< ١ كورنثوس 7 >

وَأَمَّا مِنْ جِهَةِ ٱلْأُمُورِ ٱلَّتِي كَتَبْتُمْ لِي عَنْهَا: فَحَسَنٌ لِلرَّجُلِ أَنْ لَا يَمَسَّ ٱمْرَأَةً. ١ 1
जो बातें तुम ने लिखी थीं उनकी वजह ये हैं मर्द के लिए अच्छा है कि औरत को न छुए।
وَلَكِنْ لِسَبَبِ ٱلزِّنَا، لِيَكُنْ لِكُلِّ وَاحِدٍ ٱمْرَأَتُهُ، وَلْيَكُنْ لِكُلِّ وَاحِدَةٍ رَجُلُهَا. ٢ 2
लेकिन हरामकारी के अन्देशे से हर मर्द अपनी बीवी और हर औरत अपना शौहर रख्खे।
لِيُوفِ ٱلرَّجُلُ ٱلْمَرْأَةَ حَقَّهَا ٱلْوَاجِبَ، وَكَذَلِكَ ٱلْمَرْأَةُ أَيْضًا ٱلرَّجُلَ. ٣ 3
शौहर बीवी का हक़ अदा करे और वैसे ही बीवी शौहर का।
لَيْسَ لِلْمَرْأَةِ تَسَلُّطٌ عَلَى جَسَدِهَا، بَلْ لِلرَّجُلِ. وَكَذَلِكَ ٱلرَّجُلُ أَيْضًا لَيْسَ لَهُ تَسَلُّطٌ عَلَى جَسَدِهِ، بَلْ لِلْمَرْأَةِ. ٤ 4
बीवी अपने बदन की मुख़्तार नहीं बल्कि शौहर है इसी तरह शौहर भी अपने बदन का मुख़्तार नहीं बल्कि बीवी।
لَا يَسْلُبْ أَحَدُكُمُ ٱلْآخَرَ، إِلَّا أَنْ يَكُونَ عَلَى مُوافَقَةٍ، إِلَى حِينٍ، لِكَيْ تَتَفَرَّغُوا لِلصَّوْمِ وَٱلصَّلَاةِ، ثُمَّ تَجْتَمِعُوا أَيْضًا مَعًا لِكَيْ لَا يُجَرِّبَكُمُ ٱلشَّيْطَانُ لِسَبَبِ عَدَمِ نَزَاهَتِكُمْ. ٥ 5
तुम एक दूसरे से जुदा न रहो मगर थोड़ी मुद्दत तक आपस की रज़ामन्दी से, ताकि दुआ के लिए वक़्त मिले और फिर इकट्ठे हो जाओ ऐसा न हो कि ग़ल्बा — ए — नफ़्स की वजह से शैतान तुम को आज़माए।
وَلَكِنْ أَقُولُ هَذَا عَلَى سَبِيلِ ٱلْإِذْنِ لَا عَلَى سَبِيلِ ٱلْأَمْرِ. ٦ 6
लेकिन मैं ये इजाज़त के तौर पर कहता हूँ हुक्म के तौर पर नहीं।
لِأَنِّي أُرِيدُ أَنْ يَكُونَ جَمِيعُ ٱلنَّاسِ كَمَا أَنَا. لَكِنَّ كُلَّ وَاحِدٍ لَهُ مَوْهِبَتُهُ ٱلْخَاصَّةُ مِنَ ٱللهِ. ٱلْوَاحِدُ هَكَذَا وَٱلْآخَرُ هَكَذَا. ٧ 7
और मैं तो ये चाहता हूँ कि जैसा मैं हूँ वैसे ही सब आदमी हों लेकिन हर एक को ख़ुदा की तरफ़ से ख़ास तौफ़ीक़ मिली है किसी को किसी तरह की किसी को किसी तरह की।
وَلَكِنْ أَقُولُ لِغَيْرِ ٱلْمُتَزَوِّجِينَ وَلِلْأَرَامِلِ، إِنَّهُ حَسَنٌ لَهُمْ إِذَا لَبِثُوا كَمَا أَنَا. ٨ 8
पस मैं बे'ब्याहों और बेवाओं के हक़ में ये कहता हूँ; कि उनके लिए ऐसा ही रहना अच्छा है जैसा मैं हूँ।
وَلَكِنْ إِنْ لَمْ يَضْبُطُوا أَنْفُسَهُمْ، فَلْيَتَزَوَّجُوا. لِأَنَّ ٱلتَّزَوُّجَ أَصْلَحُ مِنَ ٱلتَّحَرُّقِ. ٩ 9
लेकिन अगर सब्र न कर सकें तो शादी कर लें; क्यूँकि शादी करना मस्त होने से बेहतर है।
وَأَمَّا ٱلْمُتَزَوِّجُونَ، فَأُوصِيهِمْ، لَا أَنَا بَلِ ٱلرَّبُّ، أَنْ لَا تُفَارِقَ ٱلْمَرْأَةُ رَجُلَهَا، ١٠ 10
मगर जिनकी शादी हो गई है उनको मैं नहीं बल्कि ख़ुदावन्द हुक्म देता है कि बीवी अपने शौहर से जुदा न हो।
وَإِنْ فَارَقَتْهُ، فَلْتَلْبَثْ غَيْرَ مُتَزَوِّجَةٍ، أَوْ لِتُصَالِحْ رَجُلَهَا. وَلَا يَتْرُكِ ٱلرَّجُلُ ٱمْرَأَتَهُ. ١١ 11
(और अगर जुदा हो तो बे'निकाह रहे या अपने शौहर से फिर मिलाप कर ले) न शौहर बीवी को छोड़े।
وَأَمَّا ٱلْبَاقُونَ، فَأَقُولُ لَهُمْ أَنَا، لَا ٱلرَّبُّ: إِنْ كَانَ أَخٌ لَهُ ٱمْرَأَةٌ غَيْرُ مُؤْمِنَةٍ، وَهِيَ تَرْتَضِي أَنْ تَسْكُنَ مَعَهُ، فَلَا يَتْرُكْهَا. ١٢ 12
बाक़ियों से मैं ही कहता हूँ न ख़ुदावन्द कि अगर किसी भाई की बीवी बा ईमान न हो और उस के साथ रहने को राज़ी हो तो वो उस को न छोड़े।
وَٱلْمَرْأَةُ ٱلَّتِي لَهَا رَجُلٌ غَيْرُ مُؤْمِنٍ، وَهُوَ يَرْتَضِي أَنْ يَسْكُنَ مَعَهَا، فَلَا تَتْرُكْهُ. ١٣ 13
और जिस 'औरत का शौहर बा'ईमान न हो और उसके साथ रहने को राज़ी हो तो वो शौहर को न छोड़े।
لِأَنَّ ٱلرَّجُلَ غَيْرَ ٱلْمُؤْمِنِ مُقَدَّسٌ فِي ٱلْمَرْأَةِ، وَٱلْمَرْأَةَ غَيْرَ ٱلْمُؤْمِنَةِ مُقَدَّسَةٌ فِي ٱلرَّجُلِ. وَإِلَّا فَأَوْلَادُكُمْ نَجِسُونَ، وَأَمَّا ٱلْآنَ فَهُمْ مُقَدَّسُونَ. ١٤ 14
क्यूँकि जो शौहर बाईमान नहीं वो बीवी की वजह से पाक ठहरता है; और जो बीवी बाईमान नहीं वो मसीह शौहर के ज़रिए पाक ठहरती है वर्ना तुम्हारे बेटे नापाक होते मगर अब पाक हैं।
وَلَكِنْ إِنْ فَارَقَ غَيْرُ ٱلْمُؤْمِنِ، فَلْيُفَارِقْ. لَيْسَ ٱلْأَخُ أَوِ ٱلْأُخْتُ مُسْتَعْبَدًا فِي مِثْلِ هَذِهِ ٱلْأَحْوَالِ، وَلَكِنَّ ٱللهَ قَدْ دَعَانَا فِي ٱلسَّلَامِ. ١٥ 15
लेकिन मर्द जो बा'ईमान न हो अगर वो जुदा हो तो जुदा होने दो ऐसी हालत में कोई भाई या बहन पाबन्द नहीं और ख़ुदा ने हम को मेल मिलाप के लिए बुलाया है।
لِأَنَّهُ كَيْفَ تَعْلَمِينَ أَيَّتُهَا ٱلْمَرْأَةُ، هَلْ تُخَلِّصِينَ ٱلرَّجُلَ؟ أَوْ كَيْفَ تَعْلَمُ أَيُّهَا ٱلرَّجُلُ، هَلْ تُخَلِّصُ ٱلْمَرْأَةَ؟ ١٦ 16
क्यूँकि ऐ 'औरत तुझे क्या ख़बर है कि शायद तू अपने शौहर को बचा ले? और ऐ मर्द तुझे क्या ख़बर है कि शायद तू अपनी बीवी को बचा ले।
غَيْرَ أَنَّهُ كَمَا قَسَمَ ٱللهُ لِكُلِّ وَاحِدٍ، كَمَا دَعَا ٱلرَّبُّ كُلَّ وَاحِدٍ، هَكَذَا لِيَسْلُكْ. وَهَكَذَا أَنَا آمُرُ فِي جَمِيعِ ٱلْكَنَائِسِ. ١٧ 17
मगर जैसा ख़ुदावन्द ने हर एक को हिस्सा दिया है और जिस तरह ख़ुदा ने हर एक को बुलाया है उसी तरह वो चले; और मैं सब कलीसियाओं में ऐसा ही मुक़र्रर करता हूँ।
دُعِيَ أَحَدٌ وَهُوَ مَخْتُونٌ، فَلَا يَصِرْ أَغْلَفَ. دُعِيَ أَحَدٌ فِي ٱلْغُرْلَةِ، فَلَا يَخْتَتِنْ. ١٨ 18
जो मख़्तून बुलाया गया वो नामख़्तून न हो जाए जो नामख़्तूनी की हालत में बुलाया गया वो मख़्तून न हो जाए।
لَيْسَ ٱلْخِتَانُ شَيْئًا، وَلَيْسَتِ ٱلْغُرْلَةُ شَيْئًا، بَلْ حِفْظُ وَصَايَا ٱللهِ. ١٩ 19
न ख़तना कोई चीज़ है नामख़्तूनी बल्कि ख़ुदा के हुक्मों पर चलना ही सब कुछ है।
اَلدَّعْوَةُ ٱلَّتِي دُعِيَ فِيهَا كُلُّ وَاحِدٍ فَلْيَلْبَثْ فِيهَا. ٢٠ 20
हर शख़्स जिस हालत में बुलाया गया हो उसी में रहे।
دُعِيتَ وَأَنْتَ عَبْدٌ فَلَا يَهُمَّكَ. بَلْ وَإِنِ ٱسْتَطَعْتَ أَنْ تَصِيرَ حُرًّا فَٱسْتَعْمِلْهَا بِٱلْحَرِيِّ. ٢١ 21
अगर तू ग़ुलामी की हालत में बुलाया गया तो फ़िक्र न कर लेकिन अगर तू आज़ाद हो सके तो इसी को इख़्तियार कर।
لِأَنَّ مَنْ دُعِيَ فِي ٱلرَّبِّ وَهُوَ عَبْدٌ، فَهُوَ عَتِيقُ ٱلرَّبِّ. كَذَلِكَ أَيْضًا ٱلْحُرُّ ٱلْمَدْعُوُّ هُوَ عَبْدٌ لِلْمَسِيحِ. ٢٢ 22
क्यूँकि जो शख़्स ग़ुलामी की हालत में ख़ुदावन्द में बुलाया गया है वो ख़ुदावन्द का आज़ाद किया हुआ है; इसी तरह जो आज़ादी की हालत में बुलाया गया है वो मसीह का ग़ुलाम है।
قَدِ ٱشْتُرِيتُمْ بِثَمَنٍ، فَلَا تَصِيرُوا عَبِيدًا لِلنَّاسِ. ٢٣ 23
तुम मसीह के ज़रिए ख़ास क़ीमत से ख़रीदे गए हो आदमियों के ग़ुलाम न बनो।
مَا دُعِيَ كُلُّ وَاحِدٍ فِيهِ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ فَلْيَلْبَثْ فِي ذَلِكَ مَعَ ٱللهِ. ٢٤ 24
ऐ भाइयों! जो कोई जिस हालत में बुलाया गया हो वो उसी हालत में ख़ुदा के साथ रहे।
وَأَمَّا ٱلْعَذَارَى، فَلَيْسَ عِنْدِي أَمْرٌ مِنَ ٱلرَّبِّ فِيهِنَّ، وَلَكِنَّنِي أُعْطِي رَأْيًا كَمَنْ رَحِمَهُ ٱلرَّبُّ أَنْ يَكُونَ أَمِينًا. ٢٥ 25
कुँवारियों के हक़ में मेरे पास ख़ुदावन्द का कोई हुक्म नहीं लेकिन दियानतदार होने के लिए जैसा ख़ुदावन्द की तरफ़ से मुझ पर रहम हुआ उसके मुवाफ़िक़ अपनी राय देता हूँ।
فَأَظُنُّ أَنَّ هَذَا حَسَنٌ لِسَبَبِ ٱلضِّيقِ ٱلْحَاضِرِ، أَنَّهُ حَسَنٌ لِلْإِنْسَانِ أَنْ يَكُونَ هَكَذَا: ٢٦ 26
पस मौजूदा मुसीबत के ख़याल से मेरी राय में आदमी के लिए यही बेहतर है कि जैसा है वैसा ही रहे।
أَنْتَ مُرْتَبِطٌ بِٱمْرَأَةٍ! فَلَا تَطْلُبِ ٱلِٱنْفِصَالَ. أَنْتَ مُنْفَصِلٌ عَنِ ٱمْرَأَةٍ! فَلَا تَطْلُبِ ٱمْرَأَةً. ٢٧ 27
अगर तेरी बीवी है तो उस से जुदा होने की कोशीश न कर और अगर तेरी बीवी नहीं तो बीवी की तलाश न कर।
لَكِنَّكَ وَإِنْ تَزَوَّجْتَ لَمْ تُخْطِئْ. وَإِنْ تَزَوَّجَتِ ٱلْعَذْرَاءُ لَمْ تُخْطِئْ. وَلَكِنَّ مِثْلَ هَؤُلَاءِ يَكُونُ لَهُمْ ضِيقٌ فِي ٱلْجَسَدِ. وَأَمَّا أَنَا فَإِنِّي أُشْفِقُ عَلَيْكُمْ. ٢٨ 28
लेकिन तू शादी करे भी तो गुनाह नहीं और अगर कुँवारी ब्याही जाए तो गुनाह नहीं मगर ऐसे लोग जिस्मानी तकलीफ़ पाएँगे, और मैं तुम्हें बचाना चाहता हूँ।
فَأَقُولُ هَذَا أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ: ٱلْوَقْتُ مُنْذُ ٱلْآنَ مُقَصَّرٌ، لِكَيْ يَكُونَ ٱلَّذِينَ لَهُمْ نِسَاءٌ كَأَنْ لَيْسَ لَهُمْ، ٢٩ 29
मगर ऐ भाइयों! मैं ये कहता हूँ कि वक़्त तंग है पस आगे को चाहिए कि बीवी वाले ऐसे हों कि गोया उनकी बीवियाँ नहीं।
وَٱلَّذِينَ يَبْكُونَ كَأَنَّهُمْ لَا يَبْكُونَ، وَٱلَّذِينَ يَفْرَحُونَ كَأَنَّهُمْ لَا يَفْرَحُونَ، وَٱلَّذِينَ يَشْتَرُونَ كَأَنَّهُمْ لَا يَمْلِكُونَ، ٣٠ 30
और रोने वाले ऐसे हों गोया नहीं रोते; और ख़ुशी करने वाले ऐसे हों गोया ख़ुशी नहीं करते; और ख़रीदने वाले ऐसे हों गोया माल नहीं रखते।
وَٱلَّذِينَ يَسْتَعْمِلُونَ هَذَا ٱلْعَالَمَ كَأَنَّهُمْ لَا يَسْتَعْمِلُونَهُ. لِأَنَّ هَيْئَةَ هَذَا ٱلْعَالَمِ تَزُولُ. ٣١ 31
और दुनियावी कारोबार करनेवाले ऐसे हों कि दुनिया ही के न हो जाएँ; क्यूँकि दुनिया की शक्ल बदलती जाती है।
فَأُرِيدُ أَنْ تَكُونُوا بِلَا هَمٍّ. غَيْرُ ٱلْمُتَزَوِّجِ يَهْتَمُّ فِي مَا لِلرَّبِّ كَيْفَ يُرْضِي ٱلرَّبَّ، ٣٢ 32
पस मैं ये चाहता हूँ कि तुम बेफ़िक्र रहो, बे ब्याहा शख़्स ख़ुदावन्द की फ़िक्र में रहता है कि किस तरह ख़ुदावन्द को राज़ी करे।
وَأَمَّا ٱلْمُتَزَوِّجُ فَيَهْتَمُّ فِي مَا لِلْعَالَمِ كَيْفَ يُرْضِي ٱمْرَأَتَهُ. ٣٣ 33
मगर शादी हुआ शख़्स दुनिया की फ़िक्र में रहता है कि किस तरह अपनी बीवी को राज़ी करे।
إِنَّ بَيْنَ ٱلزَّوْجَةِ وَٱلْعَذْرَاءِ فَرْقًا: غَيْرُ ٱلْمُتَزَوِّجَةِ تَهْتَمُّ فِي مَا لِلرَّبِّ لِتَكُونَ مُقَدَّسَةً جَسَدًا وَرُوحًا. وَأَمَّا ٱلْمُتَزَوِّجَةُ فَتَهْتَمُّ فِي مَا لِلْعَالَمِ كَيْفَ تُرْضِي رَجُلَهَا. ٣٤ 34
शादी और बेशादी में भी फ़र्क़ है बे शादी ख़ुदावन्द की फ़िक्र में रहती है ताकि उसका जिस्म और रूह दोनों पाक हों मगर ब्याही हुई औरत दुनिया की फ़िक्र में रहती है कि किस तरह अपने शौहर को राज़ी करे।
هَذَا أَقُولُهُ لِخَيْرِكُمْ، لَيْسَ لِكَيْ أُلْقِيَ عَلَيْكُمْ وَهَقًا، بَلْ لِأَجْلِ ٱللِّيَاقَةِ وَٱلْمُثَابَرَةِ لِلرَّبِّ مِنْ دُونِ ٱرْتِبَاكٍ. ٣٥ 35
ये तुम्हारे फ़ाइदे के लिए कहता हूँ न कि तुम्हें फ़साने के लिए; बल्कि इसलिए कि जो ज़ेबा है वही अमल में आए और तुम ख़ुदावन्द की ख़िदमत में बिना शक किए मशग़ूल रहो।
وَلَكِنْ إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَظُنُّ أَنَّهُ يَعْمَلُ بِدُونِ لِيَاقَةٍ نَحْوَ عَذْرَائِهِ إِذَا تَجَاوَزَتِ ٱلْوَقْتَ، وَهَكَذَا لَزِمَ أَنْ يَصِيرَ، فَلْيَفْعَلْ مَا يُرِيدُ. إِنَّهُ لَا يُخْطِئُ. فَلْيَتَزَوَّجَا. ٣٦ 36
अगर कोई ये समझे कि मैं अपनी उस कुँवारी लड़की की हक़तल्फ़ी करता हूँ जिसकी जवानी ढल चली है और ज़रूरत भी मा'लूम हो तो इख़्तियार है इस में गुनाह नहीं वो उसकी शादी होने दे।
وَأَمَّا مَنْ أَقَامَ رَاسِخًا فِي قَلْبِهِ، وَلَيْسَ لَهُ ٱضْطِرَارٌ، بَلْ لَهُ سُلْطَانٌ عَلَى إِرَادَتِهِ، وَقَدْ عَزَمَ عَلَى هَذَا فِي قَلْبِهِ أَنْ يَحْفَظَ عَذْرَاءَهُ، فَحَسَنًا يَفْعَلُ. ٣٧ 37
मगर जो अपने दिल में पुख़्ता हो और इस की कुछ ज़रूरत न हो बल्कि अपने इरादे के अंजाम देने पर क़ादिर हो और दिल में अहद कर लिया हो कि मैं अपनी लड़की को बेनिकाह रखूँगा वो अच्छा करता है।
إِذًا، مَنْ زَوَّجَ فَحَسَنًا يَفْعَلُ، وَمَنْ لَا يُزَوِّجُ يَفْعَلُ أَحْسَنَ. ٣٨ 38
पस जो अपनी कुँवारी लड़की को शादी कर देता है वो अच्छा करता है और जो नहीं करता वो और भी अच्छा करता है।
ٱلْمَرْأَةُ مُرْتَبِطَةٌ بِٱلنَّامُوسِ مَا دَامَ رَجُلُهَا حَيًّا. وَلَكِنْ إِنْ مَاتَ رَجُلُهَا، فَهِيَ حُرَّةٌ لِكَيْ تَتَزَوَّجَ بِمَنْ تُرِيدُ، فِي ٱلرَّبِّ فَقَطْ. ٣٩ 39
जब तक कि 'औरत का शौहर जीता है वो उस की पाबन्द है पर जब उसका शौहर मर जाए तो जिससे चाहे शादी कर सकती है मगर सिर्फ़ ख़ुदावन्द में।
وَلَكِنَّهَا أَكْثَرُ غِبْطَةً إِنْ لَبِثَتْ هَكَذَا، بِحَسَبِ رَأْيِي. وَأَظُنُّ أَنِّي أَنَا أَيْضًا عِنْدِي رُوحُ ٱللهِ. ٤٠ 40
लेकिन जैसी है अगर वैसी ही रहे तो मेरी राय में ज़्यादा ख़ुश नसीब है और मैं समझता हूँ कि ख़ुदा का रूह मुझ में भी है।

< ١ كورنثوس 7 >