< اَلْمُلُوكِ ٱلْأَوَّلُ 8 >

حِينَئِذٍ جَمَعَ سُلَيْمَانُ شُيُوخَ إِسْرَائِيلَ وَكُلَّ رُؤُوسِ ٱلْأَسْبَاطِ، رُؤَسَاءَ ٱلْآبَاءِ مِنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ إِلَى ٱلْمَلِكِ سُلَيْمَانَ فِي أُورُشَلِيمَ، لِإِصْعَادِ تَابُوتِ عَهْدِ ٱلرَّبِّ مِنْ مَدِينَةِ دَاوُدَ، هِيَ صِهْيَوْنُ. ١ 1
राजा शलोमोन ने येरूशलेम में इस्राएल के सभी पुरनियों को, गोत्र प्रमुखों और पूर्वजों के परिवारों के प्रधानों को आमंत्रित किया. ये सभी राजा शलोमोन के सामने येरूशलेम में इकट्‍ठे हो गए, कि याहवेह की वाचा के संदूक को दावीद के नगर अर्थात् ज़ियोन से लाया जा सके.
فَٱجْتَمَعَ إِلَى ٱلْمَلِكِ سُلَيْمَانَ جَمِيعُ رِجَالِ إِسْرَائِيلَ فِي ٱلْعِيدِ فِي شَهْرِ أَيْثَانِيمَ، هُوَ ٱلشَّهْرُ ٱلسَّابِعُ. ٢ 2
सातवें महीने, एथनिम नामक महीने में, उस उत्सव के अवसर पर, सारी इस्राएली प्रजा राजा शलोमोन के सामने इकट्ठी हुई.
وَجَاءَ جَمِيعُ شُيُوخِ إِسْرَائِيلَ، وَحَمَلَ ٱلْكَهَنَةُ ٱلتَّابُوتَ. ٣ 3
तब इस्राएल के सभी प्राचीन सामने आए, और पुरोहितों ने संदूक को उठाया.
وَأَصْعَدُوا تَابُوتَ ٱلرَّبِّ وَخَيْمَةَ ٱلِٱجْتِمَاعِ مَعَ جَمِيعِ آنِيَةِ ٱلْقُدْسِ ٱلَّتِي فِي ٱلْخَيْمَةِ، فَأَصْعَدَهَا ٱلْكَهَنَةُ وَٱللَّاوِيُّونَ. ٤ 4
पुरोहित और लेवी याहवेह के संदूक, मिलापवाला तंबू और उसमें रखे हुए सभी पवित्र बर्तन अपने साथ ले आए थे.
وَٱلْمَلِكُ سُلَيْمَانُ وَكُلُّ جَمَاعَةِ إِسْرَائِيلَ ٱلْمُجْتَمِعِينَ إِلَيْهِ مَعَهُ أَمَامَ ٱلتَّابُوتِ، كَانُوا يَذْبَحُونَ مِنَ ٱلْغَنَمِ وَٱلْبَقَرِ مَا لَا يُحْصَى وَلَا يُعَدُّ مِنَ ٱلْكَثْرَةِ. ٥ 5
राजा शलोमोन और इस्राएल की सारी सभा, जो उस समय उनके साथ वहां संदूक के सामने इकट्ठी हुई थी, इतनी बड़ी संख्या में भेड़ें और बछड़े बलि कर रहे थे, कि उनकी गिनती असंभव हो गई.
وَأَدْخَلَ ٱلْكَهَنَةُ تَابُوتَ عَهْدِ ٱلرَّبِّ إِلَى مَكَانِهِ فِي مِحْرَابِ ٱلْبَيْتِ فِي قُدْسِ ٱلْأَقْدَاسِ، إِلَى تَحْتِ جَنَاحَيِ ٱلْكَرُوبَيْنِ، ٦ 6
इसके बाद पुरोहितों ने याहवेह की वाचा के संदूक को लाकर उसके लिए निर्धारित स्थान पर, भवन के भीतरी कमरे में, परम पवित्र स्थान में करूबों के पंखों के नीचे रख दिया,
لِأَنَّ ٱلْكَرُوبَيْنِ بَسَطَا أَجْنِحَتَهُمَا عَلَى مَوْضِعِ ٱلتَّابُوتِ، وَظَلَّلَ ٱلْكَرُوبَانِ ٱلتَّابُوتَ وَعِصِيَّهُ مِنْ فَوْقُ. ٧ 7
क्योंकि करूब संदूक के लिए तय स्थान पर अपने पंख फैलाए हुए थे. यह ऐसा प्रबंध था कि करूबों के पंख संदूक को उसके उठाने के लिए बनाई गई बल्लियों को आच्छादित करें.
وَجَذَبُوا ٱلْعِصِيَّ فَتَرَاءَتْ رُؤُوسُ ٱلْعِصِيِّ مِنَ ٱلْقُدْسِ أَمَامَ ٱلْمِحْرَابِ وَلَمْ تُرَ خَارِجًا، وَهِيَ هُنَاكَ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ. ٨ 8
ये डंडे इतने लंबे थे, कि संदूक के इन डंडों को भीतरी कमरे से देखा जा सकता था, मगर इसके बाहर से नहीं. आज तक वे इसी स्थिति में हैं.
لَمْ يَكُنْ فِي ٱلتَّابُوتِ إِلَّا لَوْحَا ٱلْحَجَرِ ٱللَّذَانِ وَضَعَهُمَا مُوسَى هُنَاكَ فِي حُورِيبَ حِينَ عَاهَدَ ٱلرَّبُّ بَنِي إِسْرَائِيلَ عِنْدَ خُرُوجِهِمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ. ٩ 9
संदूक में पत्थर के उन दो पट्टियों के अलावा कुछ न था, जिन्हें मोशेह ने होरेब पर्वत पर उसमें रख दी थी, जहां याहवेह ने इस्राएल से वाचा बांधी थी, जब वे मिस्र देश से बाहर आए थे.
وَكَانَ لَمَّا خَرَجَ ٱلْكَهَنَةُ مِنَ ٱلْقُدْسِ أَنَّ ٱلسَّحَابَ مَلَأَ بَيْتَ ٱلرَّبِّ، ١٠ 10
जैसे ही पुरोहित पवित्र स्थान से बाहर आए, याहवेह के भवन में बादल समा गया.
وَلَمْ يَسْتَطِعِ ٱلْكَهَنَةُ أَنْ يَقِفُوا لِلْخِدْمَةِ بِسَبَبِ ٱلسَّحَابِ، لِأَنَّ مَجْدَ ٱلرَّبِّ مَلَأَ بَيْتَ ٱلرَّبِّ. ١١ 11
इसके कारण अपनी सेवा पूरी करने के लिए पुरोहित वहां ठहरे न रह सके, क्योंकि याहवेह के तेज से अपना भवन भर गया था.
حِينَئِذٍ تَكَلَّمَ سُلَيْمَانُ: «قَالَ ٱلرَّبُّ إِنَّهُ يَسْكُنُ فِي ٱلضَّبَابِ. ١٢ 12
तब शलोमोन ने यह कहा: “याहवेह ने यह प्रकट किया है कि वह घने बादल में रहना सही समझते हैं.
إِنِّي قَدْ بَنَيْتُ لَكَ بَيْتَ سُكْنَى، مَكَانًا لِسُكْنَاكَ إِلَى ٱلْأَبَدِ». ١٣ 13
निश्चय आपके लिए मैंने एक ऐसा भव्य भवन बनवाया है, कि आप उसमें हमेशा रहें.”
وَحَوَّلَ ٱلْمَلِكُ وَجْهَهُ وَبَارَكَ كُلَّ جُمْهُورِ إِسْرَائِيلَ، وَكُلُّ جُمْهُورِ إِسْرَائِيلَ وَاقِفٌ. ١٤ 14
यह कहकर राजा ने सारी इस्राएली प्रजा की ओर होकर उनको आशीर्वाद दिया, इस अवसर पर सारी इस्राएली सभा खड़ी हुई थी.
وَقَالَ: «مُبَارَكٌ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِي تَكَلَّمَ بِفَمِهِ إِلَى دَاوُدَ أَبِي وَأَكْمَلَ بِيَدِهِ قَائِلًا: ١٥ 15
राजा ने उन्हें कहा: “याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर, जिन्होंने अपने हाथों से वह पूरा कर दिखाया, जो उन्होंने अपने मुख से मेरे पिता दावीद से कहा था,
مُنْذُ يَوْمَ أَخْرَجْتُ شَعْبِي إِسْرَائِيلَ مِنْ مِصْرَ لَمْ أَخْتَرْ مَدِينَةً مِنْ جَمِيعِ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ لِبِنَاءِ بَيْتٍ لِيَكُونَ ٱسْمِي هُنَاكَ، بَلِ إِنَّمَا ٱخْتَرْتُ دَاوُدَ لِيَكُونَ عَلَى شَعْبِي إِسْرَائِيلَ. ١٦ 16
‘जिस दिन से मैंने अपनी प्रजा इस्राएली गोत्रों में से किसी भी नगर को इस उद्देश्य से नहीं चुना कि वहां मेरा नाम प्रतिष्ठित हो. हां, मैंने दावीद को अपनी प्रजा इस्राएल का शासक होने के लिए चुना.’
وَكَانَ فِي قَلْبِ دَاوُدَ أَبِي أَنْ يَبْنِيَ بَيْتًا لِٱسْمِ ٱلرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ. ١٧ 17
“मेरे पिता दावीद की इच्छा थी कि वह याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की महिमा के लिए एक भवन बनवाएं.
فَقَالَ ٱلرَّبُّ لِدَاوُدَ أَبِي: مِنْ أَجْلِ أَنَّهُ كَانَ فِي قَلْبِكَ أَنْ تَبْنِيَ بَيْتًا لِٱسْمِي، قَدْ أَحْسَنْتَ بِكَوْنِهِ فِي قَلْبِكَ. ١٨ 18
किंतु याहवेह ने मेरे पिता दावीद से कहा, ‘तुम्हारे मन में मेरे लिए भवन के निर्माण का आना एक उत्तम विचार है;
إِلَّا إِنَّكَ أَنْتَ لَا تَبْنِي ٱلْبَيْتَ، بَلِ ٱبْنُكَ ٱلْخَارِجُ مِنْ صُلْبِكَ هُوَ يَبْنِي ٱلْبَيْتَ لِٱسْمِي. ١٩ 19
फिर भी, इस भवन को तुम नहीं, बल्कि वह पुत्र, जो तुमसे पैदा होगा, मेरी महिमा के लिए वही भवन बनाएगा.’
وَأَقَامَ ٱلرَّبُّ كَلَامَهُ ٱلَّذِي تَكَلَّمَ بِهِ، وَقَدْ قُمْتُ أَنَا مَكَانَ دَاوُدَ أَبِي وَجَلَسْتُ عَلَى كُرْسِيِّ إِسْرَائِيلَ كَمَا تَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ، وَبَنَيْتُ ٱلْبَيْتَ لِٱسْمِ ٱلرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ، ٢٠ 20
“आज याहवेह ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की है. क्योंकि अब, जैसे याहवेह ने प्रतिज्ञा की थी, और मैंने याहवेह इस्राएल के परमेश्वर की महिमा के लिए इस भवन को बनवाया है.
وَجَعَلْتُ هُنَاكَ مَكَانًا لِلتَّابُوتِ ٱلَّذِي فِيهِ عَهْدُ ٱلرَّبِّ ٱلَّذِي قَطَعَهُ مَعَ آبَائِنَا عِنْدَ إِخْرَاجِهِ إِيَّاهُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ». ٢١ 21
इसमें मैंने संदूक के लिए स्थान निर्धारित किया है, जिसमें हमारे पूर्वजों से बांधी गई याहवेह की वाचा रखी है; वह वाचा, जो उन्होंने उनसे उस समय बांधी थी, जब उन्होंने उन्हें मिस्र देश से निकाला था.”
وَوَقَفَ سُلَيْمَانُ أَمَامَ مَذْبَحِ ٱلرَّبِّ تُجَاهَ كُلِّ جَمَاعَةِ إِسْرَائِيلَ، وَبَسَطَ يَدَيْهِ إِلَى ٱلسَّمَاءِ ٢٢ 22
इसके बाद शलोमोन सारी इस्राएल सभा के देखते हाथों को स्वर्ग की ओर फैलाकर याहवेह की वेदी के सामने खड़े हो गए.
وَقَالَ: «أَيُّهَا ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ، لَيْسَ إِلَهٌ مِثْلَكَ فِي ٱلسَّمَاءِ مِنْ فَوْقُ، وَلَا عَلَى ٱلْأَرْضِ مِنْ أَسْفَلُ، حَافِظُ ٱلْعَهْدِ وَٱلرَّحْمَةِ لِعَبِيدِكَ ٱلسَّائِرِينَ أَمَامَكَ بِكُلِّ قُلُوبِهِمْ. ٢٣ 23
उस समय उनके वचन ये थे: “याहवेह इस्राएल के परमेश्वर, आपके तुल्य परमेश्वर न तो कोई ऊपर स्वर्ग में है, और न यहां नीचे धरती पर, जो अपने उन सेवकों पर अपना अपार प्रेम दिखाते हुए अपनी वाचा को पूर्ण करता है, जिनका जीवन आपके प्रति पूरी तरह समर्पित है.
ٱلَّذِي قَدْ حَفِظْتَ لِعَبْدِكَ دَاوُدَ أَبِي مَا كَلَّمْتَهُ بِهِ، فَتَكَلَّمْتَ بِفَمِكَ وَأَكْمَلْتَ بِيَدِكَ كَهَذَا ٱلْيَوْمِ. ٢٤ 24
आपने अपने सेवक, मेरे पिता दावीद को जो वचन दिया था, उसे पूरा किया है. आज आपने अपने शब्द को सच्चाई में बदल दिया है. आपके सेवक दावीद से की गई अपनी वह प्रतिज्ञा पूरी करें, जो आपने उनसे इन शब्दों में की थी.
وَٱلْآنَ أَيُّهَا ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ ٱحْفَظْ لِعَبْدِكَ دَاوُدَ أَبِي مَا كَلَّمْتَهُ بِهِ قَائِلًا: لَا يُعْدَمُ لَكَ أَمَامِي رَجُلٌ يَجْلِسُ عَلَى كُرْسِيِّ إِسْرَائِيلَ، إِنْ كَانَ بَنُوكَ إِنَّماَ يَحْفَظُونَ طُرُقَهُمْ حَتَّى يَسِيرُوا أَمَامِي كَمَا سِرْتَ أَنْتَ أَمَامِي. ٢٥ 25
“अब इस्राएल के परमेश्वर, याहवेह, आपके सेवक मेरे पिता दावीद के लिए अपनी यह प्रतिज्ञा पूरी कीजिए. ‘मेरे सामने इस्राएल के सिंहासन पर तुम्हारे उत्तराधिकारी की कोई कमी न होगी, सिर्फ यदि तुम्हारे पुत्र सावधानीपूर्वक मेरे सामने अपने आचरण के विषय में सच्चे रहें; ठीक जिस प्रकार तुम्हारा आचरण मेरे सामने सच्चा रहा है.’
وَٱلْآنَ يَا إِلَهَ إِسْرَائِيلَ فَلْيَتَحَقَّقْ كَلَامُكَ ٱلَّذِي كَلَّمْتَ بِهِ عَبْدَكَ دَاوُدَ أَبِي. ٢٦ 26
इसलिये अब, इस्राएल के परमेश्वर अपने सेवक, मेरे पिता दावीद से की गई प्रतिज्ञा पूरी कीजिए.
لِأَنَّهُ هَلْ يَسْكُنُ ٱللهُ حَقًّا عَلَى ٱلْأَرْضِ؟ هُوَذَا ٱلسَّمَاوَاتُ وَسَمَاءُ ٱلسَّمَاوَاتِ لَا تَسَعُكَ، فَكَمْ بِٱلْأَقَلِّ هَذَا ٱلْبَيْتُ ٱلَّذِي بَنَيْتُ؟ ٢٧ 27
“मगर क्या वास्तव में परमेश्वर पृथ्वी पर रहेंगे? स्वर्ग, हां, सबसे ऊंचा स्वर्ग भी आपको समाकर नहीं रख सकता, तो भला मेरे द्वारा बनाए गए भवन में यह कैसे संभव हो सकता है!
فَٱلْتَفِتْ إِلَى صَلَاةِ عَبْدِكَ وَإِلَى تَضَرُّعِهِ أَيُّهَا ٱلرَّبُّ إِلَهِي، وَٱسْمَعِ ٱلصُّرَاخَ وَٱلصَّلَاةَ ٱلَّتِي يُصَلِّيهَا عَبْدُكَ أَمَامَكَ ٱلْيَوْمَ. ٢٨ 28
फिर भी अपने सेवक की विनती और प्रार्थना का ध्यान रखिए. याहवेह, मेरे परमेश्वर, इस दोहाई को, इस गिड़गिड़ाहट को सुन लीजिए, जो आपका सेवक आपके सामने आज प्रस्तुत कर रहा है,
لِتَكُونَ عَيْنَاكَ مَفْتُوحَتَيْنِ عَلَى هَذَا ٱلْبَيْتِ لَيْلًا وَنَهَارًا، عَلَى ٱلْمَوْضِعِ ٱلَّذِي قُلْتَ: إِنَّ ٱسْمِي يَكُونُ فِيهِ، لِتَسْمَعَ ٱلصَّلَاةَ ٱلَّتِي يُصَلِّيهَا عَبْدُكَ فِي هَذَا ٱلْمَوْضِعِ. ٢٩ 29
कि इस भवन की ओर आपकी दृष्टि रात और दिन लगी रहे. इस भवन पर, जिसके विषय में आपने कहा था, ‘मेरी प्रतिष्ठा वहां बनी रहेगी,’ कि आप उस प्रार्थना को सुन सकें, जो आपका सेवक इस ओर होकर कर रहा है.
وَٱسْمَعْ تَضَرُّعَ عَبْدِكَ وَشَعْبِكَ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِينَ يُصَلُّونَ فِي هَذَا ٱلْمَوْضِعِ، وَٱسْمَعْ أَنْتَ فِي مَوْضِعِ سُكْنَاكَ فِي ٱلسَّمَاءِ، وَإِذَا سَمِعْتَ فَٱغْفِرْ. ٣٠ 30
अपने सेवक और अपनी प्रजा इस्राएल की विनती सुन लीजिए, जब वे इस स्थान की ओर मुंह कर आपसे करते हैं, और स्वर्ग, अपने घर में इसे सुनें और जब आप यह सुनें, आप उन्हें क्षमा प्रदान करें.
إِذَا أَخْطَأَ أَحَدٌ إِلَى صَاحِبِهِ وَوَضَعَ عَلَيْهِ حَلْفًا لِيُحَلِّفَهُ، وَجَاءَ ٱلْحَلْفُ أَمَامَ مَذْبَحِكَ فِي هَذَا ٱلْبَيْتِ، ٣١ 31
“जब कोई व्यक्ति अपने पड़ोसी के विरुद्ध पाप करता है, और उसे शपथ लेने के लिए विवश किया जाता है और वह आकर इस भवन में आपकी वेदी के सामने शपथ लेता है,
فَٱسْمَعْ أَنْتَ فِي ٱلسَّمَاءِ وَٱعْمَلْ وَٱقْضِ بَيْنَ عَبِيدِكَ، إِذْ تَحْكُمُ عَلَى ٱلْمُذْنِبِ فَتَجْعَلُ طَرِيقَهُ عَلَى رَأْسِهِ، وَتُبَرِّرُ ٱلْبَارَّ إِذْ تُعْطِيهِ حَسَبَ بِرِّهِ. ٣٢ 32
तब आप स्वर्ग से सुनें, और अपने सेवकों का न्याय करें, दुराचारी का दंड उसके दुराचार को उसी पर प्रभावी करने के द्वारा दें, और सदाचारी को उसके सदाचार का प्रतिफल देने के द्वारा.
إِذَا ٱنْكَسَرَ شَعْبُكَ إِسْرَائِيلُ أَمَامَ ٱلْعَدُوِّ لِأَنَّهُمْ أَخْطَأُوا إِلَيْكَ، ثُمَّ رَجَعُوا إِلَيْكَ وَٱعْتَرَفُوا بِٱسْمِكَ وَصَلَّوْا وَتَضَرَّعُوا إِلَيْكَ نَحْوَ هَذَا ٱلْبَيْتِ، ٣٣ 33
“जब आपकी प्रजा इस्राएल उनके शत्रुओं द्वारा इसलिये हार जाती है, कि उन्होंने आपके विरुद्ध पाप किया है और वे दोबारा आपकी ओर लौट आते हैं, आपके नाम की दोहाई देते हुए प्रार्थना करते हैं, और इस भवन में आपसे विनती करते हैं,
فَٱسْمَعْ أَنْتَ مِنَ ٱلسَّمَاءِ وَٱغْفِرْ خَطِيَّةَ شَعْبِكَ إِسْرَائِيلَ، وَأَرْجِعْهُمْ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَعْطَيْتَهَا لِآبَائِهِمْ. ٣٤ 34
तब स्वर्ग से यह सुनकर अपनी प्रजा इस्राएल का पाप क्षमा कर दीजिए, और उन्हें उस देश में लौटा ले आइए, जो आपने उन्हें और उनके पूर्वजों को दिया है.
«إِذَا أُغْلِقَتِ ٱلسَّمَاءُ وَلَمْ يَكُنْ مَطَرٌ، لِأَنَّهُمْ أَخْطَأُوا إِلَيْكَ، ثُمَّ صَلَّوْا فِي هَذَا ٱلْمَوْضِعِ وَٱعْتَرَفُوا بِٱسْمِكَ، وَرَجَعُوا عَنْ خَطِيَّتِهِمْ لِأَنَّكَ ضَايَقْتَهُمْ، ٣٥ 35
“जब आप बारिश इसलिये रोक दें कि आपकी प्रजा ने आपके विरुद्ध पाप किया है और फिर, जब वे इस स्थान की ओर फिरकर प्रार्थना करें और आपके प्रति सच्चे हो, जब आप उन्हें सताएं, और वे पाप से फिर जाएं;
فَٱسْمَعْ أَنْتَ مِنَ ٱلسَّمَاءِ وَٱغْفِرْ خَطِيَّةَ عَبِيدِكَ وَشَعْبِكَ إِسْرَائِيلَ، فَتُعَلِّمَهُمُ ٱلطَّرِيقَ ٱلصَّالِحَ ٱلَّذِي يَسْلُكُونَ فِيهِ، وَأَعْطِ مَطَرًا عَلَى أَرْضِكَ ٱلَّتِي أَعْطَيْتَهَا لِشَعْبِكَ مِيرَاثًا. ٣٦ 36
तब स्वर्ग में अपने सेवकों और अपनी प्रजा इस्राएल की दोहाई सुनकर उनका पाप क्षमा कर दें. आप उन्हें उन अच्छे मार्ग पर चलने की शिक्षा दें. फिर अपनी भूमि पर बारिश भेजें; उस भूमि पर जिसे आपने उत्तराधिकार के रूप में अपनी प्रजा को प्रदान किया है.
إِذَا صَارَ فِي ٱلْأَرْضِ جُوعٌ، إِذَا صَارَ وَبَأٌ، إِذَا صَارَ لَفْحٌ أَوْ يَرَقَانٌ أَوْ جَرَادٌ جَرْدَمٌ، أَوْ إِذَا حَاصَرَهُ عَدُوُّهُ فِي أَرْضِ مُدُنِهِ، فِي كُلِّ ضَرْبَةٍ وَكُلِّ مَرَضٍ، ٣٧ 37
“जब देश में अकाल का प्रकोप हो जाए, यदि यहां महामारी हो जाए, पाला पड़े, अथवा उपज में गेरुआ रोग लग जाए, टिड्डियों अथवा इल्लियों का आक्रमण हो जाए, यदि शत्रु उन्हीं के देश में, उन्हीं के द्वार के भीतर उन्हें बंदी बना ले, कोई भी महामारी हो, कोई भी व्याधि हो,
فَكُلُّ صَلَاةٍ وَكُلُّ تَضَرُّعٍ تَكُونُ مِنْ أَيِّ إِنْسَانٍ كَانَ مِنْ كُلِّ شَعْبِكَ إِسْرَائِيلَ، ٱلَّذِينَ يَعْرِفُونَ كُلُّ وَاحِدٍ ضَرْبَةَ قَلْبِهِ، فَيَبْسُطُ يَدَيْهِ نَحْوَ هَذَا ٱلْبَيْتِ، ٣٨ 38
कैसी भी प्रार्थना की जाए, किसी भी व्यक्ति या सारे इस्राएल देश द्वारा हर एक अपनी हृदय वेदना को पहचानते हुए जब अपना हाथ इस भवन की ओर बढ़ाए,
فَٱسْمَعْ أَنْتَ مِنَ ٱلسَّمَاءِ مَكَانِ سُكْنَاكَ وَٱغْفِرْ، وَٱعْمَلْ وَأَعْطِ كُلَّ إِنْسَانٍ حَسَبَ كُلِّ طُرُقِهِ كَمَا تَعْرِفُ قَلْبَهُ. لِأَنَّكَ أَنْتَ وَحْدَكَ قَدْ عَرَفْتَ قُلُوبَ كُلِّ بَنِي ٱلْبَشَرِ، ٣٩ 39
तब अपने घर स्वर्ग में यह सुनकर क्षमा प्रदान करें, और हर एक को, जिसके हृदय को आप जानते हैं, उसके सभी कामों के अनुसार प्रतिफल दें; क्योंकि आप—सिर्फ आप—हर एक मानव हृदय को जानते हैं,
لِكَيْ يَخَافُوكَ كُلَّ ٱلْأَيَّامِ ٱلَّتِي يَحْيَوْنَ فِيهَا عَلَى وَجْهِ ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَعْطَيْتَ لِآبَائِنَا. ٤٠ 40
कि वे इस देश में जो आपने उनके पूर्वजों को प्रदान किया है, रहते हुए आपके प्रति आजीवन श्रद्धा बनाए रखें.
وَكَذَلِكَ ٱلْأَجْنَبِيُّ ٱلَّذِي لَيْسَ مِنْ شَعْبِكَ إِسْرَائِيلَ هُوَ، وَجَاءَ مِنْ أَرْضٍ بَعِيدَةٍ مِنْ أَجْلِ ٱسْمِكَ، ٤١ 41
“इसी प्रकार जब कोई परदेशी, जो आपकी प्रजा इस्राएल में से नहीं है, आपका नाम सुनकर दूर देश से यहां आता है,
لِأَنَّهُمْ يَسْمَعُونَ بِٱسْمِكَ ٱلْعَظِيمِ وَبِيَدِكَ ٱلْقَوِيَّةِ وَذِرَاعِكَ ٱلْمَمْدُودَةِ، فَمَتَى جَاءَ وَصَلَّى فِي هَذَا ٱلْبَيْتِ، ٤٢ 42
क्योंकि आपकी महिमा आपके महाकार्य और आपकी महाशक्ति के विषय में सुनकर वे यहां ज़रूर आएंगे; तब, जब वह विदेशी यहां आकर इस भवन की ओर होकर प्रार्थना करे,
فَٱسْمَعْ أَنْتَ مِنَ ٱلسَّمَاءِ مَكَانِ سُكْنَاكَ، وَٱفْعَلْ حَسَبَ كُلِّ مَا يَدْعُو بِهِ إِلَيْكَ ٱلْأَجْنَبِيُّ، لِكَيْ يَعْلَمَ كُلُّ شُعُوبِ ٱلْأَرْضِ ٱسْمَكَ، فَيَخَافُوكَ كَشَعْبِكَ إِسْرَائِيلَ، وَلِكَيْ يَعْلَمُوا أَنَّهُ قَدْ دُعِيَ ٱسْمُكَ عَلَى هَذَا ٱلْبَيْتِ ٱلَّذِي بَنَيْتُ. ٤٣ 43
अपने आवास स्वर्ग में सुनकर उन सभी विनतियों को पूरा करें, जिसकी याचना उस परदेशी ने की है, कि पृथ्वी के सभी मनुष्यों को आपकी महिमा का ज्ञान हो जाए, उनमें आपके प्रति भय जाग जाए; जैसा आपकी प्रजा इस्राएल में है, और उन्हें यह अहसास हो जाए कि यह आपकी महिमा में मेरे द्वारा बनाया गया भवन है.
«إِذَا خَرَجَ شَعْبُكَ لِمُحَارَبَةِ عَدُوِّهِ فِي ٱلطَّرِيقِ ٱلَّذِي تُرْسِلُهُمْ فِيهِ، وَصَلَّوْا إِلَى ٱلرَّبِّ نَحْوَ ٱلْمَدِينَةِ ٱلَّتِي ٱخْتَرْتَهَا وَٱلْبَيْتِ ٱلَّذِي بَنَيْتُهُ لِٱسْمِكَ، ٤٤ 44
“जब आपकी प्रजा अपने शत्रु के विरुद्ध बाहर जाए, चाहे आप उन्हें किसी भी मार्ग से भेजें; जब वे आपके द्वारा चुने गए इस नगर और मेरे द्वारा आपकी महिमा में बनाए गए इस भवन की ओर होकर, हे प्रभु याहवेह, आपसे प्रार्थना करें,
فَٱسْمَعْ مِنَ ٱلسَّمَاءِ صَلَاتَهُمْ وَتَضَرُّعَهُمْ وَٱقْضِ قَضَاءَهُمْ. ٤٥ 45
तब स्वर्ग में उनकी प्रार्थना और अनुरोध सुनकर उनके पक्ष में निर्णय की जायें.
إِذَا أَخْطَأُوا إِلَيْكَ، لِأَنَّهُ لَيْسَ إِنْسَانٌ لَا يُخْطِئُ، وَغَضِبْتَ عَلَيْهِمْ وَدَفَعْتَهُمْ أَمَامَ ٱلْعَدُوِّ وَسَبَاهُمْ، سَابُوهُمْ إِلَى أَرْضِ ٱلْعَدُوِّ، بَعِيدَةً أَوْ قَرِيبَةً، ٤٦ 46
“यदि वे आपके विरुद्ध पाप करें—क्योंकि ऐसा कोई भी नहीं जो पाप नहीं करता—और आप उन पर क्रुद्ध हो जाएं, और उन्हें शत्रु के अधीन कर दें कि उन्हें बंदी बनाकर शत्रु के देश ले जाया जाए, दूर देश अथवा निकट,
فَإِذَا رَدُّوا إِلَى قُلُوبِهِمْ فِي ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي يُسْبَوْنَ إِلَيْهَا وَرَجَعُوا وَتَضَرَّعُوا إِلَيْكَ فِي أَرْضِ سَبْيِهِمْ قَائِلِينَ: قَدْ أَخْطَأْنَا وَعَوَّجْنَا وَأَذْنَبْنَا. ٤٧ 47
फिर भी यदि वे उस बंदिता के देश में चेत कर पश्चाताप करें, और अपने बंधुआई के देश में यह कहते हुए दोहाई दें, ‘हमने पाप किया है, हमने कुटिलता और दुष्टता भरे काम किए हैं,’
وَرَجَعُوا إِلَيْكَ مِنْ كُلِّ قُلُوبِهِمْ وَمِنْ كُلِّ أَنْفُسِهِمْ فِي أَرْضِ أَعْدَائِهِمْ ٱلَّذِينَ سَبَوْهُمْ، وَصَلَّوْا إِلَيْكَ نَحْوَ أَرْضِهِمْ ٱلَّتِي أَعْطَيْتَ لِآبَائِهِمْ، نَحْوَ ٱلْمَدِينَةِ ٱلَّتِي ٱخْتَرْتَ وَٱلْبَيْتِ ٱلَّذِي بَنَيْتُ لِٱسْمِكَ، ٤٨ 48
यदि वे अपने शत्रुओं के देश में ही, जिन्होंने उन्हें बंदी बना रखा है, पूरे मन और पूरे हृदय से पश्चाताप करें, अपने देश की ओर होकर प्रार्थना करें, जो देश आपने उनके पूर्वजों को दिया है, इस नगर की ओर, जिसे आपने चुना है और जो भवन मैंने आपकी महिमा में बनवाया है,
فَٱسْمَعْ فِي ٱلسَّمَاءِ مَكَانِ سُكْنَاكَ صَلَاتَهُمْ وَتَضَرُّعَهُمْ وَٱقْضِ قَضَاءَهُمْ، ٤٩ 49
तब अपने घर स्वर्ग में उनकी प्रार्थना सुन लीजिए और उनका न्याय कीजिए,
وَٱغْفِرْ لِشَعْبِكَ مَا أَخْطَأُوا بِهِ إِلَيْكَ، وَجَمِيعَ ذُنُوبِهِمِ ٱلَّتِي أَذْنَبُوا بِهَا إِلَيْكَ، وَأَعْطِهِمْ رَحْمَةً أَمَامَ ٱلَّذِينَ سَبَوْهُمْ فَيَرْحَمُوهُمْ، ٥٠ 50
और अपनी प्रजा को क्षमा कीजिए, जिन्होंने आपके विरुद्ध पाप किया है. उन्हें उनकी दृष्टि में कृपा प्रदान करें, जिन्होंने उन्हें बंदी बना रखा है, कि वे उनकी कृपा के पात्र हो जाएं.
لِأَنَّهُمْ شَعْبُكَ وَمِيرَاثُكَ ٱلَّذِينَ أَخْرَجْتَ مِنْ مِصْرَ، مِنْ وَسَطِ كُورِ ٱلْحَدِيدِ. ٥١ 51
क्योंकि वे आप ही के लोग हैं, आप ही की संपत्ति, जिन्हें आप मिस्र देश से, लोहा गलाने की भट्टी में से, निकालकर लाए हैं.
لِتَكُونَ عَيْنَاكَ مَفْتُوحَتَيْنِ نَحْوَ تَضَرُّعِ عَبْدِكَ وَتَضَرُّعِ شَعْبِكَ إِسْرَائِيلَ، فَتُصْغِيَ إِلَيْهِمْ فِي كُلِّ مَا يَدْعُونَكَ، ٥٢ 52
“आपकी आंखें आपके सेवक की और आपकी प्रजा इस्राएल की प्रार्थना के लिए खुली रहें कि वे जब भी आपको पुकारें, आप उनकी सुन लें.
لِأَنَّكَ أَنْتَ أَفْرَزْتَهُمْ لَكَ مِيرَاثًا مِنْ جَمِيعِ شُعُوبِ ٱلْأَرْضِ، كَمَا تَكَلَّمْتَ عَنْ يَدِ مُوسَى عَبْدِكَ عِنْدَ إِخْرَاجِكَ آبَاءَنَا مِنْ مِصْرَ يَاسَيِّدِي ٱلرَّبَّ». ٥٣ 53
प्रभु याहवेह, जैसा आपने अपने सेवक मोशेह के द्वारा भेजा, जब आप हमारे पूर्वजों को मिस्र देश से बाहर ला रहे थे, आपने इन्हें विश्व के सभी जनताओं से अलग किया कि वे आपके मीरास होकर रहें.”
وَكَانَ لَمَّا ٱنْتَهَى سُلَيْمَانُ مِنَ ٱلصَّلَاةِ إِلَى ٱلرَّبِّ بِكُلِّ هَذِهِ ٱلصَّلَاةِ وَٱلتَّضَرُّعِ، أَنَّهُ نَهَضَ مِنْ أَمَامِ مَذْبَحِ ٱلرَّبِّ، مِنَ ٱلْجُثُوِّ عَلَى رُكْبَتَيْهِ، وَيَدَاهُ مَبْسُوطَتَانِ نَحْوَ ٱلسَّمَاءِ، ٥٤ 54
जब शलोमोन यह प्रार्थना और विनती याहवेह से कर चुके, वह याहवेह की वेदी के सामने से उठे, जहां वह घुटने टेक स्वर्ग की ओर अपने हाथ बढ़ाए हुए थे,
وَوَقَفَ وَبَارَكَ كُلَّ جَمَاعَةِ إِسْرَائِيلَ بِصَوْتٍ عَالٍ قَائِلًا: ٥٥ 55
उन्होंने खड़े होकर पूरी इस्राएली सभा के लिए ऊंची आवाज में ये आशीर्वाद दिया:
«مُبَارَكٌ ٱلرَّبُّ ٱلَّذِي أَعْطَى رَاحَةً لِشَعْبِهِ إِسْرَائِيلَ حَسَبَ كُلِّ مَا تَكَلَّمَ بِهِ، وَلَمْ تَسْقُطْ كَلِمَةٌ وَاحِدَةٌ مِنْ كُلِّ كَلَامِهِ ٱلصَّالِحِ ٱلَّذِي تَكَلَّمَ بِهِ عَنْ يَدِ مُوسَى عَبْدِهِ. ٥٦ 56
“धन्य हैं याहवेह, जिन्होंने अपनी सभी प्रतिज्ञाओं के अनुसार अपनी प्रजा इस्राएल को शांति दी है. उनके सेवक मोशेह द्वारा दी गई उनकी सभी भली प्रतिज्ञाओं में से एक भी पूरी हुई बिना नहीं रही है.
لِيَكُنِ ٱلرَّبُّ إِلَهُنَا مَعَنَا كَمَا كَانَ مَعَ آبَائِنَا فَلَا يَتْرُكَنَا وَلَا يَرْفُضَنَا. ٥٧ 57
याहवेह हमारे परमेश्वर हमारे साथ रहें, जैसे वह हमारे पूर्वजों के साथ रहे थे. ऐसा कभी न हो कि वह हमें त्याग दें, हमें भुला दें,
لِيَمِيلَ بِقُلُوبِنَا إِلَيْهِ لِكَيْ نَسِيرَ فِي جَمِيعِ طُرُقِهِ وَنَحْفَظَ وَصَايَاهُ وَفَرَائِضَهُ وَأَحْكَامَهُ ٱلَّتِي أَوْصَى بِهَا آبَاءَنَا. ٥٨ 58
कि वह हमारे हृदय अपनी ओर लगाए रखें, कि हम उन्हीं के मार्गों पर चलें और उनके आदेशों, नियमों और विधियों का पालन करें; जिन्हें उन्होंने हमारे पूर्वजों को सौंपा था.
وَلِيَكُنْ كَلَامِي هَذَا ٱلَّذِي تَضَرَّعْتُ بِهِ أَمَامَ ٱلرَّبِّ قَرِيبًا مِنَ ٱلرَّبِّ إِلَهِنَا نَهَارًا وَلَيْلًا، لِيَقْضِيَ قَضَاءَ عَبْدِهِ وَقَضَاءَ شَعْبِهِ إِسْرَائِيلَ، أَمْرَ كُلِّ يَوْمٍ فِي يَوْمِهِ. ٥٩ 59
मेरे ये शब्द, जिन्हें मैंने याहवेह तक अपनी विनती करने के लिए इस्तेमाल किया है, रात-दिन याहवेह, हमारे परमेश्वर के निकट बने रहें और दिन की आवश्यकता के अनुसार वह अपने सेवक और अपनी प्रजा इस्राएल के पक्ष में अपना निर्णय दें,
لِيَعْلَمَ كُلُّ شُعُوبِ ٱلْأَرْضِ أَنَّ ٱلرَّبَّ هُوَ ٱللهُ وَلَيْسَ آخَرُ. ٦٠ 60
कि पृथ्वी पर सभी को यह मालूम हो जाए कि याहवेह ही परमेश्वर हैं, दूसरा कोई नहीं.
فَلْيَكُنْ قَلْبُكُمْ كَامِلًا لَدَى ٱلرَّبِّ إِلَهِنَا إِذْ تَسِيرُونَ فِي فَرَائِضِهِ وَتَحْفَظُونَ وَصَايَاهُ كَهَذَا ٱلْيَوْمِ». ٦١ 61
तुम्हारा हृदय याहवेह हमारे परमेश्वर के प्रति पूरी तरह सच्चा बना रहे, और तुम उनके नियमों और उनके आदेशों को पालन करते रहो—जैसा तुम यहां आज कर रहे हो.”
ثُمَّ إِنَّ ٱلْمَلِكَ وَجَمِيعَ إِسْرَائِيلَ مَعَهُ ذَبَحُوا ذَبَائِحَ أَمَامَ ٱلرَّبِّ، ٦٢ 62
तब राजा और सारे इस्राएल ने उनके साथ याहवेह के सामने बलि चढ़ाई.
وَذَبَحَ سُلَيْمَانُ ذَبَائِحَ ٱلسَّلَامَةِ ٱلَّتِي ذَبَحَهَا لِلرَّبِّ: مِنَ ٱلْبَقَرِ ٱثْنَيْنِ وَعِشْرِينَ أَلْفًا، وَمِنَ ٱلْغَنَمِ مِئَةَ أَلْفٍ وَعِشْرِينَ أَلْفًا، فَدَشَّنَ ٱلْمَلِكُ وَجَمِيعُ بَنِي إِسْرَائِيلَ بَيْتَ ٱلرَّبِّ. ٦٣ 63
शलोमोन ने 22,000 बछड़े और 1,20,000 भेड़ें मेल बलि के रूप में चढ़ाईं. इस प्रकार राजा और सारी इस्राएल प्रजा ने याहवेह के भवन को समर्पित किया.
فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ قَدَّسَ ٱلْمَلِكُ وَسَطَ ٱلدَّارِ ٱلَّتِي أَمَامَ بَيْتِ ٱلرَّبِّ، لِأَنَّهُ قَرَّبَ هُنَاكَ ٱلْمُحْرَقَاتِ وَٱلتَّقْدِمَاتِ وَشَحْمَ ذَبَائِحِ ٱلسَّلَامَةِ، لِأَنَّ مَذْبَحَ ٱلنُّحَاسِ ٱلَّذِي أَمَامَ ٱلرَّبِّ كَانَ صَغِيرًا عَنْ أَنْ يَسَعَ ٱلْمُحْرَقَاتِ وَٱلتَّقْدِمَاتِ وَشَحْمَ ذَبَائِحِ ٱلسَّلَامَةِ. ٦٤ 64
उसी समय राजा ने याहवेह के भवन के सामने के बीचवाले आंगन को समर्पित किया, क्योंकि उसी स्थान पर उन्होंने होमबलि, अन्‍नबलि और मेल बलि की चर्बी के लिए वह कांसे की वेदी बहुत ही छोटी पड़ रही थी.
وَعَيَّدَ سُلَيْمَانُ ٱلْعِيدَ فِي ذَلِكَ ٱلْوَقْتِ وَجَمِيعُ إِسْرَائِيلَ مَعَهُ، جُمْهُورٌ كَبِيرٌ مِنْ مَدْخَلِ حَمَاةَ إِلَى وَادِي مِصْرَ، أَمَامَ ٱلرَّبِّ إِلَهِنَا سَبْعَةَ أَيَّامٍ وَسَبْعَةَ أَيَّامٍ، أَرْبَعَةَ عَشَرَ يَوْمًا. ٦٥ 65
शलोमोन ने इस अवसर पर एक भोज दिया. इसमें सारा इस्राएल शामिल हुआ. यह बहुत ही बड़ा सम्मेलन था, जिसमें लेबो हामाथ से लेकर मिस्र देश की नदी तक से लोग आए हुए थे. वे याहवेह, हमारे परमेश्वर के सामने सात दिन तक रहे.
وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّامِنِ صَرَفَ ٱلشَّعْبَ، فَبَارَكُوا ٱلْمَلِكَ وَذَهَبُوا إِلَى خِيَمِهِمْ فَرِحِينَ وَطَيِّبِي ٱلْقُلُوبِ، لِأَجْلِ كُلِّ ٱلْخَيْرِ ٱلَّذِي عَمِلَ ٱلرَّبُّ لِدَاوُدَ عَبْدِهِ وَلِإِسْرَائِيلَ شَعْبِهِ. ٦٦ 66
आठवें दिन राजा ने सभा को विदा किया. प्रजा ने राजा के लिए शुभकामनाओं के शब्द कहे और बहुत ही आनंद के साथ अपने-अपने घर लौट गए. उनके आनंद का विषय था याहवेह द्वारा उनके सेवक दावीद और उनकी प्रजा इस्राएल के ऊपर दिखाई गई दया.

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