< صَمُوئِيلَ ٱلْأَوَّلُ 14 >

وَفِي ذَاتِ يَوْمٍ قَالَ يُونَاثَانُ بْنُ شَاوُلَ لِلْغُلَامِ حَامِلِ سِلَاحِهِ: «تَعَالَ نَعْبُرْ إِلَى حَفَظَةِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ ٱلَّذِينَ فِي ذَلِكَ ٱلْعَبْرِ». وَلَمْ يُخْبِرْ أَبَاهُ. ١ 1
एक दिन योनातन ने अपने शस्‍त्रवाहक से कहा, “चलो, उस ओर चलें, जहां फिलिस्तीनी सेना की छावनी है.” उसकी सूचना उसने अपने पिता को नहीं दी.
وَكَانَ شَاوُلُ مُقِيمًا فِي طَرَفِ جِبْعَةَ تَحْتَ ٱلرُّمَّانَةِ ٱلَّتِي فِي مِغْرُونَ، وَٱلشَّعْبُ ٱلَّذِي مَعَهُ نَحْوُ سِتِّ مِئَةِ رَجُلٍ. ٢ 2
शाऊल मिगरोन नामक स्थान पर एक अनार के पेड़ के नीचे बैठे हुए थे. यह स्थान गिबियाह की सीमा के निकट था. उनके साथ के सैनिकों की संख्या लगभग छः सौ थी,
وَأَخِيَّا بْنُ أَخِيطُوبَ، أَخِي إِيخَابُودَ بْنِ فِينَحَاسَ بْنِ عَالِي، كَاهِنُ ٱلرَّبِّ فِي شِيلُوهَ كَانَ لَابِسًا أَفُودًا. وَلَمْ يَعْلَمِ ٱلشَّعْبُ أَنَّ يُونَاثَانَ قَدْ ذَهَبَ. ٣ 3
इस समय अहीयाह एफ़ोद धारण किए हुए उनके साथ था. वह अहीतूब का पुत्र था, जो एली के पुत्र, फिनिहास के पुत्र इखाबोद का भाई था. एली शीलो में याहवेह के पुरोहित थे. सेना इस बात से बिलकुल अनजान थी कि योनातन वहां से जा चुके थे.
وَبَيْنَ ٱلْمَعَابِرِ ٱلَّتِي ٱلْتَمَسَ يُونَاثَانُ أَنْ يَعْبُرَهَا إِلَى حَفَظَةِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ سِنُّ صَخْرَةٍ مِنْ هَذِهِ ٱلْجِهَةِ وَسِنُّ صَخْرَةٍ مِنْ تِلْكَ ٱلْجِهَةِ، وَٱسْمُ ٱلْوَاحِدَةِ «بُوصَيْصُ» وَٱسْمُ ٱلْأُخْرَى «سَنَهُ». ٤ 4
उस संकरे मार्ग के दोनों ओर चट्टानों की तीव्र ढलान थी. योनातन यहीं से होकर फिलिस्तीनी सेना शिविर तक पहुंचने की योजना बना रहे थे. एक चट्टान का नाम था बोसेस और दूसरी का सेनेह.
وَٱلسِّنُّ ٱلْوَاحِدُ عَمُودٌ إِلَى ٱلشِّمَالِ مُقَابِلَ مِخْمَاسَ، وَٱلْآخَرُ إِلَى ٱلْجَنُوبِ مُقَابِلَ جِبْعَ. ٥ 5
उत्तरी दिशा की चट्टान मिकमाश के निकट थी तथा दक्षिण दिशा की चट्टान गेबा के.
فَقَالَ يُونَاثَانُ لِلْغُلَامِ حَامِلِ سِلَاحِهِ: «تَعَالَ نَعْبُرْ إِلَى صَفِّ هَؤُلَاءِ ٱلْغُلْفِ، لَعَلَّ ٱللهَ يَعْمَلُ مَعَنَا، لِأَنَّهُ لَيْسَ لِلرَّبِّ مَانِعٌ عَنْ أَنْ يُخَلِّصَ بِٱلْكَثِيرِ أَوْ بِٱلْقَلِيلِ». ٦ 6
योनातन ने अपने शस्‍त्रवाहक से कहा, “चलो, इन खतना-रहितों की छावनी तक चलें. संभव है कि याहवेह हमारे लिए सक्रिय हो जाएं. किसमें है यह क्षमता कि याहवेह को रोके? वह छुड़ौती किसी भी परिस्थिति में दे सकते हैं, चाहे थोड़ों के द्वारा या बहुतों के द्वारा.”
فَقَالَ لَهُ حَامِلُ سِلَاحِهِ: «ٱعْمَلْ كُلَّ مَا بِقَلْبِكَ. تَقَدَّمْ. هَأَنَذَا مَعَكَ حَسَبَ قَلْبِكَ». ٧ 7
उनके शस्‍त्रवाहक ने उनसे कहा, “जो कुछ आपको सही लग रहा है, वही कीजिए. जो आपने निश्चय कर लिया है, उसे पूरा कीजिए. मैं हर एक परिस्थिति में आपके साथ हूं.”
فَقَالَ يُونَاثَانُ: «هُوَذَا نَحْنُ نَعْبُرُ إِلَى ٱلْقَوْمِ وَنُظْهِرُ أَنْفُسَنَا لَهُمْ. ٨ 8
योनातन ने कहा, “बहुत बढ़िया! हम उन लोगों के सामने जाएंगे कि वे हमें देख सकें.
فَإِنْ قَالُوا لَنَا هَكَذَا: دُومُوا حَتَّى نَصِلَ إِلَيْكُمْ. نَقِفُ فِي مَكَانِنَا وَلَا نَصْعَدُ إِلَيْهِمْ. ٩ 9
यदि वे हमसे यह कहें, ‘हमारे वहां पहुंचने तक वहीं ठहरे रहना,’ तब हम वहीं खड़े रहेंगे, और उनके पास नहीं जाएंगे.
وَلَكِنْ إِنْ قَالُوا هَكَذَا: ٱصْعَدُوا إِلَيْنَا. نَصْعَدُ، لِأَنَّ ٱلرَّبَّ قَدْ دَفَعَهُمْ لِيَدِنَا، وَهَذِهِ هِيَ ٱلْعَلَامَةُ لَنَا». ١٠ 10
मगर यदि वे यह कहें, ‘यहां हमारे पास आओ,’ तब हम उनके निकट चले जाएंगे; क्योंकि यह हमारे लिए एक चिन्ह होगा कि याहवेह ने उन्हें हमारे अधीन कर दिया है.”
فَأَظْهَرَا أَنْفُسَهُمَا لِصَفِّ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ. فَقَالَ ٱلْفِلِسْطِينِيُّونَ: «هُوَذَا ٱلْعِبْرَانِيُّونَ خَارِجُونَ مِنَ ٱلثُّقُوبِ ٱلَّتِي ٱخْتَبَأُوا فِيهَا». ١١ 11
जब उन दोनों ने स्वयं को फिलिस्तीनी सेना पर प्रकट किया, फिलिस्तीनियों ने उन्हें देखा, वे आपस में विचार करने लगे, “देखो, देखो, इब्री अब अपनी उन गुफाओं में से निकलकर बाहर आ रहे हैं, जहां वे अब तक छिपे हुए थे.”
فَأَجَابَ رِجَالُ ٱلصَّفِّ يُونَاثَانَ وَحَامِلَ سِلَاحِهِ وَقَالُوا: «ٱصْعَدَا إِلَيْنَا فَنُعَلِّمَكُمَا شَيْئًا». فَقَالَ يُونَاثَانُ لِحَامِلِ سِلَاحِهِ: «ٱصْعَدْ وَرَائِي لِأَنَّ ٱلرَّبَّ قَدْ دَفَعَهُمْ لِيَدِ إِسْرَائِيلَ». ١٢ 12
तब उन सैनिकों ने योनातन तथा उनके हथियार उठानेवाले से कहा, “इधर आ जाओ कि हम तुम्हें एक-दो पाठ पढ़ा सकें.” योनातन ने अपने हथियार उठानेवाले से कहा, “चलो, चलो. मेरे पीछे चले आओ, क्योंकि याहवेह ने उन्हें इस्राएल के अधीन कर दिया है.”
فَصَعِدَ يُونَاثَانُ عَلَى يَدَيْهِ وَرِجْلَيْهِ وَحَامِلُ سِلَاحِهِ وَرَاءَهُ. فَسَقَطُوا أَمَامَ يُونَاثَانَ، وَكَانَ حَامِلُ سِلَاحِهِ يُقَتِّلُ وَرَاءَهُ. ١٣ 13
तब योनातन अपने हाथों और पैरों का उपयोग करते हुए ऊपर चढ़ने लगे और उनका शस्‍त्रवाहक उनके पीछे-पीछे चढ़ता चला गया. योनातन फिलिस्तीनियों को मारते चले गए और पीछे-पीछे उनके शस्‍त्रवाहक ने भी फिलिस्तीनियों को मार गिराया.
وَكَانَتِ ٱلضَّرْبَةُ ٱلْأُولَى ٱلَّتِي ضَرَبَهَا يُونَاثَانُ وَحَامِلُ سِلَاحِهِ نَحْوَ عِشْرِينَ رَجُلًا فِي نَحْوِ نِصْفِ تَلَمِ فَدَّانِ أَرْضٍ. ١٤ 14
उस पहली मार में योनातन और उनके शस्‍त्रवाहक ने लगभग बीस सैनिकों को मार गिराया था और वह क्षेत्र लगभग आधा एकड़ था.
وَكَانَ ٱرْتِعَادٌ فِي ٱلْمَحَلَّةِ، فِي ٱلْحَقْلِ، وَفِي جَمِيعِ ٱلشَّعْبِ. ٱلصَّفُّ وَٱلْمُخَرِّبُونَ ٱرْتَعَدُوا هُمْ أَيْضًا، وَرَجَفَتِ ٱلْأَرْضُ فَكَانَ ٱرْتِعَادٌ عَظِيمٌ. ١٥ 15
उससे फिलिस्तीनी शिविर में, मैदान में तथा सभी लोगों में आतंक छा गया. सैनिक चौकी में तथा छापामार दलों में भी आतंक छा गया. भूमि कांपने लगी जिससे सब में आतंक और भी अधिक गहरा हो गया.
فَنَظَرَ ٱلْمُرَاقِبُونَ لِشَاوُلَ فِي جِبْعَةِ بَنْيَامِينَ، وَإِذَا بِٱلْجُمْهُورِ قَدْ ذَابَ وَذَهَبُوا مُتَبَدِّدِينَ. ١٦ 16
बिन्यामिन प्रदेश की सीमा में स्थित गिबिया में शाऊल का पहरेदार देख रहा था कि फिलिस्तीनी सैनिक बड़ी संख्या में इधर-उधर हर दिशा में भाग रहे थे.
فَقَالَ شَاوُلُ لِلشَّعْبِ ٱلَّذِي مَعَهُ: «عُدُّوا ٱلْآنَ وَٱنْظُرُوا مَنْ ذَهَبَ مِنْ عِنْدِنَا». فَعَدُّوا، وَهُوَذَا يُونَاثَانُ وَحَامِلُ سِلَاحِهِ لَيْسَا مَوْجُودَيْنِ. ١٧ 17
तब शाऊल ने अपने साथ के सैनिकों को आदेश दिया, “सबको इकट्ठा करो और मालूम करो कि कौन-कौन यहां नहीं है.” जब सैनिक इकट्ठा हो गए तो यह मालूम हुआ कि योनातन और उनका शस्त्र उठानेवाला वहां नहीं थे.
فَقَالَ شَاوُلُ لِأَخِيَّا: «قَدِّمْ تَابُوتَ ٱللهِ». لِأَنَّ تَابُوتَ ٱللهِ كَانَ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ مَعَ بَنِي إِسْرَائِيلَ. ١٨ 18
तब शाऊल ने अहीयाह से कहा, “एफ़ोद यहां लाया जाए.” (उस समय अहीयाह एफ़ोद धारण करता था.)
وَفِيمَا كَانَ شَاوُلُ يَتَكَلَّمُ بَعْدُ مَعَ ٱلْكَاهِنِ، تَزَايَدَ ٱلضَّجِيجُ ٱلَّذِي فِي مَحَلَّةِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ وَكَثُرَ. فَقَالَ شَاوُلُ لِلْكَاهِنِ: «كُفَّ يَدَكَ». ١٩ 19
यहां जब शाऊल पुरोहित से बातें कर ही रहे थे, फिलिस्तीनी शिविर में आतंक गहराता ही जा रहा था. तब शाऊल ने पुरोहित को आदेश दिया, “अपना हाथ बाहर निकाल लीजिए.”
وَصَاحَ شَاوُلُ وَجَمِيعُ ٱلشَّعْبِ ٱلَّذِي مَعَهُ وَجَاءُوا إِلَى ٱلْحَرْبِ، وَإِذَا بِسَيْفِ كُلِّ وَاحِدٍ عَلَى صَاحِبِهِ. ٱضْطِرَابٌ عَظِيمٌ جِدًّا. ٢٠ 20
शाऊल और उनके साथ जितने व्यक्ति थे युद्ध के लिए चल पड़े. फिलिस्तीनी शिविर में उन्होंने देखा कि घोर आतंक में फिलिस्तीनी सैनिक एक दूसरे को ही तलवार से घात किए जा रहे थे.
وَٱلْعِبْرَانِيُّونَ ٱلَّذِينَ كَانُوا مَعَ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ مُنْذُ أَمْسِ وَمَا قَبْلَهُ، ٱلَّذِينَ صَعِدُوا مَعَهُمْ إِلَى ٱلْمَحَلَّةِ مِنْ حَوَالَيْهِمْ، صَارُوا هُمْ أَيْضًا مَعَ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِينَ مَعَ شَاوُلَ وَيُونَاثَانَ. ٢١ 21
वहां कुछ इब्री सैनिक ऐसे भी थे, जो शाऊल की सेना छोड़ फिलिस्तीनियों से जा मिले थे. अब वे भी विद्रोही होकर शाऊल और योनातन के साथ मिल गए.
وَسَمِعَ جَمِيعُ رِجَالِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِينَ ٱخْتَبَأُوا فِي جَبَلِ أَفْرَايِمَ أَنَّ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ هَرَبُوا، فَشَدُّوا هُمْ أَيْضًا وَرَاءَهُمْ فِي ٱلْحَرْبِ. ٢٢ 22
इसी प्रकार, वे इस्राएली, जो एफ्राईम प्रदेश के पर्वतों में जा छिपे थे, यह सुनकर कि फिलिस्तीनी भाग रहे हैं, वे भी युद्ध में उनका पीछा करने में जुट गए.
فَخَلَّصَ ٱلرَّبُّ إِسْرَائِيلَ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ. وَعَبَرَتِ ٱلْحَرْبُ إِلَى بَيْتِ آوِنَ. ٢٣ 23
इस प्रकार याहवेह ने उस दिन इस्राएल को छुड़ौती दी. युद्ध बेथ-आवेन के परे फैल चुका था.
وَضَنُكَ رِجَالُ إِسْرَائِيلَ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ، لِأَنَّ شَاوُلَ حَلَّفَ ٱلشَّعْبَ قَائِلًا: «مَلْعُونٌ ٱلرَّجُلُ ٱلَّذِي يَأْكُلُ خُبْزًا إِلَى ٱلْمَسَاءِ حَتَّى أَنْتَقِمَ مِنْ أَعْدَائِي». فَلَمْ يَذُقْ جَمِيعُ ٱلشَّعْبِ خُبْزًا. ٢٤ 24
उस दिन इस्राएल सैनिक बहुत ही थक चुके थे क्योंकि शाऊल ने शपथ ले रखी थी, “शापित होगा वह व्यक्ति, जो शाम होने के पहले भोजन करेगा, इसके पहले कि मैं अपने शत्रुओं से बदला ले लूं.” तब किसी भी सैनिक ने भोजन नहीं किया.
وَجَاءَ كُلُّ ٱلشَّعْبِ إِلَى ٱلْوَعْرِ وَكَانَ عَسَلٌ عَلَى وَجْهِ ٱلْحَقْلِ. ٢٥ 25
सेना वन में प्रवेश कर चुकी थी और वहां भूमि पर शहद का छत्ता पड़ा हुआ था.
وَلَمَّا دَخَلَ ٱلشَّعْبُ ٱلْوَعْرَ إِذَا بِٱلْعَسَلِ يَقْطُرُ وَلَمْ يَمُدَّ أَحَدٌ يَدَهُ إِلَى فِيهِ، لِأَنَّ ٱلشَّعْبَ خَافَ مِنَ ٱلْقَسَمِ. ٢٦ 26
जब सैनिक वन में आगे बढ़ रहे थे वहां शहद बहा चला जा रहा था, मगर किसी ने शहद नहीं खाया क्योंकि उन पर शपथ का भय छाया हुआ था.
وَأَمَّا يُونَاثَانُ فَلَمْ يَسْمَعْ عِنْدَمَا ٱسْتَحْلَفَ أَبُوهُ ٱلشَّعْبَ، فَمَدَّ طَرَفَ ٱلنُّشَّابَةِ ٱلَّتِي بِيَدِهِ وَغَمَسَهُ فِي قَطْرِ ٱلْعَسَلِ وَرَدَّ يَدَهُ إِلَى فِيهِ فَٱسْتَنَارَتْ عَيْنَاهُ. ٢٧ 27
मगर योनातन ने अपने पिता द्वारा सेना को दी गई शपथ को नहीं सुना था. उसने अपनी लाठी का छोर शहद के छत्ते में डाल दिया. और जब उसने उस शहद को खाया, उसकी आंखों में चमक आ गई.
فَأَجَابَ وَاحِدٌ مِنَ ٱلشَّعْبِ وَقَالَ: «قَدْ حَلَّفَ أَبُوكَ ٱلشَّعْبَ حَلْفًا قَائِلًا: مَلْعُونٌ ٱلرَّجُلُ ٱلَّذِي يَأْكُلُ خُبْزًا ٱلْيَوْمَ. فَأَعْيَا ٱلشَّعْبُ». ٢٨ 28
तब सैनिकों में से एक ने उन्हें बताया, “तुम्हारे पिता ने सेना को इन शब्दों में यह शपथ दी थी, ‘शापित होगा वह व्यक्ति जो आज भोजन करेगा!’ इसलिये सब सैनिक बहुत ही थके मांदे हैं.”
فَقَالَ يُونَاثَانُ: «قَدْ كَدَّرَ أَبِي ٱلْأَرْضَ. اُنْظُرُوا كَيْفَ ٱسْتَنَارَتْ عَيْنَايَ لِأَنِّي ذُقْتُ قَلِيلًا مِنْ هَذَا ٱلْعَسَلِ. ٢٩ 29
योनातन ने कहा, “राष्ट्र के लिए मेरे पिता ने ही संकट उत्पन्‍न किया है. देख लो, मेरे शहद के चखने पर ही मेरी आंखें कैसी चमकने लगीं हैं.
فَكَمْ بِٱلْحَرِيِّ لَوْ أَكَلَ ٱلْيَوْمَ ٱلشَّعْبُ مِنْ غَنِيمَةِ أَعْدَائِهِمِ ٱلَّتِي وَجَدُوا؟ أَمَا كَانَتِ ٱلْآنَ ضَرْبَةٌ أَعْظَمُ عَلَى ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ؟» ٣٠ 30
कितना अच्छा होता यदि आज सभी सैनिकों ने शत्रुओं से लूटी सामग्री में से भोजन कर लिया होता! तब शत्रुओं पर हमारी जय और भी अधिक उल्लेखनीय होती.”
فَضَرَبُوا فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ مِنْ مِخْمَاسَ إِلَى أَيَّلُونَ. وَأَعْيَا ٱلشَّعْبُ جِدًّا. ٣١ 31
उस दिन सेना ने फिलिस्तीनियों को मिकमाश से लेकर अय्जालोन तक हरा दिया. तब वे बहुत ही थक चुके थे.
وَثَارَ ٱلشَّعْبُ عَلَى ٱلْغَنِيمَةِ، فَأَخَذُوا غَنَمًا وَبَقَرًا وَعُجُولًا، وَذَبَحُوا عَلَى ٱلْأَرْضِ وَأَكَلَ ٱلشَّعْبُ عَلَى ٱلدَّمِ. ٣٢ 32
तब सैनिक शत्रुओं की सामग्री पर लालच कर टूट पड़े. उन्होंने भेड़ें गाय-बैल तथा बछड़े लूट लिए. उन्होंने वहीं भूमि पर उनका वध किया और सैनिक उन्हें लहू समेत खाने लगे.
فَأَخْبَرُوا شَاوُلَ قَائِلِينَ: «هُوَذَا ٱلشَّعْبُ يُخْطِئُ إِلَى ٱلرَّبِّ بِأَكْلِهِ عَلَى ٱلدَّمِ». فَقَالَ: «قَدْ غَدَرْتُمْ. دَحْرِجُوا إِلَيَّ ٱلْآنَ حَجَرًا كَبِيرًا». ٣٣ 33
इसकी सूचना शाऊल को दी गई, “देखिए, सेना याहवेह के विरुद्ध पाप कर रही है—वे लहू के साथ उन्हें खा रहे हैं.” शाऊल ने उत्तर दिया, “तुम सभी ने विश्वासघात किया है. एक बड़ा पत्थर लुढ़का कर यहां मेरे सामने लाओ.”
وَقَالَ شَاوُلُ: «تَفَرَّقُوا بَيْنَ ٱلشَّعْبِ وَقُولُوا لَهُمْ أَنْ يُقَدِّمُوا إِلَيَّ كُلُّ وَاحِدٍ ثَوْرَهُ وَكُلُّ وَاحِدٍ شَاتَهُ، وَٱذْبَحُوا هَهُنَا وَكُلُوا وَلَا تُخْطِئُوا إِلَى ٱلرَّبِّ بِأَكْلِكُمْ مَعَ ٱلدَّمِ». فَقَدَّمَ جَمِيعُ ٱلشَّعْبِ كُلُّ وَاحِدٍ ثَوْرَهُ بِيَدِهِ فِي تِلْكَ ٱللَّيْلَةِ وَذَبَحُوا هُنَاكَ. ٣٤ 34
उन्होंने आगे आदेश दिया, “तुम सब सैनिकों के बीच में जाकर उनसे यह कहो, ‘तुममें से हर एक अपना अपना बैल या अपनी-अपनी भेड़ यहां मेरे सामने उस स्थान पर लाकर उसका वध करे और तब उसे खाए, मगर मांस को लहू सहित खाकर याहवेह के विरुद्ध पाप न करो.’” तब उस रात हर एक ने अपना अपना बैल वहीं लाकर उसका वध किया.
وَبَنَى شَاوُلُ مَذْبَحًا لِلرَّبِّ. ٱلَّذِي شَرَعَ بِبُنْيَانِهِ مَذْبَحًا لِلرَّبِّ. ٣٥ 35
फिर शाऊल ने याहवेह के लिए एक वेदी बनाई. यह उनके द्वारा याहवेह के लिए बनाई पहली वेदी थी.
وَقَالَ شَاوُلُ: «لِنَنْزِلْ وَرَاءَ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ لَيْلًا وَنَنْهَبْهُمْ إِلَى ضَوْءِ ٱلصَّبَاحِ وَلَا نُبْقِ مِنْهُمْ أَحَدًا». فَقَالُوا: «ٱفْعَلْ كُلَّ مَا يَحْسُنُ فِي عَيْنَيْكَ». وَقَالَ ٱلْكَاهِنُ: «لِنَتَقَدَّمْ هُنَا إِلَى ٱللهِ». ٣٦ 36
शाऊल ने अपनी सेना से कहा, “रात में हम फिलिस्तीनियों पर हमला करें. सुबह होते-होते हम उन्हें लूट लेंगे. उनमें से एक भी सैनिक जीवित न छोड़ा जाए.” उन्होंने सहमति में उत्तर दिया, “वही कीजिए, जो आपको सही लग रहा है.” मगर पुरोहित ने सुझाव दिया, “सही यह होगा कि इस विषय में हम परमेश्वर की सलाह ले लें.”
فَسَأَلَ شَاوُلُ ٱللهَ: «أَأَنْحَدِرُ وَرَاءَ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ؟ أَتَدْفَعُهُمْ لِيَدِ إِسْرَائِيلَ؟» فَلَمْ يُجِبْهُ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ. ٣٧ 37
तब शाऊल ने परमेश्वर से पूछा, “क्या मैं फिलिस्तीनियों पर हमला करूं? क्या आप उन्हें इस्राएल के अधीन कर देंगे?” मगर परमेश्वर ने उस समय उन्हें कोई उत्तर न दिया.
فَقَالَ شَاوُلُ: «تَقَدَّمُوا إِلَى هُنَا يَا جَمِيعَ وُجُوهِ ٱلشَّعْبِ، وَٱعْلَمُوا وَٱنْظُرُوا بِمَاذَا كَانَتْ هَذِهِ ٱلْخَطِيَّةُ ٱلْيَوْمَ. ٣٨ 38
तब शाऊल ने सभी सैन्य अधिकारियों को अपने पास बुलाकर उनसे कहा, “तुम सभी प्रधानों, यहां आओ कि हम यह पता करें कि आज यह पाप किस प्रकार किया गया है.
لِأَنَّهُ حَيٌّ هُوَ ٱلرَّبُّ مُخَلِّصُ إِسْرَائِيلَ، وَلَوْ كَانَتْ فِي يُونَاثَانَ ٱبْنِي فَإِنَّهُ يَمُوتُ مَوْتًا». وَلَمْ يَكُنْ مَنْ يُجِيبُهُ مِنْ كُلِّ ٱلشَّعْبِ. ٣٩ 39
इस्राएल के रखवाले जीवित याहवेह की शपथ, यदि यह पाप स्वयं मेरे पुत्र योनातन द्वारा भी किया गया हो, उसके लिए मृत्यु दंड तय है.” सारी सेना में से एक भी सैनिक ने कुछ भी न कहा.
فَقَالَ لِجَمِيعِ إِسْرَائِيلَ: «أَنْتُمْ تَكُونُونَ فِي جَانِبٍ وَأَنَا وَيُونَاثَانُ ٱبْنِي فِي جَانِبٍ». فَقَالَ ٱلشَّعْبُ لِشَاوُلَ: «ٱصْنَعْ مَا يَحْسُنُ فِي عَيْنَيْكَ». ٤٠ 40
तब शाऊल ने संपूर्ण इस्राएली सेना से कहा, “ठीक है. एक ओर मैं और योनातन खड़े होंगे और दूसरी ओर तुम सभी.” सेना ने उत्तर दिया, “आपको जो कुछ सही लगे, कीजिए.”
وَقَالَ شَاوُلُ لِلرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ: «هَبْ صِدْقًا». فَأُخِذَ يُونَاثَانُ وَشَاوُلُ، أَمَّا ٱلشَّعْبُ فَخَرَجُوا. ٤١ 41
तब शाऊल ने यह प्रार्थना की, “याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर, यदि यह पाप मेरे द्वारा या मेरे पुत्र योनातन द्वारा ही किया गया है, तब याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर, तब उरीम के द्वारा इसकी पुष्टि कीजिए. यदि यह पाप आपकी प्रजा इस्राएल के द्वारा किया गया है, तब इसकी पुष्टि थुम्मीम द्वारा कीजिए.” इस प्रक्रिया से चिट्ठियों द्वारा योनातन तथा शाऊल सूचित किए गए और सेना निर्दोष घोषित कर दी गई.
فَقَالَ شَاوُلُ: «أَلْقُوا بَيْنِي وَبَيْنَ يُونَاثَانَ ٱبْنِي. فَأُخِذَ يُونَاثَانُ». ٤٢ 42
तब शाऊल ने आदेश दिया, “चिट्ठियां मेरे तथा योनातन के बीच डाली जाएं.” इसमें चिट्ठी द्वारा योनातन चुना गया.
فَقَالَ شَاوُلُ لِيُونَاثَانَ: «أَخْبِرْنِي مَاذَا فَعَلْتَ». فَأَخْبَرَهُ يُونَاثَانُ وَقَالَ: «ذُقْتُ ذَوْقًا بِطَرَفِ ٱلنُّشَّابَةِ ٱلَّتِي بِيَدِي قَلِيلَ عَسَلٍ. فَهَأَنَذَا أَمُوتُ». ٤٣ 43
तब शाऊल ने योनातन को आदेश दिया, “अब बताओ, क्या किया है तुमने?” योनातन ने उन्हें बताया, “सच यह है कि मैंने अपनी लाठी का सिरा शहद के छत्ते से लगा, उसमें लगे थोड़े से शहद को सिर्फ चखा ही था. क्या यह मृत्यु दंड योग्य अपराध है!”
فَقَالَ شَاوُلُ: «هَكَذَا يَفْعَلُ ٱللهُ وَهَكَذَا يَزِيدُ إِنَّكَ مَوْتًا تَمُوتُ يَايُونَاثَانُ». ٤٤ 44
“योनातन, यदि मैं तुम्हें मृत्यु दंड न दूं तो परमेश्वर मुझे कठोर दंड देंगे,” शाऊल ने उत्तर दिया.
فَقَالَ ٱلشَّعْبُ لِشَاوُلَ: «أَيَمُوتُ يُونَاثَانُ ٱلَّذِي صَنَعَ هَذَا ٱلْخَلَاصَ ٱلْعَظِيمَ فِي إِسْرَائِيلَ؟ حَاشَا! حَيٌّ هُوَ ٱلرَّبُّ، لَا تَسْقُطُ شَعْرَةٌ مِنْ رَأْسِهِ إِلَى ٱلْأَرْضِ لِأَنَّهُ مَعَ ٱللهِ عَمِلَ هَذَا ٱلْيَوْمَ». فَٱفْتَدَى ٱلشَّعْبُ يُونَاثَانَ فَلَمْ يَمُتْ. ٤٥ 45
मगर सारी सेना इनकार कर कहने लगी, “क्या योनातन वास्तव में मृत्यु दंड के योग्य है, जिसके द्वारा आज हमें ऐसी महान विजय प्राप्‍त हुई है? कभी नहीं, कभी नहीं! जीवित याहवेह की शपथ, उसके सिर के एक केश तक की हानि न होगी, क्योंकि जो कुछ उसने आज किया है, वह उसने परमेश्वर की सहायता ही से किया है.” इस प्रकार सेना ने योनातन को निश्चित मृत्यु दंड से बचा लिया.
فَصَعِدَ شَاوُلُ مِنْ وَرَاءِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ، وَذَهَبَ ٱلْفِلِسْطِينِيُّونَ إِلَى مَكَانِهِمْ. ٤٦ 46
इसके बाद शाऊल ने फिलिस्तीनियों का पीछा करने का विचार ही त्याग दिया, और फिलिस्ती अपनी-अपनी जगह पर लौट गए.
وَأَخَذَ شَاوُلُ ٱلْمُلْكَ عَلَى إِسْرَائِيلَ، وَحَارَبَ جَمِيعَ أَعْدَائِهِ حَوَالَيْهِ: مُوآبَ وَبَنِي عَمُّونَ وَأَدُومَ وَمُلُوكَ صُوبَةَ وَٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ. وَحَيْثُمَا تَوَجَّهَ غَلَبَ. ٤٧ 47
जब शाऊल इस्राएल के राजा के रूप में प्रतिष्ठित हो गए, उन्होंने उनके निकटवर्ती सभी शत्रुओं से युद्ध करना शुरू कर दिया: मोआबियों, अम्मोनियों, एदोमियों, ज़ोबाह के राजाओं तथा फिलिस्तीनियों से.
وَفَعَلَ بِبَأْسٍ وَضَرَبَ عَمَالِيقَ، وَأَنْقَذَ إِسْرَائِيلَ مِنْ يَدِ نَاهِبِيهِ. ٤٨ 48
उन्होंने अमालेकियों को मार गिराया और इस्राएल को उसके शत्रुओं से छुड़ौती प्रदान की.
وَكَانَ بَنُو شَاوُلَ: يُونَاثَانَ وَيَشْوِيَ وَمَلْكِيشُوعَ، وَٱسْمَا ٱبْنَتَيْهِ: ٱسْمُ ٱلْبِكْرِ مَيْرَبُ وَٱسْمُ ٱلصَّغِيرَةِ مِيكَالُ. ٤٩ 49
शाऊल के पुत्र थे, योनातन, इशवी तथा मालखी-शुआ. उनकी दो पुत्रियां भी थी: बड़ी का नाम था मेराब तथा छोटी का मीखल.
وَٱسْمُ ٱمْرَأَةِ شَاوُلَ أَخِينُوعَمُ بِنْتُ أَخِيمَعَصَ، وَٱسْمُ رَئِيسِ جَيْشِهِ أَبِينَيْرُ بْنُ نَيْرَ عَمِّ شَاوُلَ. ٥٠ 50
शाऊल की पत्नी का नाम अहीनोअम था, जो अहीमाज़ की बेटी थी. उनकी सेना के प्रधान थे नेर के पुत्र अबनेर. नेर शाऊल के पिता कीश के भाई थे.
وَقَيْسُ أَبُو شَاوُلَ وَنَيْرُ أَبُو أَبْنَيْرَ ٱبْنَا أَبِيئِيلَ. ٥١ 51
शाऊल के पिता कीश तथा अबनेर के पिता नेर, दोनों ही अबीएल के पुत्र थे.
وَكَانَتْ حَرْبٌ شَدِيدَةٌ عَلَى ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ كُلَّ أَيَّامِ شَاوُلَ. وَإِذَا رَأَى شَاوُلُ رَجُلًا جَبَّارًا أَوْ ذَا بَأْسٍ ضَمَّهُ إِلَى نَفْسِهِ. ٥٢ 52
शाऊल के पूरे जीवनकाल में इस्राएलियों और फिलिस्तीनियों के बीच लगातार युद्ध चलता रहा. जब कभी शाऊल की दृष्टि किसी साहसी और बलवान युवक पर पड़ती थी, वह उसे अपनी सेना में शामिल कर लेते थे.

< صَمُوئِيلَ ٱلْأَوَّلُ 14 >