< ١ يوحنَّا 2 >

يَا أَوْلَادِي، أَكْتُبُ إِلَيْكُمْ هَذَا لِكَيْ لَا تُخْطِئُوا. وَإِنْ أَخْطَأَ أَحَدٌ فَلَنَا شَفِيعٌ عِنْدَ ٱلْآبِ، يَسُوعُ ٱلْمَسِيحُ ٱلْبَارُّ. ١ 1
ऐ मेरे बच्चों! ये बातें मैं तुम्हें इसलिए लिखता हूँ तुम गुनाह न करो; और अगर कोई गुनाह करे, तो बाप के पास हमारा एक मददगार मौजूद है, या'नी ईसा मसीह रास्तबाज़;
وَهُوَ كَفَّارَةٌ لِخَطَايَانَا. لَيْسَ لِخَطَايَانَا فَقَطْ، بَلْ لِخَطَايَا كُلِّ ٱلْعَالَمِ أَيْضًا. ٢ 2
और वही हमारे गुनाहों का कफ़्फ़ारा है, और न सिर्फ़ हमारे ही गुनाहों का बल्कि तमाम दुनिया के गुनाहों का भी।
وَبِهَذَا نَعْرِفُ أَنَّنَا قَدْ عَرَفْنَاهُ: إِنْ حَفِظْنَا وَصَايَاهُ. ٣ 3
अगर हम उसके हुक्मों पर 'अमल करेंगे, तो इससे हमें माँ'लूम होगा कि हम उसे जान गए हैं।
مَنْ قَالَ: «قَدْ عَرَفْتُهُ» وَهُوَ لَا يَحْفَظُ وَصَايَاهُ، فَهُوَ كَاذِبٌ وَلَيْسَ ٱلْحَقُّ فِيهِ. ٤ 4
जो कोई ये कहता है, मैं उसे जान गया हूँ “और उसके हुक्मों पर” अमल नहीं करता, वो झूठा है और उसमें सच्चाई नहीं।
وَأَمَّا مَنْ حَفِظَ كَلِمَتَهُ، فَحَقًّا فِي هَذَا قَدْ تَكَمَّلَتْ مَحَبَّةُ ٱللهِ. بِهَذَا نَعْرِفُ أَنَّنَا فِيهِ: ٥ 5
हाँ, जो कोई उसके कलाम पर 'अमल करे, उसमें यक़ीनन ख़ुदा की मुहब्बत कामिल हो गई है। हमें इसी से मा'लूम होता है कि हम उसमें हैं:
مَنْ قَالَ: إِنَّهُ ثَابِتٌ فِيهِ يَنْبَغِي أَنَّهُ كَمَا سَلَكَ ذَاكَ هَكَذَا يَسْلُكُ هُوَ أَيْضًا. ٦ 6
जो कोई ये कहता है कि मैं उसमें क़ाईम हूँ, तो चाहिए कि ये भी उसी तरह चले जिस तरह वो चलता था।
أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ، لَسْتُ أَكْتُبُ إِلَيْكُمْ وَصِيَّةً جَدِيدَةً، بَلْ وَصِيَّةً قَدِيمَةً كَانَتْ عِنْدَكُمْ مِنَ ٱلْبَدْءِ. ٱلْوَصِيَّةُ ٱلْقَدِيمَةُ هِيَ ٱلْكَلِمَةُ ٱلَّتِي سَمِعْتُمُوهَا مِنَ ٱلْبَدْءِ. ٧ 7
ऐ 'अज़ीज़ो! मैं तुम्हें कोई नया हुक्म नहीं लिखता, बल्कि वही पुराना हुक्म जो शुरू से तुम्हें मिला है; ये पुराना हुक्म वही कलाम है जो तुम ने सुना है।
أَيْضًا وَصِيَّةً جَدِيدَةً أَكْتُبُ إِلَيْكُمْ، مَا هُوَ حَقٌّ فِيهِ وَفِيكُمْ: أَنَّ ٱلظُّلْمَةَ قَدْ مَضَتْ، وَٱلنُّورَ ٱلْحَقِيقِيَّ ٱلْآنَ يُضِيءُ. ٨ 8
फिर तुम्हें एक नया हुक्म लिखता हूँ, ये बात उस पर और तुम पर सच्ची आती है; क्यूँकि तारीकी मिटती जाती है और हक़ीक़ी नूर चमकना शुरू हो गया है।
مَنْ قَالَ: إِنَّهُ فِي ٱلنُّورِ وَهُوَ يُبْغِضُ أَخَاهُ، فَهُوَ إِلَى ٱلْآنَ فِي ٱلظُّلْمَةِ. ٩ 9
जो कोई ये कहता है कि मैं नूर में हूँ और अपने भाई से 'दुश्मनी रखता है, वो अभी तक अंधेरे ही मैं है।
مَنْ يُحِبُّ أَخَاهُ يَثْبُتُ فِي ٱلنُّورِ وَلَيْسَ فِيهِ عَثْرَةٌ. ١٠ 10
जो कोई अपने भाई से मुहब्बत रखता है वो नूर में रहता है और ठोकर नहीं खाता।
وَأَمَّا مَنْ يُبْغِضُ أَخَاهُ فَهُوَ فِي ٱلظُّلْمَةِ، وَفِي ٱلظُّلْمَةِ يَسْلُكُ، وَلَا يَعْلَمُ أَيْنَ يَمْضِي، لِأَنَّ ٱلظُّلْمَةَ أَعْمَتْ عَيْنَيْهِ. ١١ 11
लेकिन जो अपने भाई से 'दुश्मनी रखता है वो अंधेरे में है और अंधेरे ही में चलता है, और ये नहीं जानता कि कहाँ जाता है क्यूँकि अंधेरे ने उसकी आँखें अन्धी कर दी हैं।
أَكْتُبُ إِلَيْكُمْ أَيُّهَا ٱلْأَوْلَادُ، لِأَنَّهُ قَدْ غُفِرَتْ لَكُمُ ٱلْخَطَايَا مِنْ أَجْلِ ٱسْمِهِ. ١٢ 12
ऐ बच्चो! मैं तुम्हें इसलिए लिखता हूँ कि उसके नाम से तुम्हारे गुनाह मु'आफ़ हुए।
أَكْتُبُ إِلَيْكُمْ أَيُّهَا ٱلْآبَاءُ، لِأَنَّكُمْ قَدْ عَرَفْتُمُ ٱلَّذِي مِنَ ٱلْبَدْءِ. أَكْتُبُ إِلَيْكُمْ أَيُّهَا ٱلْأَحْدَاثُ، لِأَنَّكُمْ قَدْ غَلَبْتُمُ ٱلشِّرِّيرَ. أَكْتُبُ إِلَيْكُمْ أَيُّهَا ٱلْأَوْلَادُ، لِأَنَّكُمْ قَدْ عَرَفْتُمُ ٱلْآبَ. ١٣ 13
ऐ बुज़ुर्गो! मैं तुम्हें इसलिए लिखता हूँ कि जो इब्तिदा से है उसे तुम जान गए हो। ऐ जवानो! मैं तुम्हें इसलिए लिखता हूँ कि तुम उस शैतान पर ग़ालिब आ गए हो। ऐ लड़कों! मैंने तुम्हें इसलिए लिखा है कि तुम बाप को जान गए हो
كَتَبْتُ إِلَيْكُمْ أَيُّهَا ٱلْآبَاءُ، لِأَنَّكُمْ قَدْ عَرَفْتُمُ ٱلَّذِي مِنَ ٱلْبَدْءِ. كَتَبْتُ إِلَيْكُمْ أَيُّهَا ٱلْأَحْدَاثُ، لِأَنَّكُمْ أَقْوِيَاءُ، وَكَلِمَةُ ٱللهِ ثَابِتَةٌ فِيكُمْ، وَقَدْ غَلَبْتُمُ ٱلشِّرِّيرَ. ١٤ 14
ऐ बुज़ुर्गों! मैंने तुम्हें इसलिए लिखा है कि जो शुरू से है उसको तुम जान गए हो। ऐ जवानो! मैंने तुम्हें इसलिए लिखा है कि तुम मज़बूत हो, उसे ख़ुदा का कलाम तुम में क़ाईम रहता है, और तुम उस शैतान पर ग़ालिब आ गए हो।
لَا تُحِبُّوا ٱلْعَالَمَ وَلَا ٱلْأَشْيَاءَ ٱلَّتِي فِي ٱلْعَالَمِ. إِنْ أَحَبَّ أَحَدٌ ٱلْعَالَمَ فَلَيْسَتْ فِيهِ مَحَبَّةُ ٱلْآبِ. ١٥ 15
न दुनिया से मुहब्बत रख्खो, न उन चीज़ों से जो दुनियाँ में हैं। जो कोई दुनिया से मुहब्बत रखता है, उसमें बाप की मुहब्बत नहीं।
لِأَنَّ كُلَّ مَا فِي ٱلْعَالَمِ: شَهْوَةَ ٱلْجَسَدِ، وَشَهْوَةَ ٱلْعُيُونِ، وَتَعَظُّمَ ٱلْمَعِيشَةِ، لَيْسَ مِنَ ٱلْآبِ بَلْ مِنَ ٱلْعَالَمِ. ١٦ 16
क्यूँकि जो कुछ दुनिया में है, या'नी जिस्म की ख़्वाहिश और आँखों की ख़्वाहिश और ज़िन्दगी की शेख़ी, वो बाप की तरफ़ से नहीं बल्कि दुनिया की तरफ़ से है।
وَٱلْعَالَمُ يَمْضِي وَشَهْوَتُهُ، وَأَمَّا ٱلَّذِي يَصْنَعُ مَشِيئَةَ ٱللهِ فَيَثْبُتُ إِلَى ٱلْأَبَدِ. (aiōn g165) ١٧ 17
दुनियाँ और उसकी ख़्वाहिश दोनों मिटती जाती है, लेकिन जो ख़ुदा की मर्ज़ी पर चलता है वो हमेशा तक क़ाईम रहेगा। (aiōn g165)
أَيُّهَا ٱلْأَوْلَادُ، هِيَ ٱلسَّاعَةُ ٱلْأَخِيرَةُ. وَكَمَا سَمِعْتُمْ أَنَّ ضِدَّ ٱلْمَسِيحِ يَأْتِي، قَدْ صَارَ ٱلْآنَ أَضْدَادٌ لِلْمَسِيحِ كَثِيرُونَ. مِنْ هُنَا نَعْلَمُ أَنَّهَا ٱلسَّاعَةُ ٱلْأَخِيرَةُ. ١٨ 18
ऐ लड़कों! ये आख़िरी वक़्त है; जैसा तुम ने सुना है कि मुख़ालिफ़ — ए — मसीह आनेवाला है, उसके मुवाफ़िक़ अब भी बहुत से मुख़ालिफ़ — ए — मसीह पैदा हो गए है। इससे हम जानते हैं ये आख़िरी वक़्त है
مِنَّا خَرَجُوا، لَكِنَّهُمْ لَمْ يَكُونُوا مِنَّا، لِأَنَّهُمْ لَوْ كَانُوا مِنَّا لَبَقَوْا مَعَنَا. لَكِنْ لِيُظْهَرُوا أَنَّهُمْ لَيْسُوا جَمِيعُهُمْ مِنَّا. ١٩ 19
वो निकले तो हम ही में से, मगर हम में से थे नहीं। इसलिए कि अगर हम में से होते तो हमारे साथ रहते, लेकिन निकल इस लिए गए कि ये ज़ाहिर हो कि वो सब हम में से नहीं हैं।
وَأَمَّا أَنْتُمْ فَلَكُمْ مَسْحَةٌ مِنَ ٱلْقُدُّوسِ وَتَعْلَمُونَ كُلَّ شَيْءٍ. ٢٠ 20
और तुम को तो उस क़ुद्दूस की तरफ़ से मसह किया गया है, और तुम सब कुछ जानते हो।
لَمْ أَكْتُبْ إِلَيْكُمْ لِأَنَّكُمْ لَسْتُمْ تَعْلَمُونَ ٱلْحَقَّ، بَلْ لِأَنَّكُمْ تَعْلَمُونَهُ، وَأَنَّ كُلَّ كَذِبٍ لَيْسَ مِنَ ٱلْحَقِّ. ٢١ 21
मैंने तुम्हें इसलिए नहीं लिखा कि तुम सच्चाई को नहीं जानते, बल्कि इसलिए कि तुम उसे जानते हो, और इसलिए कि कोई झूठ सच्चाई की तरफ़ से नहीं है।
مَنْ هُوَ ٱلْكَذَّابُ، إِلَّا ٱلَّذِي يُنْكِرُ أَنَّ يَسُوعَ هُوَ ٱلْمَسِيحُ؟ هَذَا هُوَ ضِدُّ ٱلْمَسِيحِ، ٱلَّذِي يُنْكِرُ ٱلْآبَ وَٱلِٱبْنَ. ٢٢ 22
कौन झूठा है? सिवा उसके जो ईसा के मसीह होने का इन्कार करता है। मुख़ालिफ़ — ए — मसीह वही है जो बाप और बेटे का इन्कार करता है।
كُلُّ مَنْ يُنْكِرُ ٱلِٱبْنَ لَيْسَ لَهُ ٱلْآبُ أَيْضًا، وَمَنْ يَعْتَرِفُ بِٱلِٱبْنِ فَلَهُ ٱلْآبُ أَيْضًا. ٢٣ 23
जो कोई बेटे का इन्कार करता है उसके पास बाप भी नहीं: जो बेटे का इक़रार करता है उसके पास बाप भी है।
أَمَّا أَنْتُمْ فَمَا سَمِعْتُمُوهُ مِنَ ٱلْبَدْءِ فَلْيَثْبُتْ إِذًا فِيكُمْ. إِنْ ثَبَتَ فِيكُمْ مَا سَمِعْتُمُوهُ مِنَ ٱلْبَدْءِ، فَأَنْتُمْ أَيْضًا تَثْبُتُونَ فِي ٱلِٱبْنِ وَفِي ٱلْآبِ. ٢٤ 24
जो तुम ने शुरू'से सुना है अगर वो तुम में क़ाईम रहे, तो तुम भी बेटे और बाप में क़ाईम रहोगे।
وَهَذَا هُوَ ٱلْوَعْدُ ٱلَّذِي وَعَدَنَا هُوَ بِهِ: ٱلْحَيَاةُ ٱلْأَبَدِيَّةُ. (aiōnios g166) ٢٥ 25
और जिसका उसने हम से वा'दा किया, वो हमेशा की ज़िन्दगी है। (aiōnios g166)
كَتَبْتُ إِلَيْكُمْ هَذَا عَنِ ٱلَّذِينَ يُضِلُّونَكُمْ. ٢٦ 26
मैंने ये बातें तुम्हें उनके बारे में लिखी हैं, जो तुम्हें धोखा देते हैं;
وَأَمَّا أَنْتُمْ فَٱلْمَسْحَةُ ٱلَّتِي أَخَذْتُمُوهَا مِنْهُ ثَابِتَةٌ فِيكُمْ، وَلَا حَاجَةَ بِكُمْ إِلَى أَنْ يُعَلِّمَكُمْ أَحَدٌ، بَلْ كَمَا تُعَلِّمُكُمْ هَذِهِ ٱلْمَسْحَةُ عَيْنُهَا عَنْ كُلِّ شَيْءٍ، وَهِيَ حَقٌّ وَلَيْسَتْ كَذِبًا. كَمَا عَلَّمَتْكُمْ تَثْبُتُونَ فِيهِ. ٢٧ 27
और तुम्हारा वो मसह जो उसकी तरफ़ से किया गया, तुम में क़ाईम रहता है; और तुम इसके मोहताज नहीं कि कोई तुम्हें सिखाए, बल्कि जिस तरह वो मसह जो उसकी तरफ़ से किया गया, तुम्हें सब बातें सिखाता है और सच्चा है और झूठा नहीं; और जिस तरह उसने तुम्हें सिखाया उसी तरह तुम उसमें क़ाईम रहते हो।
وَٱلْآنَ أَيُّهَا ٱلْأَوْلَادُ، ٱثْبُتُوا فِيهِ، حَتَّى إِذَا أُظْهِرَ يَكُونُ لَنَا ثِقَةٌ، وَلَا نَخْجَلُ مِنْهُ فِي مَجِيئِهِ. ٢٨ 28
ग़रज़ ऐ बच्चो! उसमें क़ाईम रहो, ताकि जब वो ज़ाहिर हो तो हमें दिलेरी हो और हम उसके आने पर उसके सामने शर्मिन्दा न हों।
إِنْ عَلِمْتُمْ أَنَّهُ بَارٌّ هُوَ، فَٱعْلَمُوا أَنَّ كُلَّ مَنْ يَصْنَعُ ٱلْبِرَّ مَوْلُودٌ مِنْهُ. ٢٩ 29
अगर तुम जानते हो कि वो रास्तबाज़ है, तो ये भी जानते हो कि जो कोई रास्तबाज़ी के काम करता है वो उससे पैदा हुआ है।

< ١ يوحنَّا 2 >