मलकीशू'अ थे; और उसकी दोनों बेटियों के नाम यह थे, बड़ी का नाम मेरब और छोटी का नाम मीकल था।
وَٱسْمُ ٱمْرَأَةِ شَاوُلَ أَخِينُوعَمُ بِنْتُ أَخِيمَعَصَ، وَٱسْمُ رَئِيسِ جَيْشِهِ أَبِينَيْرُ بْنُ نَيْرَ عَمِّ شَاوُلَ. ٥٠ 50
और साऊल कि बीवी का नाम अख़ीनु'अम था जो अख़ीमा'ज़ की बेटी थी, और उसकी फ़ौज के सरदार का नाम अबनेर था, जो साऊल के चचा नेर का बेटा था।
وَقَيْسُ أَبُو شَاوُلَ وَنَيْرُ أَبُو أَبْنَيْرَ ٱبْنَا أَبِيئِيلَ. ٥١ 51
और साऊल के बाप का नाम क़ीस था और अबनेर का बाप नेर अबीएल का बेटा था।
وَكَانَتْ حَرْبٌ شَدِيدَةٌ عَلَى ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ كُلَّ أَيَّامِ شَاوُلَ. وَإِذَا رَأَى شَاوُلُ رَجُلًا جَبَّارًا أَوْ ذَا بَأْسٍ ضَمَّهُ إِلَى نَفْسِهِ. ٥٢ 52
और साऊल की ज़िन्दगी भर फ़िलिस्तियों से सख़्त जंग रही, इसलिए जब साऊल किसी ताक़तवर मर्द या सूरमा को देखता था तो उसे अपने पास रख लेता था।

< صَمُوئِيلَ ٱلْأَوَّلُ 14 >