< اَلْمُلُوكِ ٱلْأَوَّلُ 18 >

وَبَعْدَ أَيَّامٍ كَثِيرَةٍ كَانَ كَلَامُ ٱلرَّبِّ إِلَى إِيلِيَّا فِي ٱلسَّنَةِ ٱلثَّالِثَةِ قَائِلًا: «ٱذْهَبْ وَتَرَاءَ لِأَخْآبَ فَأُعْطِيَ مَطَرًا عَلَى وَجْهِ ٱلْأَرْضِ». ١ 1
एक लंबे समय के बाद, तीसरे साल में एलियाह को याहवेह का यह आदेश प्राप्‍त हुआ: “जाओ, स्वयं को अहाब के सामने पेश करो. मैं पृथ्वी पर बारिश भेज रहा हूं.”
فَذَهَبَ إِيلِيَّا لِيَتَرَاءَى لِأَخْآبَ. وَكَانَ ٱلْجُوعُ شَدِيدًا فِي ٱلسَّامِرَةِ، ٢ 2
तब एलियाह अपने आपको अहाब की उपस्थिति में प्रस्तुत करने चले गए. इस समय शमरिया में अकाल बहुत ही भारी था.
فَدَعَا أَخْآبُ عُوبَدْيَا ٱلَّذِي عَلَى ٱلْبَيْتِ، وَكَانَ عُوبَدْيَا يَخْشَى ٱلرَّبَّ جِدًّا. ٣ 3
अहाब ने ओबदयाह को बुलवाया. ओबदयाह याहवेह का बड़ा भक्त था.
وَكَانَ حِينَمَا قَطَعَتْ إِيزَابَلُ أَنْبِيَاءَ ٱلرَّبِّ أَنَّ عُوبَدْيَا أَخَذَ مِئَةَ نَبِيٍّ وَخَبَّأَهُمْ خَمْسِينَ رَجُلًا فِي مُغَارَةٍ وَعَالَهُمْ بِخُبْزٍ وَمَاءٍ. ٤ 4
वास्तव में जब ईजेबेल ने याहवेह के भविष्यवक्ताओं को मारना शुरू किया था, ओबदयाह ने सौ भविष्यवक्ताओं को पचास-पचास करके गुफा में छिपा रखा था और वह उनके लिए भोजन और जल का प्रबंध करते रहे थे.
وَقَالَ أَخْآبُ لِعُوبَدْيَا: «ٱذْهَبْ فِي ٱلْأَرْضِ إِلَى جَمِيعِ عُيُونِ ٱلْمَاءِ وَإِلَى جَمِيعِ ٱلْأَوْدِيَةِ، لَعَلَّنَا نَجِدُ عُشْبًا فَنُحْيِيَ ٱلْخَيْلَ وَٱلْبِغَالَ وَلَا نُعْدَمَ ٱلْبَهَائِمَ كُلَّهَا». ٥ 5
अहाब ने ओबदयाह से कहा, “सारे देश में जाकर जल के सोतों और घाटियों की खोज करो. संभव है हमें हमारे घोड़ों और खच्चरों के लिए चारा मिल ही जाए और उनके प्राण बच जाएं. इस प्रकार हमारे पशु नाश होने से बच जाएंगे.”
فَقَسَمَا بَيْنَهُمَا ٱلْأَرْضَ لِيَعْبُرَا بِهَا. فَذَهَبَ أَخْآبُ فِي طَرِيقٍ وَاحِدٍ وَحْدَهُ، وَذَهَبَ عُوبَدْيَا فِي طَرِيقٍ آخَرَ وَحْدَهُ. ٦ 6
इसके लिए अहाब और ओबदयाह ने सारे देश को दो भागों में बांट लिया. अहाब एक दिशा में चला गया और ओबदयाह अकेले दूसरी दिशा में.
وَفِيمَا كَانَ عُوبَدْيَا فِي ٱلطَّرِيقِ، إِذَا بِإِيلِيَّا قَدْ لَقِيَهُ فَعَرَفَهُ، وَخَرَّ عَلَى وَجْهِهِ وَقَالَ: «أَأَنْتَ هُوَ سَيِّدِي إِيلِيَّا؟» ٧ 7
जब ओबदयाह मार्ग में ही थे कि उनकी भेंट एलियाह से हो गई. ओबदयाह ने उन्हें पहचान लिया. भूमि पर मुख के बल होकर उन्होंने एलियाह से कहा, “क्या आप ही मेरे स्वामी एलियाह हैं?”
فَقَالَ لَهُ: «أَنَا هُوَ. ٱذْهَبْ وَقُلْ لِسَيِّدِكَ: هُوَذَا إِيلِيَّا». ٨ 8
एलियाह ने उत्तर दिया, “हां. जाकर अपने स्वामी को सूचित करो, ‘देखिए, एलियाह आ गया है.’”
فَقَالَ: «مَا هِيَ خَطِيَّتِي حَتَّى إِنَّكَ تَدْفَعُ عَبْدَكَ لِيَدِ أَخْآبَ لِيُمِيتَنِي؟ ٩ 9
ओबदयाह ने उन्हें उत्तर दिया, “मुझसे ऐसा कौन सा पाप हो गया है,” जो आप मृत्यु दंड के लिए मुझे अहाब के हाथों में सौंप रहे हैं?
حَيٌّ هُوَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ، إِنَّهُ لَا تُوجَدُ أُمَّةٌ وَلَا مَمْلَكَةٌ لَمْ يُرْسِلْ سَيِّدِي إِلَيْهَا لِيُفَتِّشَ عَلَيْكَ، وَكَانُوا يَقُولُونَ: إِنَّهُ لَا يُوجَدُ. وَكَانَ يَسْتَحْلِفُ ٱلْمَمْلَكَةَ وَٱلْأُمَّةَ أَنَّهُمْ لَمْ يَجِدُوكَ. ١٠ 10
“याहवेह, आपके जीवित परमेश्वर की शपथ, न तो कोई ऐसा देश है न ऐसा राष्ट्र, जहां मेरे स्वामी ने आपको खोजने किसी को न भेजा हो. और जब उन्हें यह सूचना दी गयी, एलियाह तो यहां भी नहीं है, वह उस देश और राष्ट्र से शपथ खिलाई, कि खोजने पर भी उन्हें आप नहीं मिले.
وَٱلْآنَ أَنْتَ تَقُولُ: ٱذْهَبْ قُلْ لِسَيِّدِكَ هُوَذَا إِيلِيَّا. ١١ 11
और यहां आपका आदेश है, जाकर अपने स्वामी को बताओ, ‘देखिए, यहां है एलियाह!’
وَيَكُونُ إِذَا ٱنْطَلَقْتُ مِنْ عِنْدِكَ، أَنَّ رُوحَ ٱلرَّبِّ يَحْمِلُكَ إِلَى حَيْثُ لَا أَعْلَمُ. فَإِذَا أَتَيْتُ وَأَخْبَرْتُ أَخْآبَ وَلَمْ يَجِدْكَ فَإِنَّهُ يَقْتُلُنِي، وَأَنَا عَبْدُكَ أَخْشَى ٱلرَّبَّ مُنْذُ صِبَايَ. ١٢ 12
मैं जैसे ही यहां आपको छोड़कर जाऊंगा, याहवेह के आत्मा आपको न जाने कहां ले जाएंगे. और जब मैं अहाब को सूचना दूंगा और वह आपको यहां नहीं पाएंगे, वह तो मुझे मृत्यु दंड दे देंगे, जबकि मैं आपका सेवक बचपन से याहवेह के लिए भय रखता आया हूं.
أَلَمْ يُخْبَرْ سَيِّدِي بِمَا فَعَلْتُ حِينَ قَتَلَتْ إِيزَابَلُ أَنْبِيَاءَ ٱلرَّبِّ، إِذْ خَبَّأْتُ مِنْ أَنْبِيَاءِ ٱلرَّبِّ مِئَةَ رَجُلٍ، خَمْسِينَ خَمْسِينَ رَجُلًا فِي مُغَارَةٍ وَعُلْتُهُمْ بِخُبْزٍ وَمَاءٍ؟ ١٣ 13
क्या मेरे स्वामी को इस विषय में बताया नहीं गया, कि जब ईजेबेल ने याहवेह के भविष्यवक्ताओं की हत्या कर दी थी, मैंने उस स्थिति में क्या किया था, मैंने कैसे याहवेह के सौ भविष्यवक्ताओं को पचास-पचास करके गुफा में छिपा दिया था और उनके लिए भोजन और जल की व्यवस्था की थी?
وَأَنْتَ ٱلْآنَ تَقُولُ: ٱذْهَبْ قُلْ لِسَيِّدِكَ: هُوَذَا إِيلِيَّا، فَيَقْتُلُنِي». ١٤ 14
और अब आप आदेश दे रहे है, जाकर अपने स्वामी को सूचना दो, ‘देखिए, यहां है एलियाह.’ अहाब तो ज़रूर मेरी हत्या कर देंगे!”
فَقَالَ إِيلِيَّا: «حَيٌّ هُوَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ ٱلَّذِي أَنَا وَاقِفٌ أَمَامَهُ، إِنِّي ٱلْيَوْمَ أَتَرَاءَى لَهُ». ١٥ 15
एलियाह ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं जिनका सेवक हूं, उस जीवित, सेनाओं के याहवेह की शपथ, आज मैं निश्चित ही अपने आपको अहाब के सामने प्रस्तुत करूंगा.”
فَذَهَبَ عُوبَدْيَا لِلِقَاءِ أَخْآبَ وَأَخْبَرَهُ، فَسَارَ أَخْآبُ لِلِقَاءِ إِيلِيَّا. ١٦ 16
तब ओबदयाह अहाब से भेंटकरने चले गए. और उन्हें यह सूचना दे दी. अहाब एलियाह से मिलने चला.
وَلَمَّا رَأَى أَخْآبُ إِيلِيَّا قَالَ لَهُ أَخْآبُ: «أَأَنْتَ هُوَ مُكَدِّرُ إِسْرَائِيلَ؟» ١٧ 17
एलियाह को देखते ही अहाब कह उठा, “अच्छा तुम्हीं हो इस्राएल के सतानेवाले!”
فَقَالَ: «لَمْ أُكَدِّرْ إِسْرَائِيلَ، بَلْ أَنْتَ وَبَيْتُ أَبِيكَ بِتَرْكِكُمْ وَصَايَا ٱلرَّبِّ وَبِسَيْرِكَ وَرَاءَ ٱلْبَعْلِيمِ. ١٨ 18
एलियाह ने उत्तर दिया, “सतानेवाला मैं नहीं, आप और आपके पिता का परिवार है. आप हैं जिन्होंने याहवेह के आदेशों को टाला है और बाल देवताओं का अनुसरण किया है.
فَٱلْآنَ أَرْسِلْ وَٱجْمَعْ إِلَيَّ كُلَّ إِسْرَائِيلَ إِلَى جَبَلِ ٱلْكَرْمَلِ، وَأَنْبِيَاءَ ٱلْبَعْلِ أَرْبَعَ ٱلْمِئَةِ وَٱلْخَمْسِينَ، وَأَنْبِيَاءَ ٱلسَّوَارِي أَرْبَعَ ٱلْمِئَةِ ٱلَّذِينَ يَأْكُلُونَ عَلَى مَائِدَةِ إِيزَابَلَ». ١٩ 19
इसलिये अब मेरे सामने कर्मेल पर्वत पर सारे इस्राएल को इकट्ठा होने के लिए आदेश भेजिए. इसके अलावा बाल के चार सौ पचास और अशेरा के चार सौ भविष्यवक्ताओं को भी बुलाइए, जो ईजेबेल की मेज़ पर भोजन करते हैं.”
فَأَرْسَلَ أَخْآبُ إِلَى جَمِيعِ بَنِي إِسْرَائِيلَ، وَجَمَعَ ٱلْأَنْبِيَاءَ إِلَى جَبَلِ ٱلْكَرْمَلِ. ٢٠ 20
तब अहाब ने सारे इस्राएल और भविष्यवक्ताओं को कर्मेल पर्वत पर इकट्ठा होने का आदेश दिया.
فَتَقَدَّمَ إِيلِيَّا إِلَى جَمِيعِ ٱلشَّعْبِ وَقَالَ: «حَتَّى مَتَى تَعْرُجُونَ بَيْنَ ٱلْفِرْقَتَيْنِ؟ إِنْ كَانَ ٱلرَّبُّ هُوَ ٱللهَ فَٱتَّبِعُوهُ، وَإِنْ كَانَ ٱلْبَعْلُ فَٱتَّبِعُوهُ». فَلَمْ يُجِبْهُ ٱلشَّعْبُ بِكَلِمَةٍ. ٢١ 21
एलियाह ने भीड़ के निकट आकर कहा, “दो मतों के बीच तुम लोग और कब तक डगमगाते रहोगे? यदि याहवेह ही परमेश्वर हैं तो उनका अनुसरण करो; और अगर बाल, तो उसका.” इसके उत्तर में लोग एक शब्द तक न कह सके.
ثُمَّ قَالَ إِيلِيَّا لِلشَّعْبِ: «أَنَا بَقِيتُ نَبِيًّا لِلرَّبِّ وَحْدِي، وَأَنْبِيَاءُ ٱلْبَعْلِ أَرْبَعُ مِئَةٍ وَخَمْسُونَ رَجُلًا. ٢٢ 22
तब एलियाह ने भीड़ को कहा, “सिर्फ मैं; याहवेह का भविष्यद्वक्ता बाकी रह गया हूं, मगर बाल के भविष्यद्वक्ता चार सौ पचास व्यक्ति हैं.
فَلْيُعْطُونَا ثَوْرَيْنِ، فَيَخْتَارُوا لِأَنْفُسِهِمْ ثَوْرًا وَاحِدًا وَيُقَطِّعُوهُ وَيَضَعُوهُ عَلَى ٱلْحَطَبِ، وَلَكِنْ لَا يَضَعُوا نَارًا. وَأَنَا أُقَرِّبُ ٱلثَّوْرَ ٱلْآخَرَ وَأَجْعَلُهُ عَلَى ٱلْحَطَبِ، وَلَكِنْ لَا أَضَعُ نَارًا. ٢٣ 23
हमें दो बछड़े दिए जाएं. उन्हें अपने लिए बछड़ा चुनने दिया जाए. वे उसके टुकड़े कर लकड़ी पर सजा दें, मगर लकड़ी में आग न लगाई जाए. मैं भी दूसरे बछड़े को तैयार कर लकड़ी पर सजाऊंगा मगर उसमें आग न लगाऊंगा.
ثُمَّ تَدْعُونَ بِٱسْمِ آلِهَتِكُمْ وَأَنَا أَدْعُو بِٱسْمِ ٱلرَّبِّ. وَٱلْإِلَهُ ٱلَّذِي يُجِيبُ بِنَارٍ فَهُوَ ٱللهُ». فَأَجَابَ جَمِيعُ ٱلشَّعْبِ وَقَالُوا: «ٱلْكَلَامُ حَسَنٌ». ٢٤ 24
तुम लोग अपने देवता की दोहाई देना और मैं याहवेह की दोहाई दूंगा. परमेश्वर वही होगा, जो आग के द्वारा उत्तर देगा.” भीड़ ने एक स्वर में उत्तर दिया, “अच्छा विचार है यह!”
فَقَالَ إِيلِيَّا لِأَنْبِيَاءِ ٱلْبَعْلِ: «ٱخْتَارُوا لِأَنْفُسِكُمْ ثَوْرًا وَاحِدًا وَقَرِّبُوا أَوَّلًا، لِأَنَّكُمْ أَنْتُمُ ٱلْأَكْثَرُ، وَٱدْعُوا بِٱسْمِ آلِهَتِكُمْ، وَلَكِنْ لَا تَضَعُوا نَارًا». ٢٥ 25
एलियाह ने बाल के भविष्यवक्ताओं के सामने प्रस्ताव रखा, “अपने लिए एक बछड़ा चुन लो और पहले तुम इसे तैयार करो, क्योंकि तुम लोग गिनती में अधिक हो. अपने देवता की दोहाई दो, मगर उसमें आग न लगाना.”
فَأَخَذُوا ٱلثَّوْرَ ٱلَّذِي أُعْطِيَ لَهُمْ وَقَرَّبُوهُ، وَدَعَوْا بِٱسْمِ ٱلْبَعْلِ مِنَ ٱلصَّبَاحِ إِلَى ٱلظُّهْرِ قَائِلِينَ: «يَا بَعْلُ أَجِبْنَا». فَلَمْ يَكُنْ صَوْتٌ وَلَا مُجِيبٌ. وَكَانُوا يَرْقُصُونَ حَوْلَ ٱلْمَذْبَحِ ٱلَّذِي عُمِلَ. ٢٦ 26
उन्होंने उन्हें दिए गए बछड़े को लेकर उसे बलि के लिए तैयार किया और उन्होंने बाल को बलि देनी शुरू की और सुबह से दोपहर तक वे यह कहकर दोहाई देते रहे, “हे बाल, हमारी सुनो!” किंतु न तो कोई आवाज ही सुनी गई और न किसी से कोई उत्तर ही मिला. वे अपनी बनाई हुई वेदी के आस-पास उछलते-कूदते रहे.
وَعِنْدَ ٱلظُّهْرِ سَخِرَ بِهِمْ إِيلِيَّا وَقَالَ: «ٱدْعُوا بِصَوْتٍ عَالٍ لِأَنَّهُ إِلَهٌ! لَعَلَّهُ مُسْتَغْرِقٌ أَوْ فِي خَلْوَةٍ أَوْ فِي سَفَرٍ! أَوْ لَعَلَّهُ نَائِمٌ فَيَتَنَبَّهَ!» ٢٧ 27
दोपहर के समय एलियाह ने उनका मज़ाक उड़ाकर कहा: “थोड़ा ऊंची आवाज में पुकारो! वह देवता है, हो सकता है वह ध्यानमग्न होगा, या वह शौच के लिए गया होगा या यह भी संभव है कि वह यात्रा पर गया हो या वह गहरी नींद में हो, जिसे जगाना ज़रूरी हो गया है.”
فَصَرَخُوا بِصَوْتٍ عَالٍ، وَتَقَطَّعُوا حَسَبَ عَادَتِهِمْ بِٱلسُّيُوفِ وَٱلرِّمَاحِ حَتَّى سَالَ مِنْهُمُ ٱلدَّمُ. ٢٨ 28
तब वे ऊंची आवाज में चिल्लाते हुए अपनी प्रथा के अनुसार तलवारों और बर्छियों से अपने आपको छेदने लगे, जिससे उनकी देह लहूलुहान हो गई.
وَلَمَّا جَازَ ٱلظُّهْرُ، وَتَنَبَّأُوا إِلَى حِينِ إِصْعَادِ ٱلتَّقْدِمَةِ، وَلَمْ يَكُنْ صَوْتٌ وَلَا مُجِيبٌ وَلَا مُصْغٍ، ٢٩ 29
दोपहर के बाद, वे संध्या बलि तक आवेश में पागलों जैसे बड़बड़ाते रहे, मगर कहीं से कोई आवाज सुनाई नहीं दी. न किसी ने उत्तर दिया न किसी ने इनकी ओर ध्यान दिया.
قَالَ إِيلِيَّا لِجَمِيعِ ٱلشَّعْبِ: «تَقَدَّمُوا إِلَيَّ». فَتَقَدَّمَ جَمِيعُ ٱلشَّعْبِ إِلَيْهِ. فَرَمَّمَ مَذْبَحَ ٱلرَّبِّ ٱلْمُنْهَدِمَ. ٣٠ 30
तब सभी लोगों को एलियाह ने कहा, “मेरे पास आओ.” सभी उनके पास आ गए. एलियाह ने याहवेह की वेदी की मरम्मत की थी, जो इस समय टूटी-फूटी थी.
ثُمَّ أَخَذَ إِيلِيَّا ٱثْنَيْ عَشَرَ حَجَرًا، بِعَدَدِ أَسْبَاطِ بَنِي يَعْقُوبَ، ٱلَّذِي كَانَ كَلَامُ ٱلرَّبِّ إِلَيْهِ قَائِلًا: «إِسْرَائِيلَ يَكُونُ ٱسْمُكَ» ٣١ 31
एलियाह ने, जिस याकोब से याहवेह का यह वादा था, “तुम्हारे नाम इस्राएल होगा,” उस याकोब के पुत्रों के गोत्रों की गिनती के अनुसार बारह पत्थर इकट्‍ठे किए थे.
وَبَنَى ٱلْحِجَارَةَ مَذْبَحًا بِٱسْمِ ٱلرَّبِّ، وَعَمِلَ قَنَاةً حَوْلَ ٱلْمَذْبَحِ تَسَعُ كَيْلَتَيْنِ مِنَ ٱلْبَزْرِ. ٣٢ 32
एलियाह ने इन बारह पत्थरों को लेकर याहवेह के सम्मान में एक वेदी बनाई. इसके बाद उन्होंने वेदी के चारों ओर ऐसी गहरी नाली खोद दी, जिसमें लगभग ग्यारह किलो बीज समा सकता था.
ثُمَّ رَتَّبَ ٱلْحَطَبَ وَقَطَّعَ ٱلثَّوْرَ وَوَضَعَهُ عَلَى ٱلْحَطَبِ، وَقَالَ: «ٱمْلَأُوا أَرْبَعَ جَرَّاتٍ مَاءً وَصُبُّوا عَلَى ٱلْمُحْرَقَةِ وَعَلَى ٱلْحَطَبِ». ٣٣ 33
फिर उन्होंने लकड़ी काटकर वेदी पर सजाकर रख दी और बछड़े को टुकड़े-टुकड़े कर लकड़ियों पर सजा दिया. इसके बाद उन्होंने उन्हें आदेश दिया, “चार घड़े जल से भरकर सारा जल होमबलि और लकड़ियों पर उंडेल दो.”
ثُمَّ قَالَ: «ثَنُّوا» فَثَنَّوْا. وَقَالَ: «ثَلِّثُوا» فَثَلَّثُوا. ٣٤ 34
फिर उन्होंने कहा, “यही एक बार फिर करो.” उन्होंने वैसा ही किया. फिर एलियाह ने कहा, “यही एक बार फिर करो.” उन्होंने यह सब तीसरी बार भी किया.
فَجَرَى ٱلْمَاءُ حَوْلَ ٱلْمَذْبَحِ وَٱمْتَلَأَتِ ٱلْقَنَاةُ أَيْضًا مَاءً. ٣٥ 35
जल वेदी के चारों ओर बह निकला, और नालियां तक जल से भर गईं.
وَكَانَ عِنْدَ إِصْعَادِ ٱلتَّقْدِمَةِ أَنَّ إِيلِيَّا ٱلنَّبِيَّ تَقَدَّمَ وَقَالَ: «أَيُّهَا ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ وَإِسْرَائِيلَ، لِيُعْلَمِ ٱلْيَوْمَ أَنَّكَ أَنْتَ ٱللهُ فِي إِسْرَائِيلَ، وَأَنِّي أَنَا عَبْدُكَ، وَبِأَمْرِكَ قَدْ فَعَلْتُ كُلَّ هَذِهِ ٱلْأُمُورِ. ٣٦ 36
शाम की बलि चढ़ाने के समय भविष्यद्वक्ता एलियाह ने वेदी के निकट आकर यह दोहाई दी, “याहवेह, अब्राहाम, यित्सहाक और याकोब के परमेश्वर, आज यह सबको पता चल जाए कि इस्राएल देश में परमेश्वर सिर्फ आप ही हैं, और यह भी कि मैं आपका सेवक हूं, और यह सब मैंने सिर्फ आपके ही आदेश पर किया है.
ٱسْتَجِبْنِي يَارَبُّ ٱسْتَجِبْنِي، لِيَعْلَمَ هَذَا ٱلشَّعْبُ أَنَّكَ أَنْتَ ٱلرَّبُّ ٱلْإِلَهُ، وَأَنَّكَ أَنْتَ حَوَّلْتَ قُلُوبَهُمْ رُجُوعًا». ٣٧ 37
याहवेह, मुझे उत्तर दीजिए, मुझे उत्तर दीजिए, कि ये लोग जान जाएं कि आप, याहवेह, ही परमेश्वर हैं, और आपने ही उनके हृदय अपनी ओर दोबारा फेर लिए हैं.”
فَسَقَطَتْ نَارُ ٱلرَّبِّ وَأَكَلَتِ ٱلْمُحْرَقَةَ وَٱلْحَطَبَ وَٱلْحِجَارَةَ وَٱلتُّرَابَ، وَلَحَسَتِ ٱلْمِيَاهَ ٱلَّتِي فِي ٱلْقَنَاةِ. ٣٨ 38
यह पूरा होते ही याहवेह द्वारा भेजी गई आग गिरी! उससे होमबलि, लकड़ियां, पत्थर और धूल, सभी कुछ भस्म हो गया, और आग नाली में भरा जल चट कर गई.
فَلَمَّا رَأَى جَمِيعُ ٱلشَّعْبِ ذَلِكَ سَقَطُوا عَلَى وُجُوهِهِمْ وَقَالُوا: «ٱلرَّبُّ هُوَ ٱللهُ! ٱلرَّبُّ هُوَ ٱللهُ!». ٣٩ 39
जब उन सबने यह सब देखा, वे मुंह के बल ज़मीन पर गिरकर यह स्वीकारने लगे, “याहवेह ही परमेश्वर हैं, याहवेह ही परमेश्वर हैं.”
فَقَالَ لَهُمْ إِيلِيَّا: «أَمْسِكُوا أَنْبِيَاءَ ٱلْبَعْلِ وَلَا يُفْلِتْ مِنْهُمْ رَجُلٌ». فَأَمْسَكُوهُمْ، فَنَزَلَ بِهِمْ إِيلِيَّا إِلَى نَهْرِ قِيشُونَ وَذَبَحَهُمْ هُنَاكَ. ٤٠ 40
एलियाह ने उन्हें आदेश दिया, “बाल के भविष्यवक्ताओं को पकड़ लो; एक भी बचने न पाए.” उन्होंने उन्हें पकड़ लिया. एलियाह उन्हें कीशोन नाले पर ले गए और वहां उन सबको मार दिया.
وَقَالَ إِيلِيَّا لِأَخْآبَ: «ٱصْعَدْ كُلْ وَٱشْرَبْ، لِأَنَّهُ حِسُّ دَوِيِّ مَطَرٍ». ٤١ 41
एलियाह ने अहाब से कहा, “उठिए, और भोजन कर लीजिए. मुझे मूसलाधार बारिश की आवाज सुनाई दे रही है.”
فَصَعِدَ أَخْآبُ لِيَأْكُلَ وَيَشْرَبَ، وَأَمَّا إِيلِيَّا فَصَعِدَ إِلَى رَأْسِ ٱلْكَرْمَلِ وَخَرَّ إِلَى ٱلْأَرْضِ، وَجَعَلَ وَجْهَهُ بَيْنَ رُكْبَتَيْهِ. ٤٢ 42
तब अहाब भोजन करने चला गया. एलियाह कर्मेल पर्वत के शिखर पर चले गए. उन्होंने भूमि की ओर झुककर अपने चेहरे को घुटनों में छिपा लिया.
وَقَالَ لِغُلَامِهِ: «ٱصْعَدْ تَطَلَّعْ نَحْوَ ٱلْبَحْرِ». فَصَعِدَ وَتَطَلَّعَ وَقَالَ: «لَيْسَ شَيْءٌ». فَقَالَ: «ٱرْجِعْ» سَبْعَ مَرَّاتٍ. ٤٣ 43
और अपने सेवक को आदेश दिया, “जाकर समुद्र की दिशा में देखते रहो.” उसने जाकर देखा और सूचना दी. “वहां तो कुछ भी नहीं है!” एलियाह ने यह आदेश सात बार दिया “जाकर फिर देखो!”
وَفِي ٱلْمَرَّةِ ٱلسَّابِعَةِ قَالَ: «هُوَذَا غَيْمَةٌ صَغِيرَةٌ قَدْرُ كَفِّ إِنْسَانٍ صَاعِدَةٌ مِنَ ٱلْبَحْرِ». فَقَالَ: «ٱصْعَدْ قُلْ لِأَخْآبَ: ٱشْدُدْ وَٱنْزِلْ لِئَلَّا يَمْنَعَكَ ٱلْمَطَرُ». ٤٤ 44
सातवीं बार सेवक ने सूचना दी, “देखिए-देखिए! मनुष्य की बांह के समान बादल का एक छोटा टुकड़ा समुद्र की सतह से उठ रहा है.” एलियाह ने सेवक को आदेश दिया, “जाकर अहाब से कहो, ‘अपना रथ तैयार कर पर्वत से नीचे उतर जाइए, कहीं ऐसा न हो कि आप बारिश में घिर जाएं.’”
وَكَانَ مِنْ هُنَا إِلَى هُنَا أَنَّ ٱلسَّمَاءَ ٱسْوَدَّتْ مِنَ ٱلْغَيْمِ وَٱلرِّيحِ، وَكَانَ مَطَرٌ عَظِيمٌ. فَرَكِبَ أَخْآبُ وَمَضَى إِلَى يَزْرَعِيلَ. ٤٥ 45
कुछ ही देर बाद आकाश बादलों से काला हो गया, क्योंकि हवा बहने लगी थी और मूसलाधार बारिश शुरू हो गई. अहाब रथ पर येज़्रील चला गया.
وَكَانَتْ يَدُ ٱلرَّبِّ عَلَى إِيلِيَّا، فَشَدَّ حَقْوَيْهِ وَرَكَضَ أَمَامَ أَخْآبَ حَتَّى تَجِيءَ إِلَى يَزْرَعِيلَ. ٤٦ 46
याहवेह की कृपादृष्टि में एलियाह ने ऐसा बल पाया, कि उन्होंने अपने ढीले कपड़े समेटे और कमर कसकर दौड़ते हुए अहाब के रथ से आगे निकलकर येज़्रील तक पहुंच गए.

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