< ١ بطرس 2 >

فَٱطْرَحُوا كُلَّ خُبْثٍ وَكُلَّ مَكْرٍ وَٱلرِّيَاءَ وَٱلْحَسَدَ وَكُلَّ مَذَمَّةٍ، ١ 1
पस हर तरह की बद्ख़्वाही और सारे फ़रेब और रियाकारी और हसद और हर तरह की बदगोई को दूर करके,
وَكَأَطْفَالٍ مَوْلُودِينَ ٱلْآنَ، ٱشْتَهُوا ٱللَّبَنَ ٱلْعَقْلِيَّ ٱلْعَدِيمَ ٱلْغِشِّ لِكَيْ تَنْمُوا بِهِ، ٢ 2
पैदाइशी बच्चों की तरह ख़ालिस रूहानी दूध के इंतज़ार में रहो, ताकि उसके ज़रिए से नजात हासिल करने के लिए बढ़ते जाओ,
إِنْ كُنْتُمْ قَدْ ذُقْتُمْ أَنَّ ٱلرَّبَّ صَالِحٌ. ٣ 3
अगर तुम ने ख़ुदावन्द के मेहरबान होने का मज़ा चखा है।
ٱلَّذِي إِذْ تَأْتُونَ إِلَيْهِ، حَجَرًا حَيًّا مَرْفُوضًا مِنَ ٱلنَّاسِ، وَلَكِنْ مُخْتَارٌ مِنَ ٱللهِ كَرِيمٌ، ٤ 4
उसके या'नी आदमियों के रद्द किए हुए, पर ख़ुदा के चुने हुए और क़ीमती ज़िन्दा पत्थर के पास आकर,
كُونُوا أَنْتُمْ أَيْضًا مَبْنِيِّينَ -كَحِجَارَةٍ حَيَّةٍ- بَيْتًا رُوحِيًّا، كَهَنُوتًا مُقَدَّسًا، لِتَقْدِيمِ ذَبَائِحَ رُوحِيَّةٍ مَقْبُولَةٍ عِنْدَ ٱللهِ بِيَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ. ٥ 5
तुम भी ज़िन्दा पत्थरों की तरह रूहानी घर बनते जाते हो, ताकि काहिनों का मुक़द्दस फ़िरक़ा बनकर ऐसी रूहानी क़ुर्बानियाँ चढ़ाओ जो ईसा मसीह के वसीले से ख़ुदा के नज़दीक मक़बूल होती है।
لِذَلِكَ يُتَضَمَّنُ أَيْضًا فِي ٱلْكِتَابِ: «هَأَنَذَا أَضَعُ فِي صِهْيَوْنَ حَجَرَ زَاوِيَةٍ مُخْتَارًا كَرِيمًا، وَٱلَّذِي يُؤْمِنُ بِهِ لَنْ يُخْزَى». ٦ 6
चुनाँचे किताब — ए — मुक़द्दस में आया है: देखो, मैं सिय्यून में कोने के सिरे का चुना हुआ और क़ीमती पत्थर रखता हूँ; जो उस पर ईमान लाएगा हरगिज़ शर्मिन्दा न होगा।
فَلَكُمْ أَنْتُمُ ٱلَّذِينَ تُؤْمِنُونَ ٱلْكَرَامَةُ، وَأَمَّا لِلَّذِينَ لَا يُطِيعُونَ، «فَٱلْحَجَرُ ٱلَّذِي رَفَضَهُ ٱلْبَنَّاؤُونَ، هُوَ قَدْ صَارَ رَأْسَ ٱلزَّاوِيَةِ» ٧ 7
पस तुम ईमान लाने वालों के लिए तो वो क़ीमती है, मगर ईमान न लाने वालों के लिए जिस पत्थर को राजगीरों ने रद्द किया वही कोने के सिरे का पत्थर हो गया।
وَ«حَجَرَ صَدْمَةٍ وَصَخْرَةَ عَثْرَةٍ». ٱلَّذِينَ يَعْثُرُونَ غَيْرَ طَائِعِينَ لِلْكَلِمَةِ، ٱلْأَمْرُ ٱلَّذِي جُعِلُوا لَهُ. ٨ 8
और ठेस लगने का पत्थर और ठोकर खाने की चट्टान हुआ, क्यूँकि वो नाफ़रमान होकर कलाम से ठोकर खाते हैं और इसी के लिए मुक़र्रर भी हुए थे।
وَأَمَّا أَنْتُمْ فَجِنْسٌ مُخْتَارٌ، وَكَهَنُوتٌ مُلُوكِيٌّ، أُمَّةٌ مُقَدَّسَةٌ، شَعْبُ ٱقْتِنَاءٍ، لِكَيْ تُخْبِرُوا بِفَضَائِلِ ٱلَّذِي دَعَاكُمْ مِنَ ٱلظُّلْمَةِ إِلَى نُورِهِ ٱلْعَجِيبِ. ٩ 9
लेकिन तुम एक चुनी हुई नस्ल, शाही काहिनों का फ़िरक़ा, मुक़द्दस क़ौम, और ऐसी उम्मत हो जो ख़ुदा की ख़ास मिल्कियत है ताकि उसकी ख़ूबियाँ ज़ाहिर करो जिसने तुम्हें अंधेरे से अपनी 'अजीब रौशनी में बुलाया है।
ٱلَّذِينَ قَبْلًا لَمْ تَكُونُوا شَعْبًا، وَأَمَّا ٱلْآنَ فَأَنْتُمْ شَعْبُ ٱللهِ. ٱلَّذِينَ كُنْتُمْ غَيْرَ مَرْحُومِينَ، وَأَمَّا ٱلْآنَ فَمَرْحُومُونَ. ١٠ 10
पहले तुम कोई उम्मत न थे मगर अब तुम ख़ुदा की उम्मत हो, तुम पर रहमत न हुई थी मगर अब तुम पर रहमत हुई।
أَيُّهَا ٱلْأَحِبَّاءُ، أَطْلُبُ إِلَيْكُمْ كَغُرَبَاءَ وَنُزَلَاءَ، أَنْ تَمْتَنِعُوا عَنِ ٱلشَّهَوَاتِ ٱلْجَسَدِيَّةِ ٱلَّتِي تُحَارِبُ ٱلنَّفْسَ، ١١ 11
ऐ प्यारों! मैं तुम्हारी मिन्नत करता हूँ कि तुम अपने आप को परदेसी और मुसाफ़िर जान कर, उन जिस्मानी ख़्वाहिशों से परहेज़ करो जो रूह से लड़ाई रखती हैं।
وَأَنْ تَكُونَ سِيرَتُكُمْ بَيْنَ ٱلْأُمَمِ حَسَنَةً، لِكَيْ يَكُونُوا، فِي مَا يَفْتَرُونَ عَلَيْكُمْ كَفَاعِلِي شَرٍّ، يُمَجِّدُونَ ٱللهَ فِي يَوْمِ ٱلِٱفْتِقَادِ، مِنْ أَجْلِ أَعْمَالِكُمُ ٱلْحَسَنَةِ ٱلَّتِي يُلَاحِظُونَهَا. ١٢ 12
और ग़ैर — क़ौमों में अपना चाल — चलन नेक रख्खो, ताकि जिन बातों में वो तुम्हें बदकार जानकर तुम्हारी बुराई करते हैं, तुम्हारे नेक कामों को देख कर उन्हीं की वजह से मुलाहिज़ा के दिन ख़ुदा की बड़ाई करें।
فَٱخْضَعُوا لِكُلِّ تَرْتِيبٍ بَشَرِيٍّ مِنْ أَجْلِ ٱلرَّبِّ. إِنْ كَانَ لِلْمَلِكِ فَكَمَنْ هُوَ فَوْقَ ٱلْكُلِّ، ١٣ 13
ख़ुदावन्द की ख़ातिर इंसान के हर एक इन्तिज़ाम के ताबे' रहो; बादशाह के इसलिए कि वो सब से बुज़ुर्ग है,
أَوْ لِلْوُلَاةِ فَكَمُرْسَلِينَ مِنْهُ لِلِٱنْتِقَامِ مِنْ فَاعِلِي ٱلشَّرِّ، وَلِلْمَدْحِ لِفَاعِلِي ٱلْخَيْرِ. ١٤ 14
और हाकिमों के इसलिए कि वो बदकारों को सज़ा और नेकोकारों की ता'रीफ़ के लिए उसके भेजे हुए हैं।
لِأَنَّ هَكَذَا هِيَ مَشِيئَةُ ٱللهِ: أَنْ تَفْعَلُوا ٱلْخَيْرَ فَتُسَكِّتُوا جَهَالَةَ ٱلنَّاسِ ٱلْأَغْبِيَاءِ. ١٥ 15
क्यूँकि ख़ुदा की ये मर्ज़ी है कि तुम नेकी करके नादान आदमियों की जहालत की बातों को बन्द कर दो।
كَأَحْرَارٍ، وَلَيْسَ كَٱلَّذِينَ ٱلْحُرِّيَّةُ عِنْدَهُمْ سُتْرَةٌ لِلشَّرِّ، بَلْ كَعَبِيدِ ٱللهِ. ١٦ 16
और अपने आप को आज़ाद जानो, मगर इस आज़ादी को बदी का पर्दा न बनाओ; बल्कि अपने आप को ख़ुदा के बन्दे जानो।
أَكْرِمُوا ٱلْجَمِيعَ. أَحِبُّوا ٱلْإِخْوَةَ. خَافُوا ٱللهَ. أَكْرِمُوا ٱلْمَلِكَ. ١٧ 17
सबकी 'इज़्ज़त करो, बिरादरी से मुहब्बत रख्खो, ख़ुदा से डरो, बादशाह की 'इज़्ज़त करो।
أَيُّهَا ٱلْخُدَّامُ، كُونُوا خَاضِعِينَ بِكُلِّ هَيْبَةٍ لِلسَّادَةِ، لَيْسَ لِلصَّالِحِينَ ٱلْمُتَرَفِّقِينَ فَقَطْ، بَلْ لِلْعُنَفَاءِ أَيْضًا. ١٨ 18
ऐ नौकरों! बड़े ख़ौफ़ से अपने मालिकों के ताबे' रहो, न सिर्फ़ नेकों और हलीमों ही के बल्कि बद मिज़ाजों के भी।
لِأَنَّ هَذَا فَضْلٌ، إِنْ كَانَ أَحَدٌ مِنْ أَجْلِ ضَمِيرٍ نَحْوَ ٱللهِ، يَحْتَمِلُ أَحْزَانًا مُتَأَلِّمًا بِٱلظُّلْمِ. ١٩ 19
क्यूँकि अगर कोई ख़ुदा के ख़याल से बेइन्साफ़ी के बा'इस दु: ख उठाकर तकलीफ़ों को बर्दाश्त करे तो ये पसन्दीदा है।
لِأَنَّهُ أَيُّ مَجْدٍ هُوَ إِنْ كُنْتُمْ تُلْطَمُونَ مُخْطِئِينَ فَتَصْبِرُونَ؟ بَلْ إِنْ كُنْتُمْ تَتَأَلَّمُونَ عَامِلِينَ ٱلْخَيْرَ فَتَصْبِرُونَ، فَهَذَا فَضْلٌ عِنْدَ ٱللهِ، ٢٠ 20
इसलिए कि अगर तुम ने गुनाह करके मुक्के खाए और सब्र किया, तो कौन सा फ़ख़्र है? हाँ, अगर नेकी करके दुःख पाते और सब्र करते हो, तो ये ख़ुदा के नज़दीक पसन्दीदा है।
لِأَنَّكُمْ لِهَذَا دُعِيتُمْ. فَإِنَّ ٱلْمَسِيحَ أَيْضًا تَأَلَّمَ لِأَجْلِنَا، تَارِكًا لَنَا مِثَالًا لِكَيْ تَتَّبِعُوا خُطُوَاتِهِ. ٢١ 21
और तुम इसी के लिए बुलाए गए हो, क्यूँकि मसीह भी तुम्हारे वास्ते दुःख उठाकर तुम्हें एक नमूना दे गया है ताकि उसके नक़्श — ए — क़दम पर चलो।
«ٱلَّذِي لَمْ يَفْعَلْ خَطِيَّةً، وَلَا وُجِدَ فِي فَمِهِ مَكْرٌ»، ٢٢ 22
न उसने गुनाह किया और न ही उसके मुँह से कोई मक्र की बात निकली,
ٱلَّذِي إِذْ شُتِمَ لَمْ يَكُنْ يَشْتِمُ عِوَضًا، وَإِذْ تَأَلَّمَ لَمْ يَكُنْ يُهَدِّدُ بَلْ كَانَ يُسَلِّمُ لِمَنْ يَقْضِي بِعَدْلٍ. ٢٣ 23
न वो गालियाँ खाकर गाली देता था और न दुःख पाकर किसी को धमकाता था; बल्कि अपने आप को सच्चे इन्साफ़ करने वाले ख़ुदा के सुपुर्द करता था।
ٱلَّذِي حَمَلَ هُوَ نَفْسُهُ خَطَايَانَا فِي جَسَدِهِ عَلَى ٱلْخَشَبَةِ، لِكَيْ نَمُوتَ عَنِ ٱلْخَطَايَا فَنَحْيَا لِلْبِرِّ. ٱلَّذِي بِجَلْدَتِهِ شُفِيتُمْ. ٢٤ 24
वो आप हमारे गुनाहों को अपने बदन पर लिए हुए सलीब पर चढ़ गया, ताकि हम गुनाहों के ऐ'तबार से जिएँ; और उसी के मार खाने से तुम ने शिफ़ा पाई।
لِأَنَّكُمْ كُنْتُمْ كَخِرَافٍ ضَالَّةٍ، لَكِنَّكُمْ رَجَعْتُمُ ٱلْآنَ إِلَى رَاعِي نُفُوسِكُمْ وَأُسْقُفِهَا. ٢٥ 25
अगर कोई कुछ कहे तो ऐसा कहे कि गोया ख़ुदा का कलाम है, अगर कोई ख़िदमत करे तो उस ताक़त के मुताबिक़ करे जो ख़ुदा दे, ताकि सब बातों में ईसा मसीह के वसीले से ख़ुदा का जलाल ज़ाहिर हो। जलाल और सल्तनत हमेशा से हमेशा उसी की है। आमीन।

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