< اَلْمُلُوكِ ٱلْأَوَّلُ 9 >

وَكَانَ لَمَّا أَكْمَلَ سُلَيْمَانُ بِنَاءَ بَيْتِ ٱلرَّبِّ وَبَيْتِ ٱلْمَلِكِ وَكُلَّ مَرْغُوبِ سُلَيْمَانَ ٱلَّذِي سُرَّ أَنْ يَعْمَلَ، ١ 1
और ऐसा हुआ कि जब सुलेमान ख़ुदावन्द का घर और शाही महल बना चुका, और जो कुछ सुलेमान करना चाहता था वह सब ख़त्म हो गया,
أَنَّ ٱلرَّبَّ تَرَاءَى لِسُلَيْمَانَ ثَانِيَةً كَمَا تَرَاءَى لَهُ فِي جِبْعُونَ. ٢ 2
तो ख़ुदावन्द सुलेमान को दूसरी बार दिखाई दिया, जैसे वह जिब'ऊन में दिखाई दिया था।
وَقَالَ لَهُ ٱلرَّبُّ: «قَدْ سَمِعْتُ صَلَاتَكَ وَتَضَرُّعَكَ ٱلَّذِي تَضَرَّعْتَ بِهِ أَمَامِي. قَدَّسْتُ هَذَا ٱلْبَيْتَ ٱلَّذِي بَنَيْتَهُ لِأَجْلِ وَضْعِ ٱسْمِي فِيهِ إِلَى ٱلْأَبَدِ، وَتَكُونُ عَيْنَايَ وَقَلْبِي هُنَاكَ كُلَّ ٱلْأَيَّامِ. ٣ 3
और ख़ुदावन्द ने उससे कहा, मैंने तेरी दुआ और मुनाजात जो तूने मेरे सामने की है सुन ली, और इस घर में, जिसे तू ने बनाया है, अपना नाम हमेशा तक रखने के लिए मैंने उसे मुक़द्दस किया; और मेरी आँखें और मेरा दिल सदा वहाँ लगे रहेंगे।
وَأَنْتَ إِنْ سَلَكْتَ أَمَامِي كَمَا سَلَكَ دَاوُدُ أَبُوكَ بِسَلَامَةِ قَلْبٍ وَٱسْتِقَامَةٍ، وَعَمِلْتَ حَسَبَ كُلِّ مَا أَوْصَيْتُكَ وَحَفِظْتَ فَرَائِضِي وَأَحْكَامِي، ٤ 4
अब रहा तू इसलिए अगर तू जैसे तेरा बाप दाऊद चला, वैसे ही मेरे सामने ख़ुलूस — ए — दिल और सच्चाई से चल कर उस सब के मुताबिक़ जो मैंने तुझे फ़रमाया 'अमल करे, और मेरे क़ानून और अहकाम को माने;
فَإِنِّي أُقِيمُ كُرْسِيَّ مُلْكِكَ عَلَى إِسْرَائِيلَ إِلَى ٱلْأَبَدِ كَمَا كَلَّمْتُ دَاوُدَ أَبَاكَ قَائِلًا: لَا يُعْدَمُ لَكَ رَجُلٌ عَنْ كُرْسِيِّ إِسْرَائِيلَ. ٥ 5
तो मैं तेरी हुकूमत का तख़्त इस्राईल के ऊपर हमेशा क़ाईम रखूँगा, जैसा मैंने तेरे बाप दाऊद से वा'दा किया और कहा कि 'तेरी नस्ल में इस्राईल के तख़्त पर बैठने के लिए आदमी की कमी न होगी।
إِنْ كُنْتُمْ تَنْقَلِبُونَ أَنْتُمْ أَوْ أَبْنَاؤُكُمْ مِنْ وَرَائِي، وَلَا تَحْفَظُونَ وَصَايَايَ، فَرَائِضِيَ ٱلَّتِي جَعَلْتُهَا أَمَامَكُمْ، بَلْ تَذْهَبُونَ وَتَعْبُدُونَ آلِهَةً أُخْرَى وَتَسْجُدُونَ لَهَا، ٦ 6
लेकिन तुम हो या तुम्हारी औलाद, अगर तुम मेरी पैरवी से बरगश्ता हो जाओ और मेरे अहकाम और क़ानून को, जो मैंने तुम्हारे आगे रख्खे हैं, न मानो बल्कि जाकर और मा'बूदों की इबादत करने और उनको सिज्दा करने लगो,
فَإِنِّي أَقْطَعُ إِسْرَائِيلَ عَنْ وَجْهِ ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَعْطَيْتُهُمْ إِيَّاهَا، وَٱلْبَيْتُ ٱلَّذِي قَدَّسْتُهُ لِٱسْمِي أَنْفِيهِ مِنْ أَمَامِي، وَيَكُونُ إِسْرَائِيلُ مَثَلًا وَهُزْأَةً فِي جَمِيعِ ٱلشُّعُوبِ، ٧ 7
तो मैं इस्राईल को उस मुल्क से जो मैंने उनको दिया है काट डालूँगा; और उस घर को जिसे मैंने अपने नाम के लिए मुक़द्दस किया है, अपनी नज़र से दूर कर दूँगा; और इस्राईल सब क़ौमों में उसकी मिसाल होगी और उस पर उँगली उठेगी।
وَهَذَا ٱلْبَيْتُ يَكُونُ عِبْرَةً. كُلُّ مَنْ يَمُرُّ عَلَيْهِ يَتَعَجَّبُ وَيَصْفِرُ، وَيَقُولُونَ: لِمَاذَا عَمِلَ ٱلرَّبُّ هَكَذَا لِهَذِهِ ٱلْأَرْضِ وَلِهَذَا ٱلْبَيْتِ؟ ٨ 8
और अगरचे यह घर ऐसा मुम्ताज़ है तोभी हर एक जो इसके पास से गुज़रेगा, हैरान होगा और सुसकारेगा, और वह कहेंगे, 'ख़ुदावन्द ने इस मुल्क और इस घर से ऐसा क्यूँ किया?'
فَيَقُولُونَ: مِنْ أَجْلِ أَنَّهُمْ تَرَكُوا ٱلرَّبَّ إِلَهَهُمُ ٱلَّذِي أَخْرَجَ آبَاءَهُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ، وَتَمَسَّكُوا بِآلِهَةٍ أُخْرَى وَسَجَدُوا لَهَا وَعَبَدُوهَا، لِذَلِكَ جَلَبَ ٱلرَّبُّ عَلَيْهِمْ كُلَّ هَذَا ٱلشَّرِّ». ٩ 9
तब वह जवाब देंगे, इसलिए कि उन्होंने ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा को, जो उनके बाप — दादा को मुल्क — ए — मिस्र से निकाल लाया, छोड़ दिया और गै़र मा'बूदों को थाम कर उनको सिज्दा करने और उनकी इबादत करने लगे; इसी लिए ख़ुदावन्द ने उन पर यह सारी मुसीबत नाज़िल की।”
وَبَعْدَ نِهَايَةِ عِشْرِينَ سَنَةً بَعْدَمَا بَنَى سُلَيْمَانُ ٱلْبَيْتَيْنِ، بَيْتَ ٱلرَّبِّ وَبَيْتَ ٱلْمَلِكِ. ١٠ 10
और बीस साल के बाद जिनमें सुलेमान ने वह दोनों घर, या'नी ख़ुदावन्द का घर और शाही महल बनाए, ऐसा हु'आ कि
وَكَانَ حِيرَامُ مَلِكُ صُورَ قَدْ سَاعَفَ سُلَيْمَانَ بِخَشَبِ أَرْزٍ وَخَشَبِ سَرْوٍ وَذَهَبٍ، حَسَبَ كُلِّ مَسَرَّتِهِ. أَعْطَى حِينَئِذٍ ٱلْمَلِكُ سُلَيْمَانُ حِيرَامَ عِشْرِينَ مَدِينَةً فِي أَرْضِ ٱلْجَلِيلِ. ١١ 11
चूँकि सूर के बादशाह हीराम ने सुलेमान के लिए देवदार की और सनोबर की लकड़ी और सोना उसकी मर्ज़ी के मुताबिक़ इन्तिज़ाम किया था, इसलिए सुलेमान बादशाह ने गलील के मुल्क में बीस शहर हीराम को दिए।
فَخَرَجَ حِيرَامُ مِنْ صُورَ لِيَرَى ٱلْمُدُنَ ٱلَّتِي أَعْطَاهُ إِيَّاهَا سُلَيْمَانُ، فَلَمْ تَحْسُنْ فِي عَيْنَيْهِ. ١٢ 12
और हीराम उन शहरों को जो सुलेमान ने उसे दिए थे, देखने के लिए सूर से निकला पर वह उसे पसन्द न आए।
فَقَالَ: «مَا هَذِهِ ٱلْمُدُنُ ٱلَّتِي أَعْطَيْتَنِي يَا أَخِي؟» وَدَعَاهَا «أَرْضَ كَابُولَ» إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ. ١٣ 13
तब उसने कहा, “ऐ मेरे भाई, यह क्या शहर हैं जो तू ने मुझे दिए?” और उसने उनका नाम क़ुबूल का मुल्क रखा, जो आज तक चला आता है।
وَأَرْسَلَ حِيرَامُ لِلْمَلِكِ مِئَةً وَعِشْرِينَ وَزْنَةَ ذَهَبٍ. ١٤ 14
और हीराम ने बादशाह के पास एक सौ बीस क़िन्तार सोना भेजा।
وَهَذَا هُوَ سَبَبُ ٱلتَّسْخِيرِ ٱلَّذِي جَعَلَهُ ٱلْمَلِكُ سُلَيْمَانُ لِبِنَاءِ بَيْتِ ٱلرَّبِّ وَبَيْتِهِ وَٱلْقَلْعَةِ وَسُورِ أُورُشَلِيمَ وَحَاصُورَ وَمَجِدُّو وَجَازَرَ. ١٥ 15
और सुलेमान बादशाह ने जो बेगारी लगाए, तो इसी लिए कि वह ख़ुदावन्द के घर और अपने महल को और मिल्लो और येरूशलेम की शहरपनाह और हसूर और मजिद्दो और जज़र को बनाए।
صَعِدَ فِرْعَوْنُ مَلِكُ مِصْرَ وَأَخَذَ جَازَرَ وَأَحْرَقَهَا بِٱلنَّارِ، وَقَتَلَ ٱلْكَنْعَانِيِّينَ ٱلسَّاكِنِينَ فِي ٱلْمَدِينَةِ، وَأَعْطَاهَا مَهْرًا لِٱبْنَتِهِ ٱمْرَأَةِ سُلَيْمَانَ. ١٦ 16
मिस्र के बादशाह फ़िर'औन ने हमला करके और जज़र को घेर करके उसे आग से फूँक दिया था, और उन कना'आनियों को जो उस शहर में बसे हुए थे क़त्ल करके उसे अपनी बेटी को, जो सुलेमान की बीवी थी, जहेज़ में दे दिया था,
وَبَنَى سُلَيْمَانُ جَازَرَ وَبَيْتَ حُورُونَ ٱلسُّفْلَى ١٧ 17
तब सुलेमान ने जज़र और बैतहोरून असफ़ल को,
وَبَعْلَةَ وَتَدْمُرَ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ فِي ٱلْأَرْضِ، ١٨ 18
और बालात और बियाबान के तमर को बनाया, जो मुल्क के अन्दर हैं।
وَجَمِيعَ مُدُنِ ٱلْمَخَازِنِ ٱلَّتِي كَانَتْ لِسُلَيْمَانَ، وَمُدُنَ ٱلْمَرْكَبَاتِ وَمُدُنَ ٱلْفُرْسَانِ، وَمَرْغُوبَ سُلَيْمَانَ ٱلَّذِي رَغِبَ أَنْ يَبْنِيَهُ فِي أُورُشَلِيمَ وَفِي لُبْنَانَ وَفِي كُلِّ أَرْضِ سَلْطَنَتِهِ. ١٩ 19
और ज़ख़ीरों के सब शहरों को जो सुलेमान के पास थे, और अपने रथों के लिए शहरों को, और अपने सवारों के लिए शहरों को, और जो कुछ सुलेमान ने अपनी मर्ज़ी से येरूशलेम में और लुबनान में और अपनी मुल्क की सारी ज़मीन में बनाना चाहा बनाया।
جَمِيعُ ٱلشَّعْبِ ٱلْبَاقِينَ مِنَ ٱلْأَمُورِيِّينَ وَٱلْحِثِّيِّينَ وَٱلْفِرِزِّيِّينَ وَٱلْحِوِّيِّينَ وَٱلْيَبُوسِيِّينَ ٱلَّذِينَ لَيْسُوا مِنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ، ٢٠ 20
और वह सब लोग जो अमोरियों और हित्तियों और फ़रिज़्ज़ीयों और हव्वियों यबूसियों में से बाक़ी रह गए थे और बनी — इस्राईल में से न थे,
أَبْنَاؤُهُمُ ٱلَّذِينَ بَقُوا بَعْدَهُمْ فِي ٱلْأَرْضِ، ٱلَّذِينَ لَمْ يَقْدِرْ بَنُو إِسْرَائِيلَ أَنْ يُحَرِّمُوهُمْ، جَعَلَ عَلَيْهِمْ سُلَيْمَانُ تَسْخِيرَ عَبِيدٍ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ. ٢١ 21
इसलिए उनकी औलाद को जो उनके बाद मुल्क में बाक़ी रही, जिनको बनी — इस्राईल पूरे तौर पर मिटा न सके, सुलेमान ने ग़ुलाम बनाकर बेगार में लगाया जैसा आज तक है।
وَأَمَّا بَنُو إِسْرَائِيلَ فَلَمْ يَجْعَلْ سُلَيْمَانُ مِنْهُمْ عَبِيدًا لِأَنَّهُمْ رِجَالُ ٱلْقِتَالِ وَخُدَّامُهُ وَأُمَرَاؤُهُ وَثَوَالِثُهُ وَرُؤَسَاءُ مَرْكَبَاتِهِ وَفُرْسَانُهُ. ٢٢ 22
लेकिन सुलेमान ने बनी — इस्राईल में से किसी को ग़ुलाम न बनाया, बल्कि वह उसके जंगी मर्द और मुलाज़िम और हाकिम और फ़ौजी सरदार और उसके रथों और सवारों के हाकिम थे।
هَؤُلَاءِ رُؤَسَاءُ ٱلْمُوَكَّلِينَ عَلَى أَعْمَالِ سُلَيْمَانَ خَمْسُ مِئَةٍ وَخَمْسُونَ، ٱلَّذِينَ كَانُوا يَتَسَلَّطُونَ عَلَى ٱلشَّعْبِ ٱلْعَامِلِينَ ٱلْعَمَلَ. ٢٣ 23
और वह ख़ास मन्सबदार जो सुलेमान के काम पर मुक़र्रर थे, पाँच सौ पचास थे; यह उन लोगों पर जो काम बना रहे थे सरदार थे।
وَلَكِنَّ بِنْتَ فِرْعَوْنَ صَعِدَتْ مِنْ مَدِينَةِ دَاوُدَ إِلَى بَيْتِهَا ٱلَّذِي بَنَاهُ لَهَا، حِينَئِذٍ بَنَى ٱلْقَلْعَةَ. ٢٤ 24
और फ़िर'औन की बेटी दाऊद के शहर से अपने उस महल में, जो सुलेमान ने उसके लिए बनाया था, आई तब सुलेमान ने मिल्लो की ता'मीर किया।
وَكَانَ سُلَيْمَانُ يُصْعِدُ ثَلَاثَ مَرَّاتٍ فِي ٱلسَّنَةِ مُحْرَقَاتٍ وَذَبَائِحَ سَلَامَةٍ عَلَى ٱلْمَذْبَحِ ٱلَّذِي بَنَاهُ لِلرَّبِّ، وَكَانَ يُوقِدُ عَلَى ٱلَّذِي أَمَامَ ٱلرَّبِّ. وَأَكْمَلَ ٱلْبَيْتَ. ٢٥ 25
और सुलेमान साल में तीन बार उस मज़बह पर जो उसने ख़ुदावन्द के लिए बनाया था, सोख़्तनी कु़र्बानियाँ और सलामती के ज़बीहे पेश करता था, और उनके साथ उस मज़बह पर जो ख़ुदावन्द के आगे था ख़ुशबू जलाता था। इस तरह उसने उस घर को पूरा किया।
وَعَمِلَ ٱلْمَلِكُ سُلَيْمَانُ سُفُنًا فِي عِصْيُونَ جَابَرَ ٱلَّتِي بِجَانِبِ أَيْلَةَ عَلَى شَاطِئِ بَحْرِ سُوفٍ فِي أَرْضِ أَدُومَ. ٢٦ 26
फिर सुलेमान बादशाह ने 'असयोन जाबर में, जो अदोम के मुल्क में बहर — ए — कु़लजु़म के किनारे ऐलोत के पास है, जहाज़ों का बेड़ा बनाया।
فَأَرْسَلَ حِيرَامُ فِي ٱلسُّفُنِ عَبِيدَهُ ٱلنَّوَاتِيَّ ٱلْعَارِفِينَ بِٱلْبَحْرِ مَعَ عَبِيدِ سُلَيْمَانَ، ٢٧ 27
और हीराम ने अपने मुलाज़िम सुलेमान के मुलाज़िमों के साथ उस बेड़े में भेजे, वह मल्लाह थे जो समुन्दर से वाकिफ़ थे।
فَأَتَوْا إِلَى أُوفِيرَ، وَأَخَذُوا مِنْ هُنَاكَ ذَهَبًا أَرْبَعَ مِئَةِ وَزْنَةٍ وَعِشْرِينَ وَزْنَةً، وَأَتَوْا بِهَا إِلَى ٱلْمَلِكِ سُلَيْمَانَ. ٢٨ 28
और वह ओफ़ीर को गए और वहाँ से चार सौ बीस क़िन्तार सोना लेकर उसे सुलेमान बादशाह के पास लाए।

< اَلْمُلُوكِ ٱلْأَوَّلُ 9 >