< اَلْمُلُوكِ ٱلْأَوَّلُ 21 >

وَحَدَثَ بَعْدَ هَذِهِ ٱلْأُمُورِ أَنَّهُ كَانَ لِنَابُوتَ ٱلْيَزْرَعِيلِيِّ كَرْمٌ فِي يَزْرَعِيلَ بِجَانِبِ قَصْرِ أَخْآبَ مَلِكِ ٱلسَّامِرَةِ. ١ 1
इन बातों के बाद ऐसा हुआ कि यज़र एली नबोत के पास यज़र'एल में एक ताकिस्तान था, जो सामारिया के बादशाह अख़ीअब के महल से लगा हुआ था।
فَكَلَّمَ أَخْآبُ نَابُوتَ قَائِلًا: «أَعْطِنِي كَرْمَكَ فَيَكُونَ لِي بُسْتَانَ بُقُولٍ، لِأَنَّهُ قَرِيبٌ بِجَانِبِ بَيْتِي، فَأُعْطِيَكَ عِوَضَهُ كَرْمًا أَحْسَنَ مِنْهُ. أَوْ إِذَا حَسُنَ فِي عَيْنَيْكَ أَعْطَيْتُكَ ثَمَنَهُ فِضَّةً». ٢ 2
इसलिए अख़ीअब ने नबोत से कहा कि “अपना ताकिस्तान मुझ को दे ताकि मैं उसे तरकारी का बाग बनाऊँ, क्यूँकि वह मेरे घर से लगा हुआ है; और मैं उसके बदले तुझ को उससे बेहतर ताकिस्तान दूँगा; या अगर तुझे मुनासिब मा'लूम हो, तो मैं तुझ को उसकी क़ीमत नक़द दे दूँगा।”
فَقَالَ نَابُوتُ لِأَخْآبَ: «حَاشَا لِي مِنْ قِبَلِ ٱلرَّبِّ أَنْ أُعْطِيَكَ مِيرَاثَ آبَائِي». ٣ 3
नबोत ने अख़ीअब से कहा, “ख़ुदावन्द मुझ से ऐसा न कराए कि मैं तुझ को अपने बाप — दादा की मीरास दे दूँ।”
فَدَخَلَ أَخْآبُ بَيْتَهُ مُكْتَئِبًا مَغْمُومًا مِنْ أَجْلِ ٱلْكَلَامِ ٱلَّذِي كَلَّمَهُ بِهِ نَابُوتُ ٱلْيَزْرَعِيلِيُّ قَائِلًا: «لَا أُعْطِيكَ مِيرَاثَ آبَائِي». وَٱضْطَجَعَ عَلَى سَرِيرِهِ وَحَوَّلَ وَجْهَهُ وَلَمْ يَأْكُلْ خُبْزًا. ٤ 4
और अख़ीअब उस बात की वजह से जो यज़र'एली नबोत ने उससे कही उदास और ना ख़ुश हो कर अपने घर में आया, क्यूँकि उसने कहा था मैं तुझ को अपने बाप — दादा की मीरास नहीं दूँगा। इसलिए उसने अपने बिस्तर पर लेट कर अपना मुँह फेर लिया, और खाना छोड़ दिया।
فَدَخَلَتْ إِلَيْهِ إِيزَابَلُ ٱمْرَأَتُهُ وَقَالَتْ لَهُ: «لِمَاذَا رُوحُكَ مُكْتَئِبَةٌ وَلَا تَأْكُلُ خُبْزًا؟» ٥ 5
तब उसकी बीवी ईज़बिल उसके पासआकर उससे कहने लगी, “तेरा जी ऐसा क्यूँ उदास है कि तू रोटी नहीं खाता?”
فَقَالَ لَهَا: «لِأَنِّي كَلَّمْتُ نَابُوتَ ٱلْيَزْرَعِيلِيَّ وَقُلْتُ لَهُ: أَعْطِنِي كَرْمَكَ بِفِضَّةٍ، وَإِذَا شِئْتَ أَعْطَيْتُكَ كَرْمًا عِوَضَهُ، فَقَالَ: لَا أُعْطِيكَ كَرْمِي». ٦ 6
उसने उससे कहा, “इसलिए कि मैंने यज़र'एली नबोत से बातचीत की, और उससे कहा कि तू अपना ताकिस्तान की क़ीमत लेकर मुझे दे दे; या अगर तू चाहे तो मैं उसके बदले दूसरा ताकिस्तान तुझे दे दूँगा। लेकिन उसने जवाब दिया, 'मैं तुझ को अपना ताकिस्तान नहीं दूँगा'।”
فَقَالَتْ لَهُ إِيزَابَلُ: «أَأَنْتَ ٱلْآنَ تَحْكُمُ عَلَى إِسْرَائِيلَ؟ قُمْ كُلْ خُبْزًا وَلْيَطِبْ قَلْبُكَ. أَنَا أُعْطِيكَ كَرْمَ نَابُوتَ ٱلْيَزْرَعِيلِيِّ». ٧ 7
उसकी बीवी ईज़बिल ने उससे कहा, “इस्राईल की बादशाही पर यही तेरी हुकुमत है? उठ रोटी खा, और अपना दिल बहला; यज़र एली नबोत का ताकिस्तान मैं तुझ को दूँगी।”
ثُمَّ كَتَبَتْ رَسَائِلَ بِٱسْمِ أَخْآبَ، وَخَتَمَتْهَا بِخَاتِمِهِ، وَأَرْسَلَتِ ٱلرَّسَائِلَ إِلَى ٱلشُّيُوخِ وَٱلْأَشْرَافِ ٱلَّذِينَ فِي مَدِينَتِهِ ٱلسَّاكِنِينَ مَعَ نَابُوتَ. ٨ 8
इसलिए उसने अख़ीअब के नाम से ख़त लिखे, और उन पर उसकी मुहर लगाई, और उनको उन बुज़ुर्गों और अमीरों के पास जो नबोत के शहर में थे और उसी के पड़ोस में रहते थे भेज दिया।
وَكَتَبَتْ فِي ٱلرَّسَائِلِ تَقُولُ: «نَادُوا بِصَوْمٍ، وَأَجْلِسُوا نَابُوتَ فِي رَأْسِ ٱلشَّعْبِ. ٩ 9
उसने उन ख़तों में यह लिखा कि “रोज़ा का 'एलान कराके नबोत को लोगों में ऊँची जगह पर बिठाओ।
وَأَجْلِسُوا رَجُلَيْنِ مِنْ بَنِي بَلِيَّعَالَ تُجَاهَهُ لِيَشْهَدَا قَائِلَيْنِ: قَدْ جَدَّفْتَ عَلَى ٱللهِ وَعَلَى ٱلْمَلِكِ. ثُمَّ أَخْرِجُوهُ وَٱرْجُمُوهُ فَيَمُوتَ». ١٠ 10
और दो आदमियों को, जो बुरें हों, उसके सामने कर दो कि वह उसके ख़िलाफ़ यह गवाही दें कि तू ने ख़ुदा पर और बादशाह पर ला'नत की, फिर उसे बाहर ले जाकर पथराव करो ताकि वह मर जाए।”
فَفَعَلَ رِجَالُ مَدِينَتِهِ، ٱلشُّيُوخُ وَٱلْأَشْرَافُ ٱلسَّاكِنُونَ فِي مَدِينَتِهِ، كَمَا أَرْسَلَتْ إِلَيْهِمْ إِيزَابَلُ، كَمَا هُوَ مَكْتُوبٌ فِي ٱلرَّسَائِلِ ٱلَّتِي أَرْسَلَتْهَا إِلَيْهِمْ. ١١ 11
चुनाँचे उसके शहर के लोगों या'नी बुज़ुर्गों और अमीरों ने, जो उसके शहर में रहते थे, जैसा ईज़बिल ने उनको कहला भेजा वैसा ही उन ख़ुतूत के मज़मून के मुताबिक़, जो उसने उनको भेजे थे, किया।
فَنَادَوْا بِصَوْمٍ وَأَجْلَسُوا نَابُوتَ فِي رَأْسِ ٱلشَّعْبِ. ١٢ 12
उन्होंने रोज़ा का 'एलान कराके नबोत को लोगों के बीच ऊँची जगह पर बिठाया।
وَأَتَى رَجُلَانِ مِنْ بَنِي بَلِيَّعَالَ وَجَلَسَا تُجَاهَهُ، وَشَهِدَ رَجُلَا بِليَّعَالَ عَلَى نَابُوتَ أَمَامَ ٱلشَّعْبِ قَائِلَيْنِ: «قَدْ جَدَّفَ نَابُوتُ عَلَى ٱللهِ وَعَلَى ٱلْمَلِكِ». فَأَخْرَجُوهُ خَارِجَ ٱلْمَدِينَةِ وَرَجَمُوهُ بِحِجَارَةٍ فَمَاتَ. ١٣ 13
और वह दोनों आदमी जो बुरे थे, आकर उसके आगे बैठ गए; और उन बुरों ने लोगों के सामने उसके, या'नी नबोत के ख़िलाफ़ यह गवाही दी कि “नबोत ने ख़ुदा पर और बादशाह पर ला'नत की है।” तब वह उसे शहर से बाहर निकाल ले गए, और उसको ऐसा पथराव किया कि वह मर गया।
وَأَرْسَلُوا إِلَى إِيزَابَلَ يَقُولُونَ: «قَدْ رُجِمَ نَابُوتُ وَمَاتَ». ١٤ 14
फिर उन्होंने ईज़बिल को कहला भेजा कि “नबोत पर पथराव कर दिया गया और मर गया।”
وَلَمَّا سَمِعَتْ إِيزَابَلُ أَنَّ نَابُوتَ قَدْ رُجِمَ وَمَاتَ، قَالَتْ إِيزَابَلُ لِأَخْآبَ: «قُمْ رِثْ كَرْمَ نَابُوتَ ٱلْيَزْرَعِيلِيِّ ٱلَّذِي أَبَى أَنْ يُعْطِيَكَ إِيَّاهُ بِفِضَّةٍ، لِأَنَّ نَابُوتَ لَيْسَ حَيًّا بَلْ هُوَ مَيْتٌ». ١٥ 15
जब ईज़बिल ने सुना कि नबोत पर पथराव कर दिया गया और मर गया, तो उसने अख़ीअब से कहा, “उठ और यज़र'एली नबोत के ताकिस्तान पर क़ब्ज़ा कर, जिसे उसने क़ीमत पर भी तुझे देने से इन्कार किया था; क्यूँकि नबोत ज़िन्दा नहीं बल्कि मर गया है।”
وَلَمَّا سَمِعَ أَخْآبُ أَنَّ نَابُوتَ قَدْ مَاتَ، قَامَ أَخْآبُ لِيَنْزِلَ إِلَى كَرْمِ نَابُوتَ ٱلْيَزْرَعِيلِيِّ لِيَرِثَهُ. ١٦ 16
जब अख़ीअब ने सुना कि नबोत मर गया है, तो अख़ीअब उठा ताकि यज़र'एली नबोत के ताकिस्तान को जाकर उस पर क़ब्ज़ा करे।
فَكَانَ كَلَامُ ٱلرَّبِّ إِلَى إِيلِيَّا ٱلتِّشْبِيِّ قَائِلًا: ١٧ 17
और ख़ुदावन्द का यह कलाम एलियाह तिशबी पर नाज़िल हुआ कि
«قُمِ ٱنْزِلْ لِلِقَاءِ أَخْآبَ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِي فِي ٱلسَّامِرَةِ. هُوَذَا هُوَ فِي كَرْمِ نَابُوتَ ٱلَّذِي نَزَلَ إِلَيْهِ لِيَرِثَهُ. ١٨ 18
उठ और शाहए — इस्राईल अख़ीअब से, जो सामरिया में रहता है, मिलने को जा। देख, वह नबोत के ताकिस्तान में है, और उस पर क़ब्ज़ा करने को वहाँ गया है।
وَكَلِّمْهُ قَائِلًا: هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: هَلْ قَتَلْتَ وَوَرِثْتَ أَيْضًا؟ ثُمَّ كَلِّمْهُ قَائِلًا: هَكَذاَ قَالَ ٱلرَّبُّ: فِي ٱلْمَكَانِ ٱلَّذِي لَحَسَتْ فِيهِ ٱلْكِلَابُ دَمَ نَابُوتَ تَلْحَسُ ٱلْكِلَابُ دَمَكَ أَنْتَ أَيْضًا». ١٩ 19
इसलिए तू उससे यह कहना कि “ख़ुदावन्द ऐसा फ़रमाता है कि क्या तू ने जान भी ली और क़ब्ज़ा भी कर लिया?” तब तू उससे यह कहना कि “ख़ुदावन्द ऐसा फ़रमाता है कि उसी जगह जहाँ कुत्तों ने नबोत का लहू चाटा, कुत्ते तेरे लहू को भी चाटेंगे।”
فَقَالَ أَخْآبُ لِإِيلِيَّا: «هَلْ وَجَدْتَنِي يَا عَدُوِّي؟» فَقَالَ: «قَدْ وَجَدْتُكَ لِأَنَّكَ قَدْ بِعْتَ نَفْسَكَ لِعَمَلِ ٱلشَّرِّ فِي عَيْنَيِ ٱلرَّبِّ. ٢٠ 20
और अख़ीअब ने एलियाह से कहा, “ऐ मेरे दुश्मन, क्या मैं तुझे मिल गया?” उसने जवाब दिया कि “तू मुझे मिल गया; इसलिए कि तू ने ख़ुदावन्द के सामने बदी करने के लिए अपने आपको बेच डाला है।
هَأَنَذَا أَجْلِبُ عَلَيْكَ شَرًّا، وَأُبِيدُ نَسْلَكَ، وَأَقْطَعُ لِأَخْآبَ كُلَّ بَائِلٍ بِحَائِطٍ وَمَحْجُوزٍ وَمُطْلَقٍ فِي إِسْرَائِيلَ. ٢١ 21
देख, मैं तुझ पर बला नाज़िल करूँगा और तेरी पूरी सफ़ाई कर दूँगा, और अख़ीअब की नसल के हर एक लड़के को, या'नी हर एक को जो इस्राईल में बन्द है, और उसे जो आज़ाद छुटा हुआ है काट डालूँगा।
وَأَجْعَلُ بَيْتَكَ كَبَيْتِ يَرُبْعَامَ بْنِ نَبَاطَ، وَكَبَيْتِ بَعْشَا بْنِ أَخِيَّا، لِأَجْلِ ٱلْإِغَاظَةِ ٱلَّتِي أَغَظْتَنِي، وَلِجَعْلِكَ إِسْرَائِيلَ يُخْطِئُ». ٢٢ 22
और तेरे घर को नबात के बेटे युरब'आम के घर, और अखि़याह के बेटे बाशा के घर की तरह बना दूँगा; उस ग़ुस्सा दिलाने की वजह से जिससे तू ने मेरे ग़ज़ब को भड़काया और इस्राईल से गुनाह कराया।
وَتَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ عَنْ إِيزَابَلَ أَيْضًا قَائِلًا: «إِنَّ ٱلْكِلَابَ تَأْكُلُ إِيزَابَلَ عِنْدَ مِتْرَسَةِ يَزْرَعِيلَ. ٢٣ 23
और ख़ुदावन्द ने ईज़बिल के हक़ में भी यह फ़रमाया कि यज़र'एल की फ़सील के पास कुत्ते ईज़बिल को खाएँगे।
مَنْ مَاتَ لِأَخْآبَ فِي ٱلْمَدِينَةِ تَأْكُلُهُ ٱلْكِلَابُ، وَمَنْ مَاتَ فِي ٱلْحَقْلِ تَأْكُلُهُ طُيُورُ ٱلسَّمَاءِ». ٢٤ 24
अख़ीअब का जो कोई शहर में मरेगा उसे कुत्ते खाएँगे, और जो मैदान में मरेगा उसे हवा के परिन्दे चट कर जाएँगे।”
وَلَمْ يَكُنْ كَأَخْآبَ ٱلَّذِي بَاعَ نَفْسَهُ لِعَمَلِ ٱلشَّرِّ فِي عَيْنَيِ ٱلرَّبِّ، ٱلَّذِي أَغْوَتْهُ إِيزَابَلُ ٱمْرَأَتُهُ. ٢٥ 25
क्यूँकि अख़ीअब की तरह कोई नहीं हुआ था, जिसने ख़ुदावन्द के सामने बदी करने के लिए अपने आपको बेच डाला था और जिसे उसकी बीवी ईज़बिल उभारा करती थी।
وَرَجِسَ جِدًّا بِذَهَابِهِ وَرَاءَ ٱلْأَصْنَامِ حَسَبَ كُلِّ مَا فَعَلَ ٱلْأَمُورِيُّونَ ٱلَّذِينَ طَرَدَهُمُ ٱلرَّبُّ مِنْ أَمَامِ بَنِي إِسْرَائِيلَ. ٢٦ 26
और उसने बहुत ही नफ़रतअंगेज़ काम यह किया कि अमोरियों की तरह, जिनको ख़ुदावन्द ने बनी — इस्राईल के आगे से निकाल दिया था, बुतों की पैरवी की।
وَلَمَّا سَمِعَ أَخْآبُ هَذَا ٱلْكَلَامَ، شَقَّ ثِيَابَهُ وَجَعَلَ مِسْحًا عَلَى جَسَدِهِ، وَصَامَ وَٱضْطَجَعَ بِٱلْمِسْحِ وَمَشَى بِسُكُوتٍ. ٢٧ 27
जब अख़ीअब ने यह बातें सुनीं, तो अपने कपड़े फाड़े और अपने तन पर टाट डाला और रोज़ा रख्खा और टाट ही में लेटने और दबे पाँव चलने लगा।
فَكَانَ كَلَامُ ٱلرَّبِّ إِلَى إِيلِيَّا ٱلتِّشْبِيِّ قَائِلًا: ٢٨ 28
तब ख़ुदावन्द का यह कलाम एलियाह तिशबी पर नाज़िल हुआ कि
«هَلْ رَأَيْتَ كَيْفَ ٱتَّضَعَ أَخْآبُ أَمَامِي؟ فَمِنْ أَجْلِ أَنَّهُ قَدِ ٱتَّضَعَ أَمَامِي لَا أَجْلِبُ ٱلشَّرَّ فِي أَيَّامِهِ، بَلْ فِي أَيَّامِ ٱبْنِهِ أَجْلِبُ ٱلشَّرَّ عَلَى بَيْتِهِ». ٢٩ 29
“तू देखता है कि अख़ीअब मेरे सामने कैसा ख़ाकसार बन गया है? लेकिन चूँकि वह मेरे सामने ख़ाकसार बन गया है, इसलिए मैं उसके दिनों में यह बला नाज़िल नहीं करूँगा, बल्कि उसके बेटे के दिनों में उसके घराने पर यह बला नाज़िल करूँगा।”

< اَلْمُلُوكِ ٱلْأَوَّلُ 21 >